tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post6746982794456988333..comments2023-11-03T18:16:55.887+05:30Comments on जाले: राग वैराग पुरुषोत्तम पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-54090724518524959362013-03-20T15:44:30.865+05:302013-03-20T15:44:30.865+05:30अभी तो शुरू हुई थी, अब खतम पे है ये जिंदगी,
न गिला...अभी तो शुरू हुई थी, अब खतम पे है ये जिंदगी,<br />न गिला है, न शिकवा है, यही है असल बन्दगी.<br /><br />वाह !! बहुत सुन्दर .Kewal Joshihttps://www.blogger.com/profile/05259895497389545585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-91556474628679733882013-01-16T20:39:10.147+05:302013-01-16T20:39:10.147+05:30बहुत उम्दा अभिव्यक्ति बहुत उम्दा अभिव्यक्ति Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-82099900877154694772013-01-15T18:08:50.858+05:302013-01-15T18:08:50.858+05:30बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय ...बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-13636591371235738942013-01-15T18:08:31.504+05:302013-01-15T18:08:31.504+05:30स्पेम बोक्स से टिपण्णी निकालें .स्पेम बोक्स से टिपण्णी निकालें .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-63887724095058797572013-01-15T18:07:42.766+05:302013-01-15T18:07:42.766+05:30
समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?
ताम्...<br />समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?<br />ताम्बूल को प्रेम से चबाकर निगलने का है कायदा.<br /><br />अभी तो शुरू हुई थी, अब खतम पे है ये जिंदगी,<br />न गिला है, न शिकवा है, यही है असल बन्दगी.<br /><br />बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-44785444427732991732013-01-15T18:06:20.274+05:302013-01-15T18:06:20.274+05:30बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय...बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-2984667692570959732013-01-15T18:04:36.220+05:302013-01-15T18:04:36.220+05:30समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?
ताम्ब...समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?<br />ताम्बूल को प्रेम से चबाकर निगलने का है कायदा.<br /><br />अभी तो शुरू हुई थी, अब खतम पे है ये जिंदगी,<br />न गिला है, न शिकवा है, यही है असल बन्दगी.<br /><br />बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-89327534232238123892013-01-15T11:50:06.543+05:302013-01-15T11:50:06.543+05:30समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?
ताम्ब...समय को रेशम में लपेट कर रखने का क्या फ़ायदा?<br />ताम्बूल को प्रेम से चबाकर निगलने का है कायदा.<br /><br />बहुत खूब .... सुंदर प्रस्तुति संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-81480909054066497212013-01-15T08:59:29.122+05:302013-01-15T08:59:29.122+05:30साथ न साया,
हाथ न आया,
जो समझा,
वो ही भरमाया।
क्या...साथ न साया,<br />हाथ न आया,<br />जो समझा,<br />वो ही भरमाया।<br />क्या ले जाना,<br />क्या था लाया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com