शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

मन की बात

ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब हम अपने खुद के अन्दर झाँक पाते हैं और अपने अस्तित्व के बारे में सोचते हैं. मैंने पिछले महीने अपने एक लेख ये सत्य है में इसी प्रकार मन के एकाकी भाव को लेखनी द्वारा उद्घाटित किया था. उस लेख में मेरी शारिरिक अस्वस्थता और नैराश्य का आभास भी स्पष्ट था. अत: मेरे अनेक शुभाकाँक्षी मित्रों/पाठकों ने अपनी चिंता जताई थी, शुभकामनाएँ भी भेजी थी.

इस बीच मैं आरोग्य परीक्षण व ईलाज के लिए दिल्ली चला गया था, जहाँ ८ अप्रेल को मेरे बढ़े हुए प्रोस्टेट ग्लैंड (पौरुष ग्रन्थि) का लेजर टैक्नीक से बिना चीरा लगाए आपरेशन किया गया और अब मैं लगभग स्वस्थ हो गया हूँ तथा अपनी नियमित दिनचर्या में आ गया हूँ.

एक समय था लोग आपरेशन के नाम से डरा करते थे क्योंकि उनकी सफलता संदिग्ध रहती थी. कई बीमार लोग बाद में कष्ट पाते हुए काल कवलित हो जाया करते थे. ये संभावनाएं नीमहकीमों द्वारा किये गए ईलाज में ज्यादा होती थी. पर आज देश/दुनिया के अच्छे शहरों में योग्य, अनुभवी सर्जन हैं, मेडीकल साइंस की आधुनिकतम टेक्नोलॉजी व औषधियां उपलब्ध हैं.

मैं अपनी तकलीफ के सिलसिले में जब RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital  के चेयरमैन+मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉक्टर भीमसेन बंसल, ईस्ट आफ कैलाश, नई दिल्ली में मिला तो उन्होंने बताया कि उन्होंने जयपुर के S.M.S. Medical College से सन १९५८ में डिग्री ली थी और उनका एक ही सपना था कि मरीजों को painless surgery दी जाये. ८१ वर्षीय जवान डॉ. बंसल के तहत आर. जी. स्टोन के नौ अस्पताल दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई में चल रहे हैं, जिनमें फुलफ्लैश सुविधाएँ व विशिष्टता प्राप्त डॉक्टर तथा पैरा मेडीकल स्टाफ नियुक्त हैं. जिनकी जितनी भी तारीफ़ की जाये कम होगी. हाँ, क्वॉलिटी की कीमत तो मरीजों को चुकानी ही पड़ती है, जो सामान्य अस्पतालों से बहुत ज्यादा है.
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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

पाती

पातीचोरों के नाम (१ अप्रेल )

मेरे अपने चोर बन्धु/बंधुओं,

ये दिल से लिखा गया पत्र मैं आपकी सहूलियत के लिए लिखकर रखे जा रहा हूँ. मैं हफ्ता-दस दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ. मुझे यकीन है कि आपको अपनी सेंधमारी में मेरे घर पर लटका हुआ ताला इसकी खुली जानकारी दे देगा।

आप अपने फन में बहुत अनुभवी हैं. इस बारे में समाचार मुझे रोज मिलते रहते हैं, पर आपको जानकार खुशी नहीं होगी कि मैंने अपने इस पक्के मकान की तमाम अलमारियाँ, दराजें, वार्डरोब, बक्से, सूटकेस सारे के सारे बिना तालों के खुले छोड़ रखे हैं ताकि आपको इनके ताले तोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े. सच तो ये है कि मैंने मन्दिर वाले कमरे में इष्ट के नाम के चंद सिक्कों के अलावा कोई नकद अथवा सोने चांदी के जेवर रखे ही नहीं हैं, क्योंकि सूने घर में इस प्रकार की कीमती चीजें रखना अनावश्यक मानसिक तनाव देता रहता. बाकी घर में गृहस्थी का सामान, लोहा-लक्कड़, यानि बर्तन, मेज, कुर्सी, सोफा, नए-पुराने बिस्तर-गद्दों से आप अपना शौक पूरा करना चाहें तो मुझे कोई दु:ख नहीं होगा. कपड़े- सूट, साड़ियाँ, सब वार्डरोब में टंगे है. इनमें कोई ताजा नहीं है, जिसे पाकर आप खुश हों. हाँ मेरी श्रीमती की बीस-तीस वर्ष पहले की कई नई साड़ियां जरूर हैं, जिनसे आप अपनी पत्नी/पत्नियों (अगर हों) को खुश कर सकते हैं. इसी बहाने मैं भी बाद में अपनी श्रीमती को नए फैशन की नई साड़िया भेंट करके प्रसन्न हो सकूंगा. कई सालों से कोई नयी साड़ी नहीं खरीद पाया हूँ.

मेरा वीडियोकॉन टी.वी. १४ साल पुराना है. रिपेयर भी खा चुका है. मैं चाह कर भी नया फ़्लैट-स्क्रीन टी.वी. नहीं खरीद पाया हूँ.  इसे ले जाओगे तो ठीक ही रहेगा। आपके बच्चे (अगर हों) तो कार्टून सीरियल देख कर जरूर खुश होंगे. उनकी खुशी में ही मेरी खुशी होगी. मेरी कार चुराना तुम्हारे लिए खतरनाक होगा क्योंकि मेरे गैरेज का शटर खोलते समय  बहुत कानफोड़ आवाज करता है. पड़ोसी बाहर निकल आयेंगे, हल्ला हो जाएगा. मेरा सन १९९२ का बजाज चेतक अच्छी हालत में है. इसमें अभी भी राजस्थान का रजिस्ट्रेशन नम्बर है. पिछले दस सालों से इसका रोड टेक्स व थर्ड पार्टी बीमा नहीं जमा हुआ है. मैं इसे फ्री में देना चाहता हूँ, पर कोई ले ही नहीं रहा है. आप अपना शौक पूरा करना चाहें या अपने बच्चों को स्कूटर सिखाना चाहें तो इससे अच्छा मौक़ा फिर नहीं आएगा.

रसोई में जो माइक्रोवेव अवन रखा है, वह मेरे बेटे ने अपनी माँ को भेंट में दिया था. बड़ा ही नाजुक कांच की परतों वाला है. इसे छेड़ने पर टूट जाएगा। ये बिकेगा भी नहीं. हाँ कमरों में टंगी/रखी घड़ियाँ सजावटी खिलौने आपके लिए मेरी अनुपम भेंट हो सकते हैं. बाथरूम में लगा गीजर व बेडरूम में लगा ए.सी. बहुत पुराने हो चुके हैं, इनकी अब कोई रीसेल वैल्यू नहीं है इसलिए इनको छेड़ने से कोई लाभ नहीं होगा. इसी तरह बाहर की तरफ खिड़कियों पर रखे एयर कूलर १२ साल पुराने हैं, इनको ले भी जाओ तो मुझे कोई गम होने वाला नहीं है. फ्रिज मेरा जरूर नया है, पर इसे बाहर निकालने पर खटपट होगी आपको लेने के देने पड़ सकते हैं. मेरे पड़ोसियों या किरायेदार को जाग हो जायेगी.

मन्दिर वाले कमरे में ही मेरी बुकसेल्फ़ है, जिसमें मेरी अमूल्य निधि किताबें व मेरी अपनी लिखी रचनाओं के संग्रह हैं. आपसे निवेदन है कि इनको बिलकुल नुकसान ना पहुचाएँ. ये सरस्वती है. श्राप दे सकती है.

अंत में आपको शुभकामनाएँ देते हुए ये पत्र समाप्त कर रहा हूँ. घर वापस आने पर आपसे अवश्य मुलाक़ात हो सकती है क्योंकि गुप्त स्थान पर लगे मेरे सी.सी. टी.वी. कैमरों में आपका आवागमन और प्यारी सलोनी सूरत मुझे कैद मिलेगी. अगर आपको ये कैमरे दिख भी जाएँ तो छेड़ना मत. इससे बड़ा अलार्म बजने लगेगा. जो खतरनाक होगा.

आपका अभिनव स्नेही,
एक गृहस्वामी 
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