मंगलवार, 26 अगस्त 2014

चुहुल - ६६

(१)
अपने को बदसूरत समझने वाली एक महिला प्लास्टिक सर्जन के पास आकर अपने चेहरे को बदलवाने के बारे में फीस पूछने लगी. डॉक्टर ने कहा, पचास हजार रुपयों में आपका चेहरा बिलकुल बदल जायेगा. यहाँ तक की आपके परिचित भी आपको नहीं पहचान पायेंगे.
वह कुछ सौदेबाजी के लहजे में बोली, और कोई सस्ता तरीका बताइये?
डॉक्टर बोला, सबसे सस्ता तो ये है की आप घूंघट निकाल कर चला करें.
        
(२)
मुम्बई के एक ब्यूटी पार्लर ने के बाहर लगा साइन बोर्ड:
"यहाँ से बाहर निकलने वाली लड़की को देख कर सीटी मत बजाइए, वो आपकी दादी या नानी भी हो सकती है."

(३)
झूठ बोलने के लिए मशहूर एक आदमी किसी दूसरे शहर में गया. एक बहुत उम्रदराज झुर्रीदार बुढ़िया का मन हुआ कि उस झूठे इंसान को देखना चाहिए. वो उसे देख कर बोली, सुना है कि तुम दुनिया के सबसे झूठे आदमी हो?
इस पर वह बोला, अरे, दुनिया का क्या है अम्मा, कुछ भी कह देते हैं, पर मैं तो आपको देखकर हैरान हूँ कि आप इस उम्र में भी इतनी सुन्दर हसीं और आकर्षक लग रही हो.  
ये सुनकर वह बूढ़ी औरत थोड़ी शरमाई और फिर कहने लगी,  या अल्लाह! लोग कितने दुष्ट हैं की एक सच्चे इंसान पर झूठे का तमगा लगा रखा है.

(४)
एक आदमी बड़े मजे से अपने रिश्तेदार को बता रहा था, मेरे शहर के ज्यादातर लोग बड़े आलसी है. हाल ये है कि ये एक एक महीने तक नहीं नहाते हैं, लेकिन अपन को तो  २५ दिनों के बाद नहाना ही पड़ता है वरना खुजली होने लगती है.

(५)
डॉ. ओ. पी. जग्गी, छाती के रोगो के विशेषज्ञ के साथ गरीबनवाज भी रहे हैं. एक बार जब वे अस्पताल से बाहर सड़क पर चले जा रहे थे तो एक श्वास रोगी भोले बुजुर्ग ने उनको पहचान लिया. उन्होंने चलते चलते डॉक्टर साहब से कोई दवा लिखने का निवेदन भी कर डाला. डॉक्टर जग्गी ने अपने हाथ के ब्रीफकेस में टटोला तो प्रिस्क्रिप्शन लिखने के पैड में कोई पन्ना नहीं बचा था. उन्होंने उसके गत्ते को तोड़कर उसी पर दवा लिख दी और कहा, "इसके छ: खुराक लेने हैं, दिन में दो बार तीन दिन तक; चौथे दिन मुझे अस्पताल आकर बताना.
चौथे दिन जब मरीज उनके पास आया तो बहुत खुश था बोला, “डॉक्टर साहब आपकी दवा से बहुत आराम आ गया है.
डॉक्टर ने जब प्रिस्क्रिप्शन माँगा तो मरीज बोला, उसके तो छ: टुकड़े करके मैंने खा लिए.
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