गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

बैठे ठाले - 19

के.बी.सी के इसी सत्र में एक प्रश्न यह था, जिसमे वहां वर्णित चार विकल्पों में से कौन सा ‘दाल’ नहीं है: दाल चना, दाल मसूर, दाल अरहर, या दालचीनी? प्रतिस्पर्धी इसका उत्तर नहीं जानता था.

दालचीनी वास्तव में एक पेड़ की छाल होती है, जिसे मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है बहुत से लोगों को ये भी मालूम होगा कि तेजपत्ता के पेड़ की छाल ही दालचीनी कहलाती है. तेजपत्ता को अंगरेजी में ‘बे लीफ’ कहा जाता है. इंटरनेट खंगालने के बाद मालूम हुआ कि यह औषधीय वनस्पति केवल हिमालयी क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पाया जाता है.

तेजपत्ता को उसकी प्यारी महक व मिन्ट स्वाद के लिए चाय, सब्जी, दाल, चावल या बिरयानी में पकाया जाता है. आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थ ‘भाव प्रकाश’ में इसको अदरक, तुलसी, व हरड़ जैसी गुणकारी त्रिदोषनाशक वनस्पतियों की श्रेणी में रखा गया है. आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, इसमें प्रचुर मात्रा में विभिन्न प्रकार के गुणकारी खनिज पाए जाते हैं, जो कि रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता व रोग निवारण में अति लाभदायी होते हैं.

मेरा बचपन बागेश्वर (उत्तराखंड) के ग्रामीण आँचल में बीता है. कुमाउनी बोली-भाषा में तेजपात को ‘किडकिडिया” नाम से जाना जाता है. यह एक जंगली पेड़ होता था, और हम स्वाद की विशिष्टता लिए हुए इसके लुआबदार हरे पत्तों को चबाया करते थे; वहाँ के लोगों को तब इसके व्यावसायिक उपयोग की कतई जानकारी नहीं होती थी. जंगल के इस प्रकार के कई औषधीय वनस्पतियों का बेदर्दी से दोहन तब शुरू हुआ जब आजादी के बाद मोटर मार्ग बनने लगे. लोग बताते हैं कि लालची लोगों ने पेड़ों की खाल-पत्ते बाजार में पहुंचा कर इस प्रजाति को बड़ा नुकसान पंहुचाया है.

अब से कुछ वर्ष पहले मुझे काठगोदाम की एक नर्सरी से तेजपात का एक छोटा सा पौधा मिला। (इस नर्सरी में बीजों से पौध उगाई जाती है) मैंने इस पौधे को अपने घर-आगन में लगाया है. मुझे आज ये कहते हुए खुशी हो रही है कि इन पांच वर्षों में ये करीब पंद्रह फुट ऊंचा छायादार वृक्ष होकर पल्लवित होता रहता है. मेरे मोहल्ले के गुणी जन भी इसके ताजे पत्तों के लिए लालायित रहते हैं.
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