गुरुवार, 17 जनवरी 2013

चुहुल - ४२

(१)
एक पत्नी अपने पति को आक्रोशित स्वर में बता रही थी, “मुझे इन भिखारियों से सख्त नफ़रत हो गयी है.”
पति ने पूछा, “ऐसी क्या बात हो गयी गई है?”
पत्नी बोली, “कल मैंने एक भिखारी को भोजन कराया था, आज सुबह वह मुझे एक किताब देकर गया, जिसका नाम है, 'खाना बनाना सीखो.'"

(२)
एक बच्चा दूध पीने से मुँह चुराता था. उसकी मम्मी ने उससे कहा, “बेटा, दूध में कैल्शियम होता है, इसको पियोगे तो बढ़िया गोरे लगोगे.”
बच्चा बोला, “मम्मी ये बात कुछ जमी नहीं.”
मम्मी ने पूछा, “क्यों?”
बच्चे ने कहा, “अगर दूध पीने से गोरे होते तो भैंस का बच्चा काला क्यों रह जाता?”

(३)
एक लेखक अपनी रचना लिखने के लिए गंभीर चिन्तन में थे पर उनके तीनों बच्चे उधम करते हुए हल्ला कर रहे थे. लेखक महोदय का ध्यान बिगड़ गया. वे गुस्से में अपनी श्रीमती को आवाज देकर बोले, “अरे, अपनी इन औलादों को यहाँ से ले जाओ."
इन शब्दों पर श्रीमती को चिढना ही था. बोली, “हाँ, हाँ, इन औलादों को मैं मायके से दहेज में जो लाई थी.”
लेखक महोदय का गुस्सा और बढ़ा. वे उत्तर में बोले, “नहीं, नहीं, मैं ही इनको बराती बनाकर वहाँ लाया था.”

(४)
एक बुजुर्ग अपने लड़के के आफिस में जाकर मैनेजर से बोले, “मेरा बेटा आपके ऑफिस में काम करता है. क्या मैं उससे मिल सकता हूँ?”
मैनेजर ने गौर से देखा फिर कहा, “खेद है कि आप कुछ देर से पहुचे हैं, आपका बेटा आपका अन्तिम संस्कार के लिए छुट्टी लेकर अभी अभी यहाँ से गया है.”

(५)
एक आदमी राह चलते बेहोश हो गया. देखते ही देखते वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गयी. उसे जब थोड़ा होश आया तो उसने एक लाल शर्ट वाले आदमी को कहते हुए सुना, “अरे, इसके मुँह में थोडी ब्रांडी डालो, उससे ये ठीक हो जायेगा.”
यह सुन कर वह फिर लेट गया. लोग जूता सुंघाते उससे पहले ही वह बोल  उठा, “उस लाल शर्ट वाले की बात भी तो सुन लो.”
***

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का . व्यंग्य विनोद भला क्लागे है आपके संग .

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  2. आपके व्यंग्य विनोद का सरस शैली का ज़वाब नहीं आपकी टिपण्णी हमारे लिए बेशकीमती है आंच है हमारे लेखन की .ईंधन है हमारा .

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