शनिवार, 16 नवंबर 2013

ओल्ड इज गोल्ड

अंग्रेजी में एक कहावत है ‘देयर इज नो शॉर्टकट टु एक्सपीरियंस’, इसी को हिन्दी के एक कहावत में यों भी कहा गया है, ‘अक्ल और उम्र की भेंट नहीं होती है.’

प्राचीन साहित्य में, धार्मिक पुस्तकों या कथा-पुराणों में जो बातें लिखी रहती हैं, वे बहुत तपने के बाद बाहर आई हुई रहती हैं. संस्कृत में उन बातों को आप्तोपदेश कहा जाता है. विज्ञान हो या कोई अन्य प्रयोग, जिनकी हमें जानकारी हो जाती है, उनको फिर से जड़ मूल से खोदने की जरूरत नहीं होती है यानि बुजुर्गों के कथन या अनुभवों पर विश्वास किया जाता है.

एक छोटा सा दृष्टांत बुजुर्गों के अनुभव के सम्बन्ध में सुना जाता है कि पुराने समय में एक गाँव में किसी नौजवान लड़के की शादी तय हो गयी. लड़की वाले बड़े चुहुलबाज थे. शर्त रख दी कि बारात में केवल नौजवान लड़के ही आने चाहिए. लड़के के बाप को इस शर्त में कुछ रहस्य सा लगा तो उसने गाँव के एक होशियार बुजुर्ग (wise man) को ढोल बाजे के अन्दर छिपा कर ले जाने का निर्णय लिया.

देर शाम जब बारात गाँव में पहुँची तो लड़की वालों की तरफ से संदेशा दिया गया कि उनके गाँव का रिवाज है कि दूल्हे को लड़की वालों को एक बीस गाँठ वाला बाँस देना होता है.

बड़ी अटपटी बात थी, पर जब wise man  ने पुछवाया कि बाँस की लम्बाई और मोटाई कितनी होनी चाहिए तो उत्तर मिला, ‘लम्बाई-मोटाई कितनी भी हो उसमें बीस गाठें होनी चाहिए.’

छुपे हुए wise man ने अपने लोगों को निर्देश दिया कि ‘नदी तट या दलदल में लम्बी लम्बी दूब जड़ डाले हुए उगी रहती है. तुम बीस गाँठ वाली लम्बी दूब उखाड़ लाओ. इस प्रकार बीस गाँठ से भी ज्यादा गांठों वाली दूब-बाँस लड़की वालों को पेश की गयी तो लड़की वाले समझ गए कि बारात में जरूर कोई बुजुर्ग लाया गया है. और ठिठोली करते हुए ब्याह हो गया. उस बुजुर्ग की बुद्धि की सराहना करते हुए सम्मानित किया गया.

इसीलिए कहा गया है कि ‘ओल्ड इज गोल्ड’, पर संभल के, ये फार्मूला सब जगह फिट नहीं होगा.
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4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (17-11-2013) को "लख बधाईयाँ" (चर्चा मंचःअंक-1432) पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    गुरू नानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा (गंगास्नान) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बड़ी अटपटी बात थी, पर जब wise man ने पुछवाया कि बाँस की लम्बाई और मोटाई कितनी होनी चाहिए तो उत्तर मिला, ‘लम्बाई-मोटाई कितनी भी हो उसमें बीस गाठें होनी चाहिए.’

    छुपे हुए wise man ने अपने लोगों को निर्देश दिया कि ‘नदी तट या दलदल में लम्बी लम्बी दूब जड़ डाले हुए उगी रहती है. तुम बीस गाँठ वाली लम्बी दूब उखाड़ लाओ. इस प्रकार बीस गाँठ से भी ज्यादा गांठों वाली दूब-बाँस लड़की वालों को पेश की गयी तो लड़की वाले समझ गए कि बारात में जरूर कोई बुजुर्ग लाया गया है. और ठिठोली करते हुए ब्याह हो गया. उस बुजुर्ग की बुद्धि की सराहना करते हुए सम्मानित किया गया.

    बहुत सुन्दर प्रसंग कहानी किस्सों की मार्फ़त ज्ञान देने की कला में पारंगत हैं एक भाई पुरुषोत्तम पाण्डे।

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