गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

आज पहली तारीख है...

रेडियो सीलोन से हर माह की पहली तारीख को किशोरदा की आवाज में ये फ़िल्मी गाना सुबह सवेरे ताजगी और उम्मीदें देकर जाता था. वो दिन, वो सुबह की फिज़ायें, गाने की गुदगुदी, सब गायब हो गयी हैं क्योंकि आज भी रोज की ही तरह देश भर में मुद्रा के लिए फिर मारा मारी होगी. 

यद्यपि मोदी जी की नोटबंदी से सारा ज़माना हलकान हुआ है, पर बहुत से लोग खुश भी हैं कि पड़ोसी के गुदड़ी भी खुल रही है. भ्रष्टाचार में सरोबार देश एक इंकलाब से गुजर रहा है, सभी राजनैतिक लोग इस सैलाब में अपना अपना नफ़ा-नुकसान तलाश रहे हैं. कल रात के समाचारों में ये चिंता भी व्यक्त की जा रही थी कि नौकरीपेशा को अपनी सैलरी की रकम कैसे मिल पायेगी? बाजार में मंदी और बेतहाशा बढ़ी हुए महंगाई की मार साफ़ दिखाई दे रही है क्योंकि छोटी करेंसी का टोटा हो रहा है. यों दिल खुश करने के लिए सत्ता समर्थक, मीडिया व इंटरनेट पर तरह तरह के टोटके और जुमले परोस रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अधिकाँश लोग कैश की कमी की वजह से परेशानी में हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह मोदी जी का साहसिक/दुस्साहसिक कदम है. उन्होंने 8 नवम्बर की शाम जब एकाएक इसका ऐलान किया था तो सभी राष्ट्र प्रेमियों की तरह मुझे भी बहुत खुशी हुई थी. तब इनके साइड इफेक्टस के बारे में बहुत नहीं सोचा गया था. आज 22 दिनों के बाद भी सर्व साधारण जन, घंटों बैंकों व एटीएम के सामने लाइन लगा कर खड़े रहने को मजबूर हैं. नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप या हड़ताल-हुल्लड़ से इसका समाधान होने वाला नहीं है. इसको कुछ लोग ‘टीथिंगप्रॉब्लम’ नाम दे रहे हैं. ये उनका आशावाद है. गौर तलब बात यह भी है कि जिस किसी देश ने भूतकाल में अपनी मुद्रा का इस तरह पटाक्षेप किया, वहाँ की जनता को लम्बे समय तक अप्रत्याशित कष्टों से गुजरना पड़ा है.

सर्व साधारण जन, विशेष कर, हमारे देश के मजदूर व किसान एटीएम, पेटीएम या कैशलेश ट्रांसेक्शन की रफत में नहीं है, और ना ही इतनी जल्दी सीख-सिखा पायेंगे. अत: उनके लिए उपदेश नहीं, कैश की फौरी व्यवस्था की जानी चाहिए अन्यथा इसके दुष्परिणाम होंगे.
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2 टिप्‍पणियां:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (02-12-2016) के चर्चा मंच "

    सुखद भविष्य की प्रतीक्षा में दुःखद वर्तमान (चर्चा अंक-2544)
    " (चर्चा अंक-2542)
    पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. खुश है जमाना आज पहली तारीख है ..

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