बुधवार, 26 मार्च 2014

ये सत्य है

तब मैं लगभग पचास वर्ष का रहा होऊँगा. शारीरिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ. ये अब से लगभग २५ वर्ष पहले की बात है. एक गुजराती बुजुर्ग श्री बी. एस. झाला पोरबंदर से लाखेरी, राजस्थान आये थे, जहाँ उनका बेटा ए.सी.सी. सीमेंट कारखाने में स्थानान्तरित होकर आया था. बुजुर्ग झाला मोटे काले चश्मे में बड़े आकर्षक लगते थे. वे खुशमिजाज भी बहुत थे. अपने पोते चि. लहर के साथ घूमते हुए मुझे मिले तो तपाक से बोले, मैंने अपने बुढ़ापे के सब आपरेशन करवा लिए हैं. कैफियत में उन्होंने बताया कि दोनों आँखों के मोतियाबिंद व प्रोस्टेट ग्रन्थि का सफल आपरेशन करवाकर वे निरोग महसूस कर रहे हैं. मुझे तब बुढ़ापे के आपरेशन' पर ज्यादा सोचने की जुर्रत नहीं हुई थी और ना ही प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ने से होने वाली परेशानियों का प्रत्यक्ष रूप से कोई ज्ञान था. आज जब मैं उनकी उम्र का हो गया हूँ तो उनकी कही बातें रह रह कर याद आ रही हैं क्योंकि उम्र की इस दहलीज पर उसी तरह के शारिरिक लक्षण मुझे भी परेशान करने लगे हैं.

एक अंग्रेजी कहावत है, “A woman is old when she looks old and a man is old when he feels old.” तो कितनी भी सावधानियां बरती जाएँ जीवन में शारिरिक बसन्त दुबारा नहीं आता है. इन्द्रियाँ शिथिल हो ही जाती हैं.

सर्विस काल के दौरान मैं अपने जिमखाना-क्लब में अकसर हाउजी यानि तम्बोला का खेल खिलाया करता था, जिसमें 87 आने पर बड़े मजे से बोला करता था, “Eighty-seven, go to heaven.”  अब मुझे अपना 87 का लैंडमार्क थोड़ी ही दूरी पर नजर भी आने लगा है, पर मुझे संतुष्टि है कि मैंने अपने सारे शौक पूरे करते हुए अपनी सभी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी कर ली हैं. समय इतनी तेजी से निकलता चला गया कि पता ही नहीं चला कि मैं जीवन के चौथे प्रहर में आ गया हूँ. किसी दार्शनिक कवि ने एक वृद्ध माता के मनोभावों को सटीकता से व्यक्त किया है:
वही आम-अमराईयाँ, वही गाँव, वही छाँव! 
'बहूबहू' सब कहत रहे, बुढ़िया पड़ गयो नाँव !!
और, ये जिंदगी के मेले कभी खतम ना होंगे, अफसोस हम ना होंगे,' यही सत्य है.
***

4 टिप्‍पणियां:

  1. Article has taken me back to my initial period of 9years at PCW Porbandar where I met Stores officer Zala (B.S.Zala's uncle if I remember).I could talk to him a couple of months back.He must be around 90 hale and hearty.

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  2. यही जीवन का सत्य है...जब तक जियो जिंदादिली से जियो...

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  3. :( जितना सोचता हूँ, ज़िंदगी उतना ही ड्रामा (लीला) नज़र आती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखिए । शुभकामनाएँ!

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