लालू और बालू दोनों पक्के
दोस्त हैं. दोनों ही क़ानून की पढ़ाई कर रहे हैं. एक दिन दोनों में इस बात पर बहस छिड़
गयी कि 'क्या बिना झूठ बोले वकालत चल सकती है?’
लालू ने कहा, “देखो
ये सब किताबी बातें हैं कि ‘झूठ बोलना पाप है’,
धर्म-दर्शन की बातें सिर्फ दूसरों को समझाने के लिए होती है, लेकिन इस संसार में कोई
भी सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं हो सकता है. वे सब पौराणिक गल्प हैं. इस संसार का सारा
कार्यव्यापार झूठ के पलोथन के बिना नहीं चल सकता है. नेता जी झूठ बोले बिना अपना चुनाव
नहीं जीत सकते. झूठ के बिना बाजार के छोटे बड़े सौदे नहीं होते. अदालतें आजकल
स्टीरियोटाईप झूठी गवाहियों के आधार पर फैसला दिया करती हैं. घरों में पति पत्नी के
झगड़े झूठ बोलने से शुरू होते हैं और बच्चे पैदा होते ही वे अहसास करते हैं कि झूठ बोलना
बड़ी नियामत है. इसलिए, मेरे भाई, ‘झूठ’ एक अनिवार्य छठा तत्व
है, जो कि क्षिति, जल, पावक, गगन और समीरा के साथ अदृश्य रूप से जुड़ा हुआ है.”
बालू ने लालू के तर्क
पर असहमति जताते हुए कहा, “दुनिया में हर बात के अपवाद मौजूद हैं. आज
भी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने जिन्दगी में एक बार भी झूठ नहीं बोला है.”
बालू ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा, “मेरे सगे ताऊ जी ने कभी झूठ नहीं बोला है
ना ही बोलने का प्रयास ही किया है. ये बात अलग है कि वे जन्म से गूंगे हैं.”
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एक चुटकुला ये भी :
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एक चुटकुला ये भी :
झूठ बोलने के लिए मशहूर एक आदमी किसी दूसरे शहर में गया. एक बहुत उम्रदराज झुर्रीदार बुढ़िया का मन हुआ कि उस झूठे इंसान को देखना चाहिए. वो उसे देख कर बोली, “सुना है कि तुम दुनिया के सबसे झूठे आदमी हो?”
इस पर वह बोला, “अरे, दुनिया का क्या है अम्मा, कुछ भी कह देते हैं, पर मैं तो आपको देखकर हैरान हूँ कि आप इस उम्र में भी इतनी सुन्दर हसींन और आकर्षक लग रही हो.”
ये सुनकर वह बूढ़ी औरत थोड़ी शरमाई और फिर कहने लगी, “या अल्लाह! लोग कितने दुष्ट हैं की एक सच्चे इंसान पर ‘झूठे’ का तमगा लगा रखा है.”
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आपकी इस पोस्ट को शनिवार, २५ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "लम्हे इंतज़ार के" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
जवाब देंहटाएंमैं इसमें ये भी जोड़ना चाहाता हूँ: पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी इसलिए कम बोलते थे ताकि कम से कम झूठ बोलना पड़े, और अब माननीय मोदी जी इसलिए मौन हैं कि ललित गेट, व्यापम या उनके कार्यकाल में चल रहे घोटालों पर झूठ बोल कर और छबि खराब होने से बचा जा सके.
जवाब देंहटाएंएक दम सत्य बात है । पढ़ के मज़ा आ गया ।
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