tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post466967492799392333..comments2023-11-03T18:16:55.887+05:30Comments on जाले: बैठे ठाले - १०पुरुषोत्तम पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-35532460687780018862013-12-13T20:23:36.626+05:302013-12-13T20:23:36.626+05:30पारखी नज़र...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा...पारखी नज़र...बहुत बहुत बधाई...<br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी</a><br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-86856142185912241462013-12-02T12:38:40.220+05:302013-12-02T12:38:40.220+05:30खबरों पर रोचक नजर।खबरों पर रोचक नजर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-60734060020432776862013-11-24T15:40:59.328+05:302013-11-24T15:40:59.328+05:30एक तरफ आप कलिकाल के लिए आश्वस्त भी करते हैं और च...एक तरफ आप कलिकाल के लिए आश्वस्त भी करते हैं और चाहते हैं कि इसे परोसने वालों के खिलाफ 'तथाकथित' शालीनता बरती जाए तो ऐसे कैसे हो सकता है! 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते' देश की स्थिति बनानेवाले तो इस वाक्य से भी आगे के हकदार हैं और आप शालीनता की बात करते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि कुछ काम स्थितियों को देखकर ही किए जाने चाहिए। मोरारजी देसाई के पास इतना व्यावहारिक दृष्टिकोण नहीं था। उनसे नमो की तुलना बेमानी है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-44707635712070547502013-11-24T13:12:50.558+05:302013-11-24T13:12:50.558+05:30
सुन्दर बहुत सुन्दर विश्लेषण। आपकी प्रस्तावनाओं नि...<br />सुन्दर बहुत सुन्दर विश्लेषण। आपकी प्रस्तावनाओं निष्कर्षों से असहमत होना मुश्किल लग रहा है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com