बापू, हम शर्मिन्दा हैं!
नाथूराम गोडसे किसी व्यक्ति
का नाम नहीं रहा है. यह एक विचारधारा है, जिसने हमारी सहिष्णुता की चूलें हिला दी हैं.
जिस हिंसा और घृणा के विरुद्ध आपने अपनी जान गँवाई थी, आज उसका मखौल बनाया जा रहा है.
आपकी जय गाने वाले सभी राजनेता सिर्फ सत्ता सुख चाहते हैं. किस किस का नाम लूं, सबने कई कई मुखोटे पहन रखे हैं.
शहीद भगतसिंह के जन्मदिन पर एक नामधारी ‘स्टेज कवि’ ने चटखारेदार अकविता सुनाई जो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुयी कि :
“अच्छा हुआ करेंसी नोट पर तुम्हारा फोटो नहीं छपा
तुम बच गए बाबू
वरना तुम भी गांघी की तरह ही-
वेश्याओं के कोठों पर
बेचे जाते”.
हम तो बचपन से सुनते आये
हैं, ‘पोरबंदर गुजरात देश में एक ऋषि ने जन्म लिया..., दे दी हमें आजादी
बिना खड्ग बिना ढाल.’ लेकिन आज आपके गुजरात में सताधारी लोगों
के खिलाफ आवाज उठाने वालों की बोलती बंद कर दी गयी है. मूल मन्त्र वही है, ‘आजादी
मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, केवल उसके मायने बदल गए हैं.
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
की फाईलें खोलने वाले खुले आम आरोप लगा रहे हैं कि उनके अदृश्य होने में आपका और आपके
चेले नेहरू का हाथ था. अग्रगण्य लोग आसमान की तरफ थूक रहे हैं, और आम आदमी ताली बजा
रहा है. देश के अधिकांश अखबार और
टी.वी. चेनल्स पूरी तरह व्यवसायिक हो गए हैं / बिक
चुके हैं. सभी को पद्मश्री, पद्मभूषण की दरकार लगती है. मैंने भी ये दुर्दशा देखकर
एक तुक्तक लिखा है. अग्रिम क्षमा भी चाहता हूँ.
गांधी को गुजरे अब बरस
हो गए
देश में उनके अनेक वरिस हो
गए हैं
नॅशनल पार्क में मैं देख
रहा हूँ गांधी को कैद
एक चील आकर उनपर सवार
हो गयी.
कहते थे गांधी ने जमाने
को ‘बीट’ कर दिया
मैं देख रहा हूँ चील ने
गांधी पर बीट कर दिया.
गांधी से चील बड़ी है
तभी तो माथे पर खडी है.
अब गांधी के ताबूत को
हटा दो
इसकी जगह चील का ताबूत
जड़ा दो.
***
आप के ब्लॉग की जितनी भी तारीफ की जाए कम है आज पेपर में आपके आर्टिकल को देखा में मुझे बहुत अच्छा लगा मैं भी अपने ब्लॉग पर काम रहा है हु जो की मनोरंजन से सम्बंधित है शायद आपको पसंद आये http://guruofmovie.blogspot.in
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