आज १ मई, २०१४ है. मई दिवस मेरा जन्मदिन भी है. मेरी उम्र आज पूरे ७५ वर्ष हो रही है. इसे जीवन काल की 'हीरक जयन्ती' (डायमंड जुबली) कहा जाता है. सामान्यतया हमारे देश के वर्तमान समाज में इतनी उम्र पाकर हँसी-खुशी जी लेने को भाग्यशाली कहा जाता है. परमेश्वर की कृपा है, स्वजनों/मित्रों की शुभकामनाएँ हमेशा साथ रही इसलिए जीवन पथ पर दुरूहताएं होते हुए भी मैं आज सपरिवार सुखी और स्वस्थ हूँ.
हिमालय के निकट कुमायूँ की पहाड़ियों के मध्य एक दूरस्थ पिछड़े से गाँव पुरकोट (गौरीउड्यार) में मैं पैदा हुआ, माता-पिता की पहली संतान था जो कि अनेक मन्नतों के बाद उनको शादी के १६ वर्षों बाद प्राप्त हुआ था. मेरे पिता परिवार में पाँच भाइयों में सबसे छोटे थे. बताते थे कि मेरे पैदा होने पर परिवार में बहुत खुशी मनाई गयी थी. पिता श्री अध्यापक थे, उन्होंने अपने सारे संस्कार मुझको दिये हैं. बचपन, दादी की गोद में खूब खेला. चचेरे भाइयों और बहनों का मैं चहेता रहा, मैंने परिवार में बहुत दुलार पाया। था भी मैं नाजुक सा चिकना बच्चा, ऐसा बताते थे. पिता श्री हमेशा मेरे नाजुकपने पर चिंतित रहते थे. अपने साथ स्कूल ले जाते थे. जब मैं मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए बागेश्वर कस्बे में आया तो उन्होंने अपना स्थानान्तरण बागेश्वर के स्कूल में ही करवा लिया. मेरे हाईस्कूल करने तक वे साथ रहे. जब मैं इण्टर के लिए कांडा गया तो पिता जी ने अपनी बदली कत्यूर घाटी (मेरा ननिहाल भी वहीं है) में करवा लिया. थोड़ी जमीन खरीद कर वहीं बस गए. पुराना गाँव छोड़ दिया. हमारा परिवार स्यालटीट, मटेना में रहने लगा. ये सन १९५५ की बात है. तीन छोटी बहनें, और सबसे छोटा भाई बसन्त बल्लभ (हाल में एक इण्टर कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए हैं), सभी अपने अपने परिवारों के साथ सुखी और संपन्न हैं.
मेरा विवाह सन १९६१ में कुन्ती देवी से हुआ हमारे तीन बच्चे, बड़ा बेटा डा. पार्थ, राजस्थान कोटा में रहता है, राजस्थान सरकार की सेवा में है, बेटी गिरिबाला अपने पति भुवन जोशी व बिटिया हिना के साथ टैक्सस (यू.एस.) में रहती है, छोटा प्रद्युम्न अभी सपरिवार इंदिरापुरम-गाजियाबाद में रहता है, वह जे. के. टायर्स का एच. आर. हेड है. तीनों बच्चे बहुत केयरिंग हैं इसलिए हमें बुढ़ापे के सभी सुख प्राप्त हैं.
१९९९ दिसम्बर में सर्विस से रिटायर होने के बाद मैं अपने भाई-बन्धु-बांधवों के साथ हल्द्वानी शहर के बरेली रोड पर स्थित गौजाजाली में बस गया हूँ, जहाँ सभी रिटायर्ड कर्मचारी/फ़ौजी लोग बसे हुए हैं. यहाँ एक नया सामाजिक परिवेश मिला है. अधिकतर लोग कुमाउनी हैं.
कहते हैं कि संतोषी सदा सुखी, तो मैं हमेशा अपने वर्तमान से संतुष्ट रहा हूँ. आज मुझे अनेक शुभकामनाएँ मिल रही हैं. मैं अपने सभी स्नेही जनों / मित्रों को धन्यवाद देना चाहता हूँ, और सबके अच्छे स्वास्थ्य एवं सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ.
हिमालय के निकट कुमायूँ की पहाड़ियों के मध्य एक दूरस्थ पिछड़े से गाँव पुरकोट (गौरीउड्यार) में मैं पैदा हुआ, माता-पिता की पहली संतान था जो कि अनेक मन्नतों के बाद उनको शादी के १६ वर्षों बाद प्राप्त हुआ था. मेरे पिता परिवार में पाँच भाइयों में सबसे छोटे थे. बताते थे कि मेरे पैदा होने पर परिवार में बहुत खुशी मनाई गयी थी. पिता श्री अध्यापक थे, उन्होंने अपने सारे संस्कार मुझको दिये हैं. बचपन, दादी की गोद में खूब खेला. चचेरे भाइयों और बहनों का मैं चहेता रहा, मैंने परिवार में बहुत दुलार पाया। था भी मैं नाजुक सा चिकना बच्चा, ऐसा बताते थे. पिता श्री हमेशा मेरे नाजुकपने पर चिंतित रहते थे. अपने साथ स्कूल ले जाते थे. जब मैं मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए बागेश्वर कस्बे में आया तो उन्होंने अपना स्थानान्तरण बागेश्वर के स्कूल में ही करवा लिया. मेरे हाईस्कूल करने तक वे साथ रहे. जब मैं इण्टर के लिए कांडा गया तो पिता जी ने अपनी बदली कत्यूर घाटी (मेरा ननिहाल भी वहीं है) में करवा लिया. थोड़ी जमीन खरीद कर वहीं बस गए. पुराना गाँव छोड़ दिया. हमारा परिवार स्यालटीट, मटेना में रहने लगा. ये सन १९५५ की बात है. तीन छोटी बहनें, और सबसे छोटा भाई बसन्त बल्लभ (हाल में एक इण्टर कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए हैं), सभी अपने अपने परिवारों के साथ सुखी और संपन्न हैं.
मेरा विवाह सन १९६१ में कुन्ती देवी से हुआ हमारे तीन बच्चे, बड़ा बेटा डा. पार्थ, राजस्थान कोटा में रहता है, राजस्थान सरकार की सेवा में है, बेटी गिरिबाला अपने पति भुवन जोशी व बिटिया हिना के साथ टैक्सस (यू.एस.) में रहती है, छोटा प्रद्युम्न अभी सपरिवार इंदिरापुरम-गाजियाबाद में रहता है, वह जे. के. टायर्स का एच. आर. हेड है. तीनों बच्चे बहुत केयरिंग हैं इसलिए हमें बुढ़ापे के सभी सुख प्राप्त हैं.
१९९९ दिसम्बर में सर्विस से रिटायर होने के बाद मैं अपने भाई-बन्धु-बांधवों के साथ हल्द्वानी शहर के बरेली रोड पर स्थित गौजाजाली में बस गया हूँ, जहाँ सभी रिटायर्ड कर्मचारी/फ़ौजी लोग बसे हुए हैं. यहाँ एक नया सामाजिक परिवेश मिला है. अधिकतर लोग कुमाउनी हैं.
कहते हैं कि संतोषी सदा सुखी, तो मैं हमेशा अपने वर्तमान से संतुष्ट रहा हूँ. आज मुझे अनेक शुभकामनाएँ मिल रही हैं. मैं अपने सभी स्नेही जनों / मित्रों को धन्यवाद देना चाहता हूँ, और सबके अच्छे स्वास्थ्य एवं सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ.
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On your special day, we wish that you receive blessings from GOD Almighty and all those things that you have always dreamt of. HAPPY BIRTHDAY TO YOU.........
जवाब देंहटाएंThank you Saroj beta.
हटाएंआपको जीवन के शेष सब सुख प्राप्त हों, जीवेत वर्षम् शतम्।
जवाब देंहटाएंजन्मदिवस के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएँ
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