मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

पुदीना एक दिव्य औषधि

हमने पुदीने के बारे में कभी गंभीरता से सोचा ही नहीं जबकि बचपन से ही पुदीने वाली तरह तरह की चटनी का स्वाद लेते रहे हैं. गाँव-घरों में पनियारी के पास, जहाँ नियमित पानी लगता है, पुदीना उगाया जाता है. शहरों में कई लोग छत पर गमलों में पुदीना उगाए रहते हैं. हमारे देश में लगभग सभी सब्जी मंडियों में पुदीना आसानी से उपलब्ध रहता है. सस्ते में भी मिल जाता है. सार यह है कि अनादिकाल से हम पुदीने का घरेलू उपयोग करते आ रहे हैं. इसे एक खुशबूदार मसाले के रूप में लिया जाता है. अब यह जानकार खुशी और आश्चर्य होता है कि इस संजीवनी बूटी की महत्ता उससे कहीं ज्यादा है, जितना हम को ज्ञात है.

यह मेंथा वंश से सम्बंधित बारहमासी पौधा है, जो विश्व भर में उगाया जाता है. बहुत ज्यादा पानी तथा बहुत ज्यादा ठण्ड में नष्ट होने लगता है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब फैलता है. इसकी पत्तियाँ बेहतरीन खुशबू के साथ साथ तमाम औषधीय गुणों से भी भरपूर होती हैं. देशांतर के अनुसार इसकी कई प्रजातियां भी होती हैं. भारत में मुख्यत: तराई क्षेत्रों में इसकी व्यवसायिक खेती की जाती है.

अंग्रेजी में इसे ‘मिन्ट’ व वैज्ञानिक शब्दकोष में ‘मेंथा अरवैन्सिस’ कहा जाता है. इसके पत्तों से मिन्ट तेल निकाला जाता है, भारत में प्रति वर्ष १५०० टन तेल का उत्पादन होना बताया जाता है.

वैसे तो पुदीना हमारे घरेलू उपयोग में भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए चटनी, शिकन्जी में डालने, सॉस में डालने या रायते में मिलाने के काम आता है, जो स्वाद तो देता ही है, साथ ही पाचन क्रिया में बहुत सहायक होता है. शोध से यह सिद्ध किया गया है कि इसमें जो एंजाइम्स होते हैं वे कैंसर रोधी भी होते हैं.

मेंथा आइल का प्रयोग मीठी गोलियाँ बनाने, दंतमंजन बनाने, दर्द के बाम बनाने, च्यूइंगम बनाने, दवाओं में डालने, सौंदर्य प्रसाधन तैयार करने, पेय पदार्थ बनाने, एयर-फ्रेशनर बनाने तथा पान-मसाले जैसे सार्वजनिक उपयोग की वस्तुएं बनाने में किया जाता है.

दादी नानी के नुस्खों में भी पुदीने का प्रयोग अनेक घरेलू उपचारों में होता रहा है, जैसे पेट् दर्द, लीवर सम्बन्धी रोग, जलोदर, महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, कील-मुहांसों में लेपन आदि. भूख बढ़ाने के लिए गन्ने के रस में मिलाकर पिलाया जाता है. अन्जीर के साथ लेने से श्वशनतंत्र में अटका हुआ बलगम आसानी से बाहर आ जाता है.

कुछ आयुर्वैदिक दवा कंपनियां ‘पुदीन हरा’ नाम से इसका अर्क कैप्स्यूल में बेचा करती हैं. बच्चों के उदर शूल में ये बहुत लाभकारी होता है. यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी पुदीना के अनेक औषधीय अनुपान बताये गए हैं. कुल मिलाकर पुदीना एक दिव्य औषधीय बूटी है, जिसका नियमित प्रयोग करना चाहिए.

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3 टिप्‍पणियां:

  1. निश्चय ही स्वास्थ्य के लिये बहुत ही उपयोगी है।

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  2. आभासी दुनियां में भटकते हुए आपके ब्लॉग तक पहुंचा, आपके बुने हुए जालों में उलझना अच्छा लगा,
    औषधीय गुणों से युक्त पुदीना के बारे में विस्तार से जज्कारी साझा करने हेतु आभार व्यक्त करता हूँ........

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  3. पुदीने के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली .... आभार

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