परमात्मा ने हम
प्राणियों के शरीरों को इस सुनियोजित किन्तु ‘कॉम्प्लैक्स्ड’ ढंग से बनाया है कि हर अंग के अपने विशिष्ट स्थान व कार्य की तुलना कोई
मानव निर्मित कम्प्यूटर अभी तक नहीं कर पाया है.
प्रोस्टेट यानि ‘पौरुष ग्रन्थि’ महिलाओं के शरीर में नहीं होती है. ये पुरुषों में
मूत्राशय से आगे जुड़ा हुआ एक सुपारीनुमा ग्रन्थि है, जिसके अन्दर से होकर मूत्र
नलिका बाहर को निकलती है. इस ग्रन्थि का कर्म है कामोत्तेजना के समय धातु विसर्जन.
अधिकांश पुरुषों में उम्र बढने के साथ साथ इसमें विकार पैदा होने लगते हैं, जैसे ये
आकार में बढ़ने लगता है, इसमें पथरी पैदा हो सकती है, या किसी किसी की ग्रन्थि में
कैंसर घर कर सकता है. सामान्यतया व्यक्ति को रात्रि में बार बार पेशाब की शिकायत होना इसका प्राथमिक लक्षण है. मूत्र की
धार पतली होना, रुक रुक कर पेशाब आना, एक बार में पूरा ब्लैडर खाली ना हो पाना
अथवा रुकावट होना इसके मुख्य लक्षण होते है.
अनादि काल से वैद्य,
हकीम व डॉक्टर लोग इसकी लाक्षणिक चिकित्सा करते रहे हैं. इसके ईलाज के बड़े बड़े
दावे भी किये जाते हैं. एलोपैथी की वर्तमान एडवांस चिकित्सा मे इसकी चिकित्सा यूरोलॉजी विभाग में होती है. इसका आख़िरी हल सर्जरी
बताया गया है. एक समय था पेट काटकर आपरेशन होता था. फिर लेप्रोस्कोपिक पद्धति आई और
अब बिना चीरा लगाये अथवा शरीर में बिना छेद किये ही लेजर द्वारा इसको अन्दर ही
काटकर खोखला कर दिया जाता है. घाव भरने के लिए एंटीबायोटिक्स दिये जाते हैं.
सन १९८० तक रक्त परीक्षण P.S.A.
(प्रोस्टेट स्पेसिफिक ऐंटीजन) टेस्ट
ईजाद नहीं हुआ था. ये एंटीजन नॉर्मल से ज्यादा होने पर कैंसर की संभावना होती है
इसलिए ऐसे मामलो में सर्जरी नहीं की जाती है. कैंसर की पुष्टि होने पर रेडियो
विकीरण (कीमोथेरेपी) द्वारा चिकित्सा की जाती है. और इसे फ़ैलने से रोका जाता है.
पुराने दिनों में आपरेशन के बाद ‘बायोप्सी’ से ही कैंसर की उपस्थिति मालूम हो पाती थी तब
रोगी को बचाना कठिन हो जाता था, पर आजकल सारी जांच पहले करके ही रोगी को आपरेशन
की सलाह दी जाती है.
***
अच्छी जानकारी है ! आयुर्वेद में इसका कोई इलाज कारगार है क्या ?
जवाब देंहटाएंNew post ऐ जिंदगी !
इन्ही टिप्पणियों में श्री सुशील कुमार जोशी जी ने लिखा है हैं कि 'बैंप्रोस्ट् ८' से उनके पिताश्री को लाभ हुआ है.
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सीट ब्लेट पहनो और दुआ ले लो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी । आयुर्वैदिक दवा बैनप्रोस्ट 8 का प्रयोग करने से मेरे स्व पिता को काफी राहत मिली थी ।
जवाब देंहटाएंविशेष सूचना टिप्पणी
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप ब्लॉगसेतु टीम द्वारा ब्लॉगसेतु नाम से एक नए ब्लॉग एग्रीगेटर का निर्माण आपके विचारों को ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए किया गया है. अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप अपने ब्लॉग को इस ब्लॉग एग्रीगेटर से जोड़ कर हमें कृतार्थ करें.
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अच्छी जानकारी !!
जवाब देंहटाएंअच्छी उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंइस बिमारी का देशी आयुर्वेद नुस्खे भी बतायें अपकी अती कृपा होगी
जवाब देंहटाएंइस बिमारी का देशी आयुर्वेद नुस्खे भी बतायें अपकी अती कृपा होगी
जवाब देंहटाएंजवाब दें