बुधवार, 14 अगस्त 2013

चुहुल - ५६


(१)
दो मकान एक साथ बने हुए थे. उनके बीच की साझा दीवार बहुत पतली थी. एक घर की महिला अपने पति से शिकायत भरे अंदाज में बोली, “बगल वाले हमारे घर की सारी बातें सुन लेते हैं.”
पति बोला, “तो मैं इस दीवार को मोटी करवा देता हूँ.”
इस पर महिला ने कहा, “नहीं, नहीं रहने दो, फिर मैं भी उनकी बातें नहीं सुन पाऊँगी.”

(२) 
एक नेता जी हाथ जोड़ कर अपने लिए वोट माँगते हुए जा रहे थे. एक सज्जन से उन्होंने कहा, “चाचा जी, आपका वोट मुझे मिलना चाहिए.”
सज्जन बोले, “बेटा, वोट का वचन तो मैं दूसरे उम्मीदवार को दे चुका हूँ.”
इस पर नेता जी ने कहा, “चाचा जी, राजनीति में कोई वचन नहीं निभाता, आप भी उसे भूल जाइए.”
सज्जन ने हँसते हुए कहा, “तब ठीक है. मेरा वोट तुमको ही मिलेगा.”

(३) 
एक रेस्टोरेंट में एक ग्राहक ने बड़े गुस्से में मैनेजर से वेटर की शिकायत की, “आपका ये वेटर बहुत बदतमीज है. मैं कब से इसे आवाज लगा रहा हूँ, ये सुनता ही नहीं है.”
मैनेजर ने ग्राहक के सामने ही वेटर को बुलाकर झाड़ लगा दी, “गधे, बेवकूफ, नामाकूल, साहब कब से भौंक रहे हैं और तू सुनता ही नहीं. तुम्हारी सर्विस का ये ही हाल था तो कौन उल्लू का पट्ठा यहाँ दुबारा आएगा.”

(४) 
नौकर – मालिक, अब मैं आपके घर का काम नहीं कर सकता.
मालिक – क्यों क्या हो गया?
नौकर – मालकिन का व्यवहार मेरे साथ ठीक नहीं है. वे मेरे लिए भी उसी तरह के अपशब्द इस्तेमाल करती हैं जैसा आपसे अक्सर कहा करती हैं.

(५)
एक पिता गुस्से में अपने बेटे से बोले, “तूने गधा देखा है?”
बेटा – जी, हाँ.
पिता – तूने उल्लू भी देखा होगा?
बेटा – जी, हाँ.
पिता – तो सुन, तेरी शक्ल गधे की सी है और अक्ल उल्लू की सी है.
बेटा – पर माँ तो कहती है कि मैं बिलकुल आप पर गया हूँ.
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