सोमवार, 16 जुलाई 2012

गीत -४

बागों में बहार या हो यौवन निखार में
खिलते हैं गुल हजार उसके इक दीदार में.

खुशियों मे वो हंसी है, वो है दवा दरद में
मतलब शबाब का अब आ गया समझ में.

हजारों चाँद जड़ दिये ज्यों इक चाँद में
चार चाँद लग गए, किसी के भाग में

किसी और को जो ना मिला, रूप वो मिला है
है खुशनसीब वो, जिसे तुझसे दिल मिला है.

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