पछ्पन साल
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55th Wedding Anniversary |
जब हम जवान थे तब एक हिन्दी फिल्म, "कल आज और कल" का ये सदाबहार गीत "जब हम होंगे साठ साल के, और तुम होगी पछ्पन की..." बहुत प्यारा लगता था. प्यारा तो आज भी लगता है, पर अब हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं. मैं हो गया हूँ 77 का और अर्धांगिनी 72 पार कर चुकी हैं. संयोग ऐसा कि आज तीस जनवरी को हमारे विवाहोत्सव की 55वीं जयन्ती है.
वैवाहिक जीवन का ये लंबा सफ़र मेरी श्रीमती की कुछ शारिरिक व्याधियों के रहते बहुत सपाट
तो नहीं रहा, पर बहुत ज्यादा ऊबड़ खाबड़ भी नहीं रहा है. अब हम इस मुकाम पर आ पहुंचे हैं
कि एक दूसरे के बिना एक दिन भी अकेले रहना मुश्किल लगता है. बेटे पार्थ व प्रद्युम्न, तथा बेटी गिरिबाला सभी अपने अपने परिवारों के साथ सुखी और संपन्न हैं. हम अपनी पारिवारिक
जिम्मेदारियों से बहुत पहले मुक्त हो चुके हैं. ये सब भगवदकृपा है, स्वर्गीय माता-पिता
का आशीर्वाद है, छोटे भाई-बहनों का प्यार व मित्रों की शुभ कामनाओं का प्रताप है.
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बहुत बहुत बधाई ।पाण्डेय जी ।
जवाब देंहटाएंseetamni. blogspot. in
Congratulations to both of u!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (01-02-2016) को "छद्म आधुनिकता" (चर्चा अंक-2239) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'