साठ साल पहले की बात है, मैं लाखेरी में नवांगुतक था , मुझे एसीसी कालोनी में L - १६ क्वाटर आवंटित था, अविवाहित दिनों में मैंने अपने ही जैसे कुंवारे लोगों से जल्दी ही दोस्ती कर ली थी. इनमें स्व विष्णु बिहारी दीक्षित भी थे जो कि तब उदयपुर से MSW करके एसीसी में जॉब की तलाश में थे, उनके साथ ही एक लड़का शर्मा (नाम मुझे याद नहीं रहा) जिनके पिता उन दिनों लाखेरी स्थित सेंट्रल एक्साइज के डिपुटी सुपरिंटेंडेंट हुआ करते थे भी उदयपुर स्कूल आफ सोसियल वर्क से ही MSW कर के आये थे, इनके अलावा सेंट्रल एक्साइज के दो सब इंस्पेक्टर्स सरदार गुरनामसिंह और प्रकाशचंद्र श्रीवास्तव तथा जीवन बीमा के फील्ड आफीसर वोहरा भी चौकड़ी के सदस्य बन गए थे. मेरा क्वाटर बैठक का अड्डा हो गया था और दोस्ताना गतविधियां चला करती थी. कभी कभी विशेष पकवान / खाना बनाने के लिए एक मि. खन्ना को भी बुलाया जाता था वे नौशेरवाँ टाकीज के सिनेमा के एजेण्ट होते थे , ता हम लोग फ्री में सिनेमा देखने का बी मजा लेते थे हालांकि फर्स्ट क्लास का टिकट मात्र सवा रुपया ही हुआ करता था.
ये सब केवल एक ही साल चला उसके बाद सब अच्छ गच्छ गच्छामि हो गया. मैं भी शादी शुदा लोगों की लिस्ट में जुड़ गया था.
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