शनिवार, 3 सितंबर 2022

जाले: घोड़ा उड़ सकता है

पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व सवाई माधोपुर के बीच नीले पत्थरों की खेप पाई. वह कुछ नमूने अपने साथ इंग्लैण्ड ले गया. एनेलिसिस के बाद पाया कि पत्थर हाई ग्रेड लाइम स्टोन है जो सीमेंट बनाने के लिए अति उपयुक्त है. इस प्रकार मुम्बई के कुछ उद्योगपति व बूंदी के हाड़ा  नरेश के साथ मिलकर ‘BBB’ ब्रांड से सीमेंट बनाने की एक छोटी सी इकाई की स्थापना लाखेरी में की गयी. उस समय की वह नवीनतम टैक्नोलाजी आज की तुलना में काफी पुरानी थी.  

सन १९३७ में कई सीमेंट कंपनियों ने एकीकरण करके नई कम्पनी ACC  बनाई, लाखेरी यूनिट भी उसमें समाहित हो गयी. लखेरी मुख्य रेलवे लाइन के पास था. रा-मैटीरियल चूना पत्थर प्रचुर मात्रा में था, मजदूर सस्ते और उपलब्द्ध थे, पानी के लिए मेज नदी थी. कारखाना खूब मुनाफ़ा देता रहा.

मालिकों (शेयर होल्डर्स) उद्योग चलाने के लिए प्रोफेशनल नियुक्त कर रखे थे. आजादी के बाद पारसी उद्योग-पतियों का इसमें बर्चस्व रहा, टाटा भी बड़े शेयर होल्डर थे

शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

श्रीमती लता काकू - कथा साहित्य में आज जिनकी चर्चा है.

मेरे हाथों में श्रीमती लता काकू द्वारा लिखित एक ३३ कहानियों के संकलन की एक सुन्दर पुस्तक है, पुस्तक अंगरेजी भाषा में है, नाम है A ROUGE PLANET & other stories. ये अद्भुत पुस्तक www.tgist.com  (जयपुर ) द्वारा अभी २०२१ में प्रकाशित हुयी है.

एसीसी के रिटायर्ड प्लांट हेड श्री पी.के.काकू की अर्धांगिनी'एक  'विदुषी महिला हैं' ये बात मैंने अपने एक लेख में  दस वर्ष पूर्व तब लिखी थे जब चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट  उनकी एक कृति को सम्मान  देते हुए प्रकाशित किया था. उनकी बहुमुखी प्रतिभा की छाप इस नई कहानी संग्रह में साफ़ झलकती है. 

पुस्तक के प्राक्कथन में जो   दिया गया है उसके अनुसार श्रीमती काकू ने  दिल्ली युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के साथ ही स्कूल आफ जर्नलिज्म से डिग्री हासिल की और स्वतंत्र लेखन रही. यूथ टाइम्स, टाइम्स आफ इंडिया, ईव्ज वीकली, द हिन्दू, द हिन्दुस्तान टाइम्स करावांन आदि अंगरेजी  पत्र -पत्रिकाओं उनके आर्टिकल रहे हैं. इस पुस्तक में छपी  कहानी 'there are more things in Heaven उनकी पहली शार्ट स्टोरी थी. IGNOU से  creative  writings का कोर्स  बाद ाल इंडिया रेडियो के  स्क्रिप्ट राइटिंग व रेडियो टॉक्स भी उनके खाते में है,

इन सके साथ ही उनको हमने एक सदगृहणी  के रूप में देखा है सिम्पल सरल हंसमुख इस लेखिका को अंगरेजी भाषा में कमाण्ड है, सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं को बखूबी अपनी  उकेरा है.हर कहानी अलग अलग परिदृश्य हुए है. पठनीय है.-किताब का अंतर्राष्ट्रीय कोड है 978-81-953958 -7- 4 .

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बुधवार, 8 सितंबर 2021

सामयिकी

 आप मुझसे सहमत हों या ना हों पर मैं आज के हालात पर देश में चल रहे किसान आन्दोलन का पूरी तरह समर्थन करता हूँ.केंद्र सरकार ने जिस तरह इस बड़ी समस्या के प्रति बेरुखी अपनाई  है वह अत्यंत दुखदाई और निंदनीय है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में जो कमेटी बनाई थी  उसकी रिपोर्ट मार्च महीने में ही आ चुकी थी, उसे सार्वजनिक करके देश को वास्तविकता की जानकारी दी जाए..

इस विषय में तमाम विदेशी मीडिया ने खूब भद्द उड़ाई है, ये  राजनैतिक  कैंसर ना बन जाए इसलिए इसे अब और लंबा थकाऊ  ना करके सम्मानजनक निराकरण आवश्यक है.

गुरुवार, 2 सितंबर 2021

किसी को भला लगे या बुरा

 मोदी जी के सत्ता में आने के बाद कुछ ऐतिहासिक कार्य अवश्य हुए है जैसे सार्वजनिक सफाई अभियान, जम्मू कश्मीर से धारा ३७० हटाकर लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा , बरसों से विवादित राम मंदिर का अहम् मुद्दा, देश की अंतर्राष्टीय छबि  काफी हद तक में सुधार आदि। 

प्रचंड बहुमत के रहते सरकार ने अनेक मनमाने आदेश/क़ानून बनाये, बरसों की मेहनत से बने श्रम कानूनों में उद्योगपतियों के हित निरस्त  किया, किसान आंदोलन का मुद्दा अभी भी मुंह बाए खड़ा है ये अनदेखी भविष्य में क्या गुल कहलाएगी कहा नहीं जा सकता है, रेलवे तथा अन्य कमाई उद्योगों का निजीकरण साफ़ तौर पर दिखाता है की इसके पीछे कुछ गण्यमान्य मित्रों को नवाजा जा रहा है.

मीडिया पर लगाम / लालच की बंदिश साफ़ महसूस की जा रही है,न्यायपालिका कहने को स्वतंत्र है लेकिन हमने अनुभव किया है कि सब गिरफ्त में चल रहे हैं  धार्मिक असहिष्णुता हर तरफ घोल दी गयी है, प्रचार माध्यमों पर करोड़ों अरबों न्यौछावर किये जा रहे हैं, ऐसा लगाने लगा है की सरकार का लक्ष सिर्फ चुनाव जीत रह गया है. नामनिहाल बुद्धिजीवी, विपक्षी नेता सब जैसे अंडरग्राउंड हो चले है क्योंकि सोचते हैं कि  इनसे कौन पंगा ले,जो पंगा लेने की स्थिति  में हैं भी सरकारी छापोपों व यातनाओं के दर के मारे चुप हैं.

अब आप कहते हो की आप मनमानी भी करो और कोई आवाज भी ना उठाये, पेट्रोलियम पदार्थ और रसोई गैस की बेतहाशा बृद्धि क्या मोदी जी को नहीं दिख रही  होगी? कहने इस लूट का पैसा सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में खर्च हो रहा है, पर  कितने लोगों को ये सुलभ है? सच ये भी है कि देश वर्ड बैंक के कर्ज में डूबा हुआ है, ऐसा समय भी आ सकता है की आप व्याज की पूरी क़िस्त भी ना दे पाएं।

आज सोसल मीडिया पर केवल हिन्दू_मुस्लिम के विद्वेष भरे सन्देश प्रसारित किये जा रहे हैं, कट्टरता किसी भी व्यक्ति या राजनैतिक दल द्वारा अपनाई जा रही हो. घोर निंदनीय है. 

ये भी सत्य है कि सीधे तौर पर मोदी जी का को विकल्प नहीं दीख रहा है, पर मित्रो आपको आवाज तो उठानी पड़ेगी।

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रविवार, 29 अगस्त 2021

वे सुनहरे दिन

 साठ साल पहले की बात है, मैं लाखेरी में नवांगुतक था , मुझे एसीसी कालोनी में L - १६ क्वाटर  आवंटित था, अविवाहित दिनों में मैंने अपने ही जैसे कुंवारे लोगों से जल्दी ही दोस्ती कर ली थी. इनमें स्व विष्णु बिहारी दीक्षित भी थे जो कि तब उदयपुर से MSW करके एसीसी में जॉब की तलाश में थे, उनके साथ ही एक लड़का शर्मा (नाम मुझे याद नहीं रहा) जिनके पिता उन दिनों लाखेरी स्थित  सेंट्रल एक्साइज के डिपुटी सुपरिंटेंडेंट हुआ करते थे भी उदयपुर स्कूल आफ सोसियल वर्क से ही  MSW कर के आये थे, इनके अलावा सेंट्रल एक्साइज के दो सब इंस्पेक्टर्स  सरदार गुरनामसिंह और प्रकाशचंद्र श्रीवास्तव तथा जीवन बीमा के फील्ड आफीसर वोहरा भी चौकड़ी के सदस्य बन गए थे. मेरा क्वाटर बैठक का अड्डा हो गया था और दोस्ताना गतविधियां चला करती थी. कभी कभी विशेष पकवान / खाना बनाने के लिए एक मि. खन्ना को भी बुलाया जाता था वे नौशेरवाँ टाकीज के सिनेमा के एजेण्ट होते थे , ता हम लोग फ्री में सिनेमा देखने का बी मजा लेते थे हालांकि फर्स्ट क्लास का टिकट मात्र सवा रुपया ही हुआ करता था.

ये सब केवल एक ही साल चला उसके बाद सब अच्छ गच्छ गच्छामि हो गया. मैं भी शादी शुदा लोगों की लिस्ट में जुड़ गया था.

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