अपनी खुशियों को
न्यौता देने के लिए बहुत से मनमौजी लोग क्या क्या नहीं करते रहते हैं? मेरे एक
प्यारे दोस्त हैं जो हर महीने अपना जन्मदिन मनाते हैं, केक काटते हैं, और परिवार के
साथ मस्ती करते हैं. लेकिन मेरा जन्मदिन तो फिक्स्ड है – एक मई. यों जीवन के
प्रारंभिक वर्षों में, अल्मोड़ा जिले के दूर दराज उस पिछड़े-पहाड़ी गाँव में तब कोई
पारंपरिक रिवाज जन्मदिन मनाने का नहीं था. बहुत बाद में मुझे मालूम हुआ कि एक मई
की ये तिथि यूरोप व एशिया में श्रमिक जागरण की याद में ‘मजदूर दिवस’ के रूप में
मनाया जाता है (अमेरिका में मजदूर दिवस वहाँ के ऐतिहासिक कारणों से १७ जुलाई को नियत
है). यह संयोग ही रहा है कि मैं अपनी एसीसी सीमेंट कंपनी में अपनी सर्विस के दौरान
एक ट्रेड यूनियन लीडर के रूप में स्थापित हुआ और उसी जूनून को मैं लम्बे समय
तक पालते आ रहा हूँ.
इस संसार के श्रृष्टा ने तमाम प्राणियों का जीवन कई अदृश्य डोरों से बांधा हुआ है. सभी के जीवनकाल
(स्पैन) अलग अलग कोष्टकों में डले हुए हैं. काल के सिद्धांत, पृथ्वी द्वारा सूर्य
की 365 दिनों की परिक्रमा के हिसाब से गणितज्ञों / खगोलशास्त्रियों (astronomers) ने सटीक ढंग से अनादि
काल से स्थापित किये हुए हैं.
इस युग के वे बच्चे
बहुत भाग्यशाली हैं, जिनके माता-पिता सभ्य, प्रबुद्ध, और संपन्न हैं. ये अपने बच्चों की खुशियों के लिए जन्मदिनों
को यादगार बनाने के लिए समारोहपूर्वक मनाया करते हैं, अन्यथा हमारे समाज में ऐसे
भी बच्चे हैं जिनको जन्मदिन से कोई सरोकार
नहीं रहता है. कारण अज्ञानता व गरीबी होती है. जहाँ कुपोषण हो, रोटी
तक ठीक से मयस्सर ना हो, वहाँ केक काटने की बात करना भी पाप है.
मेरे एक
रिश्तेदार अपने बच्चों के जन्मदिन पर ‘मार्कन्डेय पुराण’ का पाठन व अन्य स्वस्ति
वाचन करवाते हैं. मुझे अपने बचपन की जो यादें हैं, उनमें शायद ही कभी सामान्य
पूजा-पाठ कराई गयी थी. मैंने भी अपने बच्चों के जन्मदिन समारोहपूर्वक नहीं मनाये.
अब जब मेरे ये बच्चे सयाने व संपन्न हैं तो अपने अपने व अपने बच्चों के जन्मदिनों
को बढ़िया ढंग से मनाते हैं, तथा हम माता-पिता को भी हमारे जन्मदिन याद दिलाकर
जन्मदिन की खुशियाँ देते हैं. यों कोई मित्र या परिचित भी इस अवसर पर ‘बधाई’ दे तो
अच्छा लगना स्वाभाविक होता है.
सोशल साईट्स पर सक्रिय
रहने पर, खासकर, फेसबुक पर मित्रों के जन्मदिन उजागर होते रहते हैं. इसलिए लगभग सभी
सुहृद मित्रगण शुभकामनाओं की अभिव्यक्ति करके धन्य होते हैं. ये एक शुगल सा भी हो
चला है. क्योंकि आज हम लोग इंटरनेट के जमाने
में जी रहे है, एक दूजे के बहुत करीब आ गये हैं. ये हमारा सौभाग्य है कि हम मित्रों व रिश्तेदारों से दूर होते हुए भी उनसे संवाद कर सकते हैं.
कहावत है कि “जन्मदिन एक ऐसा
दिन होता है, जब हम रोते हैं और हमारी माँ हमारे रोने पर खुश होती है.” आज इस अवसर
पर मैं भी अपनी स्वर्गीय माँ को श्रद्धापूर्वक याद करता हूँ, जिसने मेरी खातिर अनेक
वेदनाएं खुशी खुशी सही होंगी. साथ ही अपने स्वर्गीय पिता के गरिमामय स्वरुप को अपने अंत:करण में महसूस कर रहा हूँ.
अंत में, मैं अपनी सहधर्मिणी, अपने सभी भाई-बहनों, पुत्र-पुत्रवधुओं, बेटी-दामाद, पौत्र - पौत्रियों, नातिनी, भतीजे-भतीजियों और इष्ट-मित्रों को उनके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद देता हूँ, तथा सभी के सुख-सौभाग्य की कामना करता हूँ.
अंत में, मैं अपनी सहधर्मिणी, अपने सभी भाई-बहनों, पुत्र-पुत्रवधुओं, बेटी-दामाद, पौत्र - पौत्रियों, नातिनी, भतीजे-भतीजियों और इष्ट-मित्रों को उनके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद देता हूँ, तथा सभी के सुख-सौभाग्य की कामना करता हूँ.
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