tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post761826431763886555..comments2023-11-03T18:16:55.887+05:30Comments on जाले: रॉबिन रानी पुरुषोत्तम पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-25175680644433823102013-05-30T08:29:23.010+05:302013-05-30T08:29:23.010+05:30ओह! हृदय विदारक घटना!ओह! हृदय विदारक घटना!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-75036369658856275312013-05-26T18:40:16.126+05:302013-05-26T18:40:16.126+05:30उनकी भावानात्मक पीड़ा हम न समझ पायें, पर वे भी हम ...उनकी भावानात्मक पीड़ा हम न समझ पायें, पर वे भी हम जैसे ही हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-61200428640575898792013-05-25T21:45:14.819+05:302013-05-25T21:45:14.819+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-30820851337413374002013-05-25T21:45:05.364+05:302013-05-25T21:45:05.364+05:30इस सँसार में बहुत सी ऐसी बातें हैं, जिन पर हम प्रा...इस सँसार में बहुत सी ऐसी बातें हैं, जिन पर हम प्राणियों का कोई वश नहीं होता है; हम केवल संवेदनशील होकर दु:ख या अफ़सोस प्रकट कर पाते हैं..............बहुत ही मर्मांतक, सुन्दर, संवेदनापूर्ण संस्मरण।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-5962524774743228402013-05-25T19:55:10.084+05:302013-05-25T19:55:10.084+05:30ओह बहुत सुंदर, कम ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं....ओह बहुत सुंदर, कम ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं..महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7136111936391784942.post-77030591166442351152013-05-25T06:46:56.962+05:302013-05-25T06:46:56.962+05:30पक्षि-जगत की सुन्दर मन को छूती कथा.लौकिक संस्कृत क...पक्षि-जगत की सुन्दर मन को छूती कथा.लौकिक संस्कृत का तो पहला छंद ही क्रौंची की व्यथा से प्रेरित था.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.com