यों तो मेरी ठलुआ पंचायत में लगभग २५ स्थाई सदस्य हैं, पर इनमें मुखर पञ्च दस-बारह ही हैं, जो प्रतिदिन दूर जंगलात की सड़क पर घूमने जाया करते हैं. बस्ती के बीच चबूतरे-चौपाल पर बैठ कर, गप्प हांकने और देश-दुनिया के गंभीर सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर बहस/राय प्रकट करना अपना अधिकार समझते हैं. सभी ठलुवे अपने अपने पेशे से रिटायर्ड हैं/ पेंशनर हैं/ पारिवारिक जिम्मेदारियों से लगभग मुक्त हो चुके हैं. ये सभी नियमित रूप से अखबार पढ़ते हैं, टेलीविजन देखते-सुनते हैं, यानि मानसिक तौर पर सक्रिय रहते हैं.
मेरा गाँव, गौजाजाली (गुंजा-झाली का अपभ्रंश है. कभी यहाँ पर ‘गुंजा’ की झाडियाँ हुआ करती थी), हल्द्वानी शहर के दक्षिण में बरेली रोड पर बसा हुआ है, जिसे अब जल्दी ही नगर निगम लील जाने वाला है.
इन सभी वृद्ध सुविधाभोगी लोगों को सक्रिय बनाए रखने की शुरुआत मैंने बारह साल पहले खुद अपने से की थी. मानसिक विलासिता के लिए कला, साहित्य और संगीत तीनों विधाओं का आनन्द लेते हुए रिटायर्ड लाइफ को टायर्ड लाइफ नहीं बनने देने की मेरी सोच व प्रयास काम कर गयी. अब ये मित्र मंडली पंचायत का रूप ले चुकी है और सूत्रधार होने के नाते मैं इसका अघोषित सभापति/अध्यक्ष भी माना जाता हूँ. निस्वार्थ चैरिटेबल कार्य-कलापों की वजह से हमारी ये पंचायत चर्चा में रहती है और हम बहुत आनंदित रहते हैं.
अभी तक सब लोग इसे टाइम-पास साधन भी समझते रहे हैं और कार्यकलापों व चर्चाओं की कोई दैनन्दिनी-रिकार्ड नहीं रखा गया, पर अब यह विचार स्वीकार हो गया कि एक मिनिट्स बुक में हर बैठक की कार्यवाही दर्ज की जाये.
इन ठलुआ साथियों का मैं सर्वप्रथम मुक्तसर में परिचय कराना चाहता हूँ.ताकि आगे कार्यवाही रजिस्टर में हर बार लम्बे नाम ना लिख कर इनका सर्वनाम ठलुआ नम्बर लिखना आसान रहे:
न. १- मैं स्वयं, पुरुषोत्तम पाण्डेय. हिन्दी साहित्य में खद्योत सम, आयुर्वेद रत्न, पूर्व में ट्रेड यूनियन लीडर, अब ब्लॉगर.
न. २- रमेशचन्द्र पाण्डेय. इंटर कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल, कर्मकांडी पण्डित, ब्लॉगर्स की रचनाओं को नियमित खंगालने वाले समदर्शी.
न. ३- गोविन्द तिवारी. रेलवे के सिग्नलिग़ डिपार्टमेंट से रिटायर्ड इंजीनियर, भाजपा के कट्टर समर्थक.
न. ४- यू.एन.सिंह. रिटायर्ड बैंक मैनेजर, राजनैतिक विश्लेषक, कॉग्रेस पार्टी के निंदक.
न. ५- डी.सी. पन्त. रिटायर्ड बैंक मैनेजर, रामदेव बाबा के कट्टर समर्थक.
न. ६- नवीन पाण्डेय, रिटायर्ड-फिजिक्स लेक्चरर, भगवान नाम की कोई आस्था नहीं, उर्दू की शायरी से लगाव.
न. ७- पूरन तिवारी. रेलवे से रिटायर्ड इंजीनियर, साहित्यिक अभिरुचि.
न. ८- सुरेश भंडारी. फल-सब्जी के बड़े आढ़तिये, भाजपा के आलोचक, कॉग्रेस के पक्के समर्थक.
न. ९- पूरन पांडे. रिटायर्ड हार्टीकल्चर सुपरवाइजर, सभी बहसों में नकारात्मक-निराशात्मक वाणी.
न. १०- भुवन तिवारी. रिटायर्ड आर्मी सूबेदार, एक घंटा पीटी-परेड. खाओ-पीओ और ऐश करो का सन्देश.
न. ११- टीकाराम देवराड़ी. रिटायर्ड आर्मी सूबेदार, हर वक्त व्यस्त, अलमस्त.
न. १२- गोविन्द वल्लभ जोशी. रिटायर्ड अकाउंट्स ऑफिसर, व्यवस्थाओं से सर्वथा असंतुष्ट.
यह लिस्ट इस प्रकार लम्बी है. फिलहाल अब पहली मीटिंग की बहस रिपोर्ट निम्न है:
न. ४- पता नहीं लोग मोदी को क्यों नहीं पचा पा रहे हैं? वे आज देश के सबसे लोकप्रिय नेता उभर कर आये हैं.
न. ८- लोकप्रियता का आपका क्या मापदंड है?
न. ४- अखबारों के सर्वे से पता चलता रहा है. उनको हिन्दू ह्रदय सम्राट कहा जा रहा है, अब तो मुसलमान भी टोपी पहनाने आ रहे हैं.
न. ८- उनका अन्दुरूनी विरोध तो खुद उनकी पार्टी के दिग्गज नेता कर रहे हैं. यह सर्व विदित है कि वह एक निरंकुश फासिस्ट की तरह व्यवहार करते हैं. और अभी तो दिल्ली बहुत दूर है. जूट ना कपास, यों ही लठमलट्ठा किये जा रहे हैं.
न. ९- कोई भी आये-जीते भैया, भेड़ पर ऊन कोई छोड़ने वाला नहीं है.
न. ७- मैं कई समकालीन हिन्दी में लिखे ब्लॉग्स को इंटरनेट पर पढ़ता हूँ. आजकल सभी लेखक वर्तमान सत्ता के खिलाफ लिख रहे हैं. काँग्रेस की छवि तो घोटालों और महंगाई ने खराब कर रखी है. एक ब्लॉगर शर्मा जी जो ‘राम राम भाई’ और 'सेहत नामा' शीर्षक से लिखते हैं, बहुत कटु शब्दों में कॉग्रेस के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं.
न. २- वे तो बाबा रामदेव की तरह विटामिन की गोलियों में राजनीति का पलेथन लगा कर मरीजों को दे रहे हैं.
न. ७- पाण्डेय जी, आपके ‘जाले’ में बैठे-ठाले, कटु सत्य, सामयिकी में आपने भी तो बहुत कटु शब्दबाण छोड़े हैं. आलोचनात्मक भाषा का प्रयोग अतिशय किया है.
न. १- मैं राजनीति पर सीधे सीधे नहीं लिखता हूँ, पर जो महसूस होता है, उस पर कलम अपने आप चल पड़ती है. मेरा तो ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ वाला हिसाब है.
न. ५- ऐसे कैसे चलेगा, आप निरपेक्ष होकर अन्याय करना चाहते हैं?
न. १- बिलकुल विमुक्त कैसे रहा जा सकता है, पर जब सब तरफ भ्रष्टाचार-अनाचार हो किसी का समर्थन कैसे किया जा सकता है.
न. ६- केजरीवाल के बारे में आपके विचार क्या हैं?
न. १- वो तो नक्कारखाने में तूती के सामान है, पर मैं सिद्धांत रूप से उनकी मुहिम के खिलाफ नहीं हूँ. रही उनकी सफलता की बात, तो वर्तमान संवैधानिक व्यवस्थाओं यह बिलकुल असंभव है. अगले चुनाव के बाद ये अस्त सा हो जाएगा.
न. ४- कांग्रेसी लोग धक्का लगाकर राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी की तरफ ले जा रहे हैं, क्या आपको नहीं लगता है कि मोदी के व्यक्तित्व के सामने वह बहुत हल्का लगता है?
न. ६- अरे, मोदी से उसको क्यों तोलते हो? राहुल उसके सामने बच्चा लगता है क्योंकि वह धूर्त नहीं है. आज की राजनीति धूर्तता का दूसरा नाम है. इसलिए आगे चल पायेगा इसमें भी संदेह होगा.
न. ८- ये बात आपने बिलकुल सत्य कही है. अब देखिये चुनाव होने तक देश का माहौल क्या बनता है, कौन जानता है. अभी अभी 'द हिन्दू' अखबार में प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष जस्टिस काटजू ने जो बयान व अपील मोदी के खिलाफ दिया है उसमें उनको हिटलर जैसा खतरनाक बताया है: पर मैं कहे देता हूँ कि नए समीकरण बनेंगे, कॉग्रेस समर्थित बहुमत होने पर राहुल को कमान जरूर दे दी जायेगी? ये भी अभी प्रश्नवाचक है.
न. १- हम सब को आशावान रहना चाहिए, देश में भविष्य के बारे में आज जो मन्थन चल रहा है उसका अंजाम सही रहेगा.
आज की बहस का यहीं समापन किया जा रहा है.
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