ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब हम अपने खुद के अन्दर झाँक पाते हैं
और अपने अस्तित्व के बारे में सोचते हैं. मैंने पिछले महीने अपने एक लेख ‘ये
सत्य है’ में इसी प्रकार मन के एकाकी
भाव को लेखनी द्वारा उद्घाटित किया था. उस लेख में मेरी शारिरिक अस्वस्थता और नैराश्य
का आभास भी स्पष्ट था. अत: मेरे अनेक शुभाकाँक्षी मित्रों/पाठकों ने अपनी चिंता जताई
थी, शुभकामनाएँ भी भेजी थी.
इस बीच मैं आरोग्य परीक्षण
व ईलाज के लिए दिल्ली चला गया था, जहाँ ८ अप्रेल को मेरे बढ़े हुए ‘प्रोस्टेट ग्लैंड’ (पौरुष ग्रन्थि) का लेजर टैक्नीक से बिना चीरा लगाए आपरेशन
किया गया और अब मैं लगभग स्वस्थ हो गया हूँ तथा अपनी नियमित दिनचर्या में आ गया हूँ.
एक समय था लोग आपरेशन
के नाम से डरा करते थे क्योंकि उनकी सफलता संदिग्ध रहती थी. कई बीमार लोग बाद में कष्ट
पाते हुए काल कवलित हो जाया करते थे. ये संभावनाएं नीमहकीमों द्वारा किये गए ईलाज में
ज्यादा होती थी. पर आज देश/दुनिया के अच्छे शहरों में योग्य, अनुभवी सर्जन हैं, मेडीकल
साइंस की आधुनिकतम टेक्नोलॉजी व औषधियां उपलब्ध हैं.
मैं अपनी तकलीफ के सिलसिले
में जब RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital के चेयरमैन+मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉक्टर भीमसेन बंसल, ईस्ट आफ कैलाश, नई दिल्ली में मिला तो उन्होंने बताया
कि उन्होंने जयपुर के S.M.S. Medical College से सन १९५८ में डिग्री ली थी और उनका एक ही सपना था कि मरीजों को painless
surgery दी जाये. ८१ वर्षीय जवान डॉ. बंसल
के तहत आर. जी. स्टोन के नौ अस्पताल दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई में चल रहे हैं, जिनमें
फुलफ्लैश सुविधाएँ व विशिष्टता प्राप्त डॉक्टर तथा पैरा मेडीकल स्टाफ नियुक्त हैं. जिनकी
जितनी भी तारीफ़ की जाये कम होगी. हाँ, क्वॉलिटी की कीमत तो मरीजों को चुकानी ही पड़ती है, जो सामान्य अस्पतालों से बहुत ज्यादा है.
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