tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post5312710152179450291..comments2023-11-03T18:16:55.887+05:30Comments on जाले: अजब गाँव पुरुषोत्तम पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-51612547494396238732012-10-04T11:34:10.538+05:302012-10-04T11:34:10.538+05:30आपकी यह पोस्ट पढ़ कर मुझे काका हाथरसी की कविता याद...आपकी यह पोस्ट पढ़ कर मुझे काका हाथरसी की कविता याद आई .... नाम बड़े और दर्शन थोड़े । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-4243580026372406862012-09-27T22:37:15.367+05:302012-09-27T22:37:15.367+05:30वाह क्या बात है ....अजब सी गज़ब कहानी (सही भी हो सक...वाह क्या बात है ....अजब सी गज़ब कहानी (सही भी हो सकती हैं )...Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-20676565068067678442012-09-26T18:12:26.891+05:302012-09-26T18:12:26.891+05:30sarthak postsarthak postReena Panthttps://www.blogger.com/profile/00567958984543097787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-89851161954908497762012-09-26T07:40:20.707+05:302012-09-26T07:40:20.707+05:30:)
:)<br />Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-37251418114661946162012-09-25T21:14:17.485+05:302012-09-25T21:14:17.485+05:30“जो मर गए वो थे अमरसिंह, लक्ष्मी मांगे भीख,
नयनसुख...“जो मर गए वो थे अमरसिंह, लक्ष्मी मांगे भीख,<br />नयनसुख को दीखे नाहीं, मैं ठेकवा ही ठीक.”लेकिन भाई साहब कुछ भी कहो -नाम सामाजिक सोच का आइना होतें हैं .जैसे पुराने लोग नाम रखते थे ,राम प्रकाश ,शिवदयाल ,किशनलाल ,शंकर लाल ,या फिर मिश्री सिंह ,इमारती देवी ,फुलवा ,चमेली ,गुलाबो ,लोगों को देवता और मिठाई दोनों भाते थे ,और फूलों की खुशबू वह तो आज भी भाति है तभी औरत मर्द दोनों के नाम हैं सुमन ,कई के उपनाम हैं सुमन .त्रिभुवन .<br /><br />दूसरे छोर पर लड़कियों को आज भी दुतकारता बुहारता समाज उनका नाम रखता है -भतेरी ,धापा ,मनभरी ,<br /><br />“जो मर गए वो थे अमरसिंह, लक्ष्मी मांगे भीख,<br />नयनसुख को दीखे नाहीं, मैं ठेकवा ही ठीक.”<br /><br />इन सड़ी गली परम्पराओं को लोग आज भी ढौ रहें हैं .वैसे ही नहीं कहा गया था -यथा नाम तथा गुण.लेकिन हम काले अँगरेज़ उधारी भाषा के कायल हो गए -वाट इज देयर इन ए नेम ?क्या सचमुच नाम में कुछ नहीं रख्खा .फिर क्यों कहा गया -राम से बड़ा राम का नाम /उलटा नाम जपाजप जाना ,वाल्मीकि भये सिद्ध समाना .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-31414994143005326602012-09-25T21:13:48.276+05:302012-09-25T21:13:48.276+05:30पुरुषोत्तम पाण्डेय
http://purushottampandey.blogs...पुरुषोत्तम पाण्डेय<br /><br />http://purushottampandey.blogspot.com/2012_09_01_archive.html<br /><br />अनंत काल से ये क्रम चलता आ रहा है कि लोग मरते रहते हैं और नए लोग अवतरित होते रहते हैं.<br /> धर्मों की व्यवस्थाओं की स्थापना इसलिए जरूरी है कि लोग दुराचरण से डरते रहें......virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-51894238461100657532012-09-25T08:57:19.386+05:302012-09-25T08:57:19.386+05:30देख कबीरा रोया..देख कबीरा रोया..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com