स्व. गुरुनाथ सन १९७२
में ए.सी.सी. शाहाबाद की माईन्स में बतौर मजदूर कार्यरत थे. जब मैं शाहाबाद के कर्मचारी यूनियन का जनरल सेक्रेटरी चुना गया, गुरुनाथ को जोईंट सेक्रेटरी का पद
दिया गया. प्रेसिडेंट कामरेड श्रीनिवास गुडी ने जिस पार्टी कैडर को तैयार किया था, उसमें गुरुनाथ अग्रगण्य थे. काम्रेड
गुडी के स्वर्गवास के बाद जब इस पूरे इलाके में लीडरशिप का वैक्यूम हो गया था तो
गुरुनाथ ने शाहाबाद व वाडी के कर्मचारी संगठनों पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया. वे मात्र हाई स्कूल तक ही पढ़े थे, लेकिन अपनी संगठन चातुर्य व दमदार आवाज के
बल पर छाये रहे. उसी बीच दो बड़ी घटनाओं ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी. शाहाबाद
के कारखाने को ए.सी.सी. ने नब्बे के शुरुआती
दशक में अन्य पार्टी को बेच दिया. नए मालिकों की सोच केवल मुनाफ़ा कमाना था. ये गुरुनाथ के लिए संघर्ष के दिन थे. तभी कर्नाटक में
विधान सभा चुनावों में सी.पी.आई. के टिकट पर वे विधायक बन गए और गठजोड़ की सरकार में
स्टेट लेबर मिनिस्टर बना दिए गए. उनका
आक्रामक स्वभाव व सर्वहारा बैकग्राउंड--मड्डी-झोपडपट्टी के एक अति पिछड़े समाज के सदस्य से ऊपर उठकर बंगलूरू में
स्टेट मिनिस्टर बनना--के कारण वे
जल्दी विवादों में भी आते रहे. परन्तु दुर्भाग्य यह रहा कि विधान सभा के अगले चुनावों
में उनको पार्टी टिकट नहीं मिलने पर वे
स्वतंत्र उम्मेदवार के बतौर चुनाव लड़े और हार गए. वे राजनीति में पैदल हो गए. एक अपुष्ट समाचार
ये भी था कि कलबुर्गी में घर बनाते हुए उनको गढ़ा धन मिल गया था. शाहाबाद-वाडी रोड
पर उन्होंने एक पेट्रोल पम्प का मालिकाना हक़ प्राप्त कर लिया. यों वे समाचारों
में रहते आये थे.
स्व. गुरुनाथ मेरे
करीबी रहे थे. जब शाहाबाद कारखाना बिकने की कगार पर था तो वे सन १९९१-९२ में अपनी
टीम सहित लाखेरी (राजस्थान) आये थे और उनके कारखाने को बिकने से बचाने के गुर
जानना चाहते थे. मैं यहाँ अध्यक्ष था, पर सब
जगहों की परिस्थितियाँ एक जैसी नहीं हुआ
करती हैं. शाहाबाद की बर्बादी उनकी नज़रों के सामने होती रही. कई मालिक बदलते रहे पिछले वर्षों में जे.पी. ग्रुप ने इसे खरीद लिया, पर अब उसने भी इसे किसी अन्य पार्टी
को बेच दिया है. मैंने अपने ब्लॉग पर ‘सलाम शाहाबाद-२’
शीर्षक से विस्तार से इस बाबत लिखा है.
मैंने गत जनवरी में
वाडी प्रवास के दौरान उनसे टेलीफोन से संपर्क किया था, पर वे अपनी व्यस्तता के कारण
प्रोग्राम बना कर भी मिलने नहीं आ सके. आज मुझे सन्देश मिला है कि गुरुनाथ अब इस
संसार में नहीं रहे हैं. उनका आज ही बंगलूरु में स्वर्गवास हो गया है. ये उनकी नियति थी. पूरे इलाके में शोक की लहर फ़ैली होगी. मैं भी दिवंगत आत्मा की
शान्ति के लिए प्रार्थना कर रहा हूँ.
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23 -04-2016) को "एक सर्वहारा की मौत" (चर्चा अंक-2321) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
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