शनिवार, 23 जुलाई 2016

चुहुल ७९

(१)
नारी मुक्ति आन्दोलन की शिकायत पर पुलिस ने एक आदमी का चालान करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. उस पर आरोप था कि उसने अपनी पढ़ी-लिखी पत्नी को दस वर्षों तक इस तरह कंट्रोल में रखा कि बेचारी सहमी सहमी रहती है.
मजिस्ट्रेट – तो तुमने दस वर्षों से डरा-धमका कर अपनी बीवी को कंट्रोल में रखा हुआ है?
मुलजिम  हुजूर, बात ऐसी है कि ...
मजिस्ट्रेट – सफाई देने की जरूरत नहीं है, तुम बस तरीका बताओ.
  
(२)
एक भद्र महिला ने अदालत में अपने पति से तलाक की गुहार लगाई तो जज साहब ने कारण पूछा.
महिला बोली, “वे मेरे प्रति वफादार नहीं हैं.”
जज  इसका क्या सबूत है तुम्हारे पास?
महिला – मेरे चार बच्चों में से किसी की भी शक्ल उनसे नहीं मिलती है.

(३)
रेल के डिब्बे में एक बुजुर्ग ने अपने सामने की सीट पर बैठे व्यक्ति से कहा, “माफ़ करना भाई, तुम बड़ी देर से कुछ कह रहे हो, लेकिन मैं ऊंचा सुनता हूँ. क्या आप ज़रा जोर से बोलेंगे?”
सामने वाला बोला, “मैं बोल कहाँ रहा हूँ? मैं तो चूइंग-गम चबा रहा हूँ.”.

(४)
डॉक्टर (मरीज से)  आपको कभी न्युमोंनिया से तकलीफ हुई थी क्या?
मरीज – हाँ, एक बार हुई थी.
डॉक्टर – कब हुयी थी?
मरीज – जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो मेरी टीचर ने न्युमोंनिया की स्पेलिंग पूछी थी.

(५)
ताऊ झगड़ा करके अपने घर से नाराज होकर कहीं चला गया. जब बहुत दिन हो गए, तो उसका बेटा अपनी महतारी से बोला, “मन्ने तो लागे है कि बापू ने कदी ओर घर बसा लियो है.” इस पर महतारी ने गुस्से में एक थप्पड़ रसीद कर दिया, और बोली, “तू गल्त क्यों बोल रिया, तेरा बापू कदी ट्रक के नीचे भी तो आ सके है.”
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