tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post2738647970375974483..comments2023-11-03T18:16:55.887+05:30Comments on जाले: जाति-बाहरपुरुषोत्तम पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-19179173259331367072011-10-18T20:12:39.454+05:302011-10-18T20:12:39.454+05:30आपकी कहानी ने मुझे एक वाकया याद दिला दिया जिसमें ...आपकी कहानी ने मुझे एक वाकया याद दिला दिया जिसमें कुछ ऐसा ही होता है पर परिवार वालों ने लड़के को त्याग दिया . अफ़सोस होता है की समाज, जो की न आपके दुःख में काम आतहै और न ही सुख में, उसके खातिर बच्चों का त्याग कर दिया गया. क्यूँ ऐसा लगता है की बच्चे घमंडी और सिर्फ अपनी ख़ुशी देखते हैं, क्यूँ नहीं ये देखा जाता की उनकी दुनिया भी उतनी ही adhoori है जितनी की उनके बिना मान बाप की.....कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...धन्यवादRohithttps://www.blogger.com/profile/09351262502665963041noreply@blogger.com