(१)
जय और वीरू पक्के दोस्त थे. एक दिन जब जय ने सुना कि वीरू दहाडें मार कर रो रहा है तो वह सारे काम छोड़ कर वीरू की कुशल लेने दौड़ पड़ा. वहां पहुँचा तो पाया सचमुच वीरू बुक्का फाड़ कर रो रहा था और हिचकियाँ ले रहा था.जय: क्या हो गया? इतनी बुरी तरह क्यों रोये जा रहा है?
वीरू: यार मेरी मुर्गी मर गयी है.
जय: इसमें इस तरह रोने की क्या बात है? मैं तो अपने बाप मरे में भी इतना नहीं रोया था.
वीरू: पर तेरा बाप अंडे थोड़े दिया करता था.
(२)
एक आदमी ने अपने एक लीचड़ पड़ोसी से कहा, “काफी दिन हो गए हैं, अब तो मेरा छाता वापस कर दो.”लीचड़ पड़ोसी बोला, “कौन सा छाता? जहाँ तक मुझे याद है, मैंने कभी आपसे छाता माँगा ही नहीं होगा. अगर माँगा भी होगा तो लौटा दिया होगा और अगर नहीं लौटाया होगा, तो अब लौटाऊंगा भी नहीं क्योंकि बारिश होने वाली है.”
(३)
तब एक पान की कीमत दो रूपये हो गयी थी, लेकिन बाबूलाल जी पुराने ग्राहक थे इसलिए एक रुपया ही दिया करते थे. पनवाड़ी ने कई बार कहा कि अब पान की कीमत बढ़ गयी है, पर वे अक्खड़ आदमी थे, उधार करते नहीं थे. पहले रुपया फैंकते थे फिर गिल्लोरी पकड़ते थे. शायद पनवाड़ी ने उनके पान में मसाले कम डालने शुरू कर दिये थे.आज जब वे पान की दूकान पर आये तो एक रुपया पनवाड़ी की तरफ उछालते हुए बोले, “भाई पान बढ़िया लगाना. लौंग-इलायची व मीठा मसाले के अलावा खुशबू के लिए कोने में जरा किमाम भी लगा देना.”
पान वाला मुस्कुराते हुए बोला, “आप कहें तो ये सिक्का भी इसी में डाल दूं.”
(४)
एक नवयुवक बड़ी हिम्मत करके बांकेलाल आढ़तिया के पास पहुँच कर संकोच के साथ बोला, “अँकल जी, मैं आपकी बेटी निम्मी से शादी करना चाहता हूँ.”बांकेलाल जी की स्थिति यह थी कि उनके घर में बीवी का राज रहता था. उसकी पसन्द-नापसंद से ही सारे काम चलते थे. बांके लाल कुछ सोचकर बोले, ‘तुम निम्मी की माँ से मिले?”
युवक बोला, “नहीं अँकल जी, मुझे तो निम्मी ही पसन्द है. मैं उसकी माँ को पसन्द करके क्या करूँगा?”
(५)
एक आदमी का मकान चिड़ियाघर के नजदीक में ही था. अपनी झगड़ालू पत्नी से तंग आकर वह बाहर निकला और सीधे चिड़ियाघर में जाकर एक शेर के खाली पिंजरे में सुरक्षित महसूस करते हुए सो गया.उसकी पत्नी जब उसको तलाशते हुए उस पिंजड़े के पास पहुँची तो उसे देख कर बोली, “कायर कहीं के, मेरे डर के मारे यहाँ शेर के पिंजड़े में छुपे हो, निकलो बाहर.”
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