सोमवार, 4 दिसंबर 2017

अटलांटिक के उस पार - ७


टेक्सास वूमंस युनिवर्सिटी (TWU)
कहा जाता है कि यूनाइटेड स्टेट्स में भी प्रजातंत्र को पूरी तरह से स्थापित होने में लगभग दो सौ वर्ष लगे थे. अब यहाँ की कई विशेषताओं में से एक ये है कि स्त्री तथा पुरुष के अधिकार व कर्तव्य के क्षेत्रों में कोई लिंग भेद नहीं है. महिलायें हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चला करती हैं, चाहे वह राजनीति हो, शिक्षा हो, या कोई अन्य क्षेत्र; इसका कारण १००% शिक्षित होना है. १२वीं कक्षा तक सबकी पढ़ाई बिना फीस के होती है. कॉपी-किताबें भी स्कूल से मुहय्या की जाती हैं. भारत की तरह स्कूलिंग में कोई व्यापारिक दृष्टिकोण नहीं है, हालाँकि यहाँ पर भी पैसे वालों के लिए प्राइवेट स्कूल होते हैं. जो कोई अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजता या होम-स्कूल नहीं करता है, उसे सजा मिला करती है.

उच्च शिक्षा के लिए जागरूकता इस बात से जाहिर होती है कि यहाँ हर उम्र के लोग कॉलेजों में पढ़ने जाया करते हैं. कई लोग जो किसी आर्थिक या पारिवारिक विवशता के कारण कम उम्र में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, या अपना फील्ड बदलना चाहते हैं, या स्वयं का विकास करना चाहते हैं, वे किसी भी उम्र में यूनिवर्सिटीज में दाखिला ले सकते हैं, और उन्हें हर तरह का प्रोत्साहन दिया जाता है.  

टेक्सास वूमंस युनिवर्सिटी, अमेरिका की एक नामी संस्थान है, जो डेंटन शहर में २७० एकड़ जमीन में स्थापित है, इसके दो हेल्थ साइन्स वाले ब्रांच भी हैं, जो डेलास व ह्यूस्टन में स्थापित हैं. इस युनिवर्सिटी की स्थापना सन १९०१ में कुछ अग्रणीय महिला संगठनों ने की थी. इसकी प्रसिद्धि नर्सिंग एजुकेशन, हेल्थ केयर प्रोसेसिंग, न्यूट्रीशन के अलावा आर्ट, साइंस, तथा बिजनेस के समस्त विषयों में है. सन १९९३ के बाद इसे को-एजुकेशन के लिए भी खोल दिया गया. वर्तमान में १५,००० स्टूडेंट्स इसमें पढ़ाई कर रहे हैं. डेंटन कैंपस में "Blagg-Huey Library" नामक  विशाल पुस्तकालय है, जिसमें ४२,००० से अधिक पुस्तकें व पढ़ाई के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं.

मुझे इस विश्वविद्यालय में घूमकर देखने का सौभाग्य इसलिए प्राप्त हुआ कि मेरी बेटी गिरिबाला इन दिनों यहाँ अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स की डिग्री लेकर अब पी.एच डी कर रही  है ,  साथ ही बतौर Graduate Teaching Assistant के यहाँ पढ़ाती भी है. गिरिबाला ने कई वर्ष पहले जयपुर के निकट बनस्थली विश्वविद्यालय से Inorganic Chemistry में प्रथम श्रेणी M.Sc. की डिग्री भी हासिल की थी. गत वर्षों में अमेरिका में रहते हुए उसने अपना लेखन व ज्ञानार्जन का शौक जारी रखा है. मैं अपने पाठकों को ये शुभ सूचना भी देना चाहता हूँ कि गिरिबाला की बेटी सौभाग्यवती डा हिना जोशी रेसिंग ने गत वर्ष ज्योर्जिया मेडीकल कॉलेज से रेडियोलाजी में M.D. की डिग्री हासिल कर ली थी.

यूनिवर्सिटी कैम्पस के विहंगम दृश्य, विशेषकर लायब्रेरी की व्यवस्था, देखकर जो अकल्पनीय जानकारियां मिली हैं, उन्हें मैं अपने सुधी पाठकों तक पंहुचाने में खुशी महसूस कर रहा हूँ.
क्रमश:
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1 टिप्पणी:

  1. ये आलेख दिसम्बर 2017 का है, M.A. करने के बाद मेरी बेटी गिरिबाला जोशी इसी युनिवर्सिटी से Phd. कर रही है

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