हमारे राष्ट्रपिता महात्मा
गाँधी के सिद्धांतों पर अपनी अटूट श्रद्धा रखने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा
ने अपनी हाल में भारत की विशिष्ट यात्रा के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “भारत
बहुत सुन्दर व बहुधर्मी देश है, लेकिन गत वर्षों में यहाँ के लोगों में धार्मिक असहिष्णुता
बहुत बढ़ गयी है. अगर महात्मा गांधी आज मौजूद होते तो हालात देखकर सदमे में आ जाते.”
उनकी इस सटीक व सत्य टिप्पणी
/ आकलन पर हमारे बहुत से धर्म विचारकों/ठेकेदारों/राजनैतिक खिलाड़ियों को बदहजमी हो
रही है. जो कल तक मोदी व ओबामा को सगे भाई बता रहे थे, अब कह रहे हैं कि ओबामा अपने
हदों से बाहर जाकर धोखेबाजी कर रहे हैं. सच बात तो यही है कि ये ही ‘नीच
राजनीति’ है, जो यथार्थ को पचा नहीं पा रही है.
ह्वाईट हाऊस की तरफ से
बाद में ये राजनीतिक स्पष्टीकरण भी आया है ओबामा जी का बयान केवल देश की सत्ता में
काबिज भारतीय जनता पार्टी के परिपेक्ष्य में नहीं कही गयी थी, पर धार्मिक उग्रवाद-उन्माद
अनेक तरह से उभर कर उठा है, जिससे देश में सद्भाव व सामाजिक विश्वास में भारी गिरावट
आ गयी है. दंगे-फसाद, धर्मांतरण की प्रक्रिया, लव जिहाद और उकसाने वाले आपत्तिजनक बयान
हम सब देख सुन रहे हैं; लेकिन हम तो पाखंडी हैं, इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं? हमारे
एक नामधारी नेता ने यहाँ तक कह दिया है की “ओबामा दुनिया का कोई धरम का ठेकेदार नहीं
है जो हमारे देश के बारे में ऐसी बात कह रहा है. हम बहुत धार्मिक सहिष्णु हैं.”
अरे भाई, ओबामा जी, शायद आपको आपके जिगरी दोस्त ने ये नहीं बताया कि
हमारे यहाँ ‘गोडसे मंदिर’
बनने वाला है. मोहनदास करमचंद गांधी को निकृष्ट व्यक्ति बताने वाले अनेक सन्देश
सोशल मीडिआ पर नित्य प्रकाशित हो रहे हैं. आपने ये बात सौ फीसदी सही कही है कि “महात्मा
गांधी यदि आज मौजूद होते हो सदमे में होते.” अफसोस तो इस बात का भी है की गांधी का तमगा
लेकर चलने वाले कर्णधार इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.
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