शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

चुहुल - ३२

(१)
कक्षा में देर से पहुँचने पर अध्यापक ने लड़की से कारण पूछा. लड़की बोली, “सर, मैं पैदल ही स्कूल आती हूँ, रास्ते में एक लड़का मेरा पीछा कर रहा था इसलिए आज देर हो गयी.”
“तब तो तुम्हें और भी जल्दी आ जाना चाहिए था?” अध्यापक ने जानना चाहा.
लड़की ने बताया, “सर, वह लड़का बहुत धीरे धीरे चल रहा था.”

(२)
तीन लोग शराब के नशे में धुत्त होकर दिल्ली के लाजपत नगर के एक बार से बाहर निकले. सामने एक खाली टैक्सी देख कर झूमते हुए उसमें जा बैठे.
टैक्सी ड्राइवर ने पूछा, “साहब कहाँ चलना है?”
एक बोला, “महरौली चल.”
ड्राइवर ने हालात पर थोड़ा सोचा और फिर गाड़ी स्टार्ट करके डिफेन्स कॉलोनी में घुमा कर उसी जगह पर वापस ले आया. जोर से बोला “साहब महरौली आ गया.”
तीनों लोग लड़खड़ाते हुए उतरे. एक ने किराया पूछा तो ड्राइवर ने कहा “तीन सौ रूपये.”
उसने झट से तीन सौ रुपये ड्राइवर को दे दिये. दूसरा आदमी ज्यादा नशे में लगता था, बोल नहीं पा रहा था. तीसरे ने ड्राइवर को एक थप्पड़ जड़ दिया. ड्राइवर समझा उसकी चालाकी पकड़ी गयी.
तीसरा आदमी गुस्से में बोला, “साले, इतनी तेज गाड़ी चलायी. अगर एक्सीडैंट हो जाता तो?”
ड्राइवर चुपके से वहाँ से आगे निकल लिया.

(३)
एक अध्यापक कुर्सी पर बैठे बैठे बड़ी देर से अपनी कार की चाबी से सर खुजा रहे थे.
एक विद्यार्थी पास आकर बोला, “सर, स्टार्ट नहीं हो रहा है तो मैं धक्का लगाऊँ?”

 (४)
एक लड़का यूं ही गप मार रहा था कि “कल रात मेरे घर के बरामदे में एक शेर आकर बैठ गया. पापा ने फ्रिज से ठंडा पानी निकाल कर उस पर उड़ेल दिया, तब जाकर वह वहाँ से गया.”
यह सुन कर वहां उपस्थित एक डॉक्टर का बेटा बोला, “अच्छा, तुमने डाला था ठंडा पानी? तभी वह शेर आज जुकाम की दवा लेने मेरे पापा की क्लीनिक पर आया था.”

(५)
रेल के दूसरे दर्जे के जनरल डिब्बे में इस कदर भीड़ थी कि संडास तक में लोग खड़े थे. ग्रामीण परिवेश की एक वृद्ध महिला बड़ी देर से लघुशंका के लिए परेशान थी. सुबह सुबह जब रेल दिल्ली स्टेशन पर पहुँची तो उसने बाहर निकलते ही दीवार के सहारे बैठकर पेशाब कर दिया.
एक पुलिस के सिपाही की नजर उस पर पड़ी तो डाँटते हुए बोला, “ए बुढ़िया, यहाँ पेशाब करना मना है. तू चल थाने या पाँच रूपये निकाल.”
बुढ़िया डर गयी और अपने खीसे में से बड़े दर्द के साथ पाँच रुपयों का नोट निकाल कर सिपाही को दे दिया.
सिपाही नोट लेकर चल दिया और पास में ही एक चाय के ठेले पर जाकर चाय पीने लगा. बुढ़िया की नजर उसी पर थी. जब सिपाही ने वही पाँच रुपयों का नोट चाय वाले को दिया तो पास जाकर सिपाही से कुढ़ कर बोली “मैं नहीं मूतती तो तू क्या पीता?”

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