सोमवार, 27 नवंबर 2017

अटलांटिक के उस पार - ४

अमेरिका में ‘बरसाना- राधा माधव मंदिर’
भारत में विख्यात संत स्व. कृपालु जी महाराज (१९२२-२०१३ ) को सनातन धर्म उपदेशक, राधा-गोविन्द उपासक और वेदान्ती विद्वान् के रूप में पहचाना जाता है. उनको चैतन्य महाप्रभु का अवतार भी कहा जाता है. विलक्षण मेधास्मृति के धनी कृपालु महाराज को काशी विद्वत परिषद् द्वारा महज ३४ वर्ष की उम्र में ‘जगद्गुरु’ की उपाधि से सन १९५७ में विभूषित किया गया था. वे वेद-वेदान्त व भक्तियोग के प्रकाण्ड विद्वान् व प्रवचनकर्ता थे. उन्होंने अपनी आराध्या देवी राधा की असीम भक्ति में आसक्त होकर मथुरा के निकट बरसाना में एक सौ करोड़ रुपयों की लागत से एक भव्य मंदिर बनवाया जो की राधा-कृष्ण की उपासना व आस्था का अनोखा केंद्र है. मंदिर की वास्तुकला द्वारा भी आराध्य के दिव्य प्रेम को साकार किया गया है.

उन्होंने ‘जगद्गुरु कृपालु परिषद्' नाम से वैश्विक संगठन की स्थापना की; उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं. इस समय विश्व में पांच मुख्य आश्रम हैं. जिनका सचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. ट्रस्ट द्वारा अस्पताल व गुरुकुल भी सचालित किये जाते हैं. विदेश में मुख्य आध्यात्मिक केंद्र ‘द हार्वड प्लूरिश प्रोजेक्ट’ अमेरिका में है. टेक्सास की राजधानी ऑस्टिन से लगभग २४ किलोमीटर दूर पश्चिम की पहाड़ियों के बीच ‘राधा-माधव धाम’ स्थापित है.

यह ‘बरसाना धाम’ कई एकड़ जमीन पर बसाया गया है. यह एक दर्शनीय दिव्य परिसर है, जिसमें राधा कृष्ण का एक विशाल मंदिर है जिसकी देखरेख एक ट्रस्ट द्वारा की जाती है. परिसर में रासलीलाओं के भित्त चित्र व जीवंत मूर्तियों से सजाया गया है. कालिंदी (यमुना), प्रेम सरोवर (कुण्ड) और महारास का मंडप सभी सजीव परिकल्पनाएँ भक्तों/ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करती हैं. मंदिर परिसर में ही सुन्दर आवासीय व दिव्य भोजनालय की व्यवस्था है. मंदिर में व उसके परिसर में कृपालु महाराज की अनेक मुद्राओं में बड़ी बड़ी फोटो लगी हैं, और उनके बारे में वीडियो चलायमान रहते हैं. सुबह शाम पूजा-पाठ और भजन कीर्तन होते हैं कर्मचारियों में अधिकाँश अमरीकी हैं, कुछ भारतीय चेहरे भी हैं, जो हरे रामा हरे कृष्णा की तर्ज पर नाचते गाते हैं. मंदिर परिसर में एक दर्जन से ज्यादा भारतीय मोर और मोरनियां घूमते मिलते हैं जो बरसाना की शोभा बढ़ाते हैं. कुल मिलाकर इस साफ़ सुथरे पवित्र स्थल पर विचरण करने वालों को आत्मिक शान्ति मिलती है.

परिसर में हिन्दू विधि-विधान से विवाह, उपनयन, षष्टि पूजा आदि धार्मिक अनुष्ठानों /समारोहों के लिए उचित  शुल्क देकर आयोजन करने की व्यवस्था भी की जाती है.

सनातन धर्म के बारे में लिखा गया है कि ये एक जीवन पद्धति है जो अपने अन्दर अनेक उपासना पद्धतियों, पंथ, मत, सम्प्रदाय व दर्शन को समेटे हुए है. इसमें सभी प्राकृतिक देवी देवताओं को अलग अलग नामों से पूजा अवश्य जाता है, पर वास्तव में ये एकेश्वरवादी धर्म है. इसके साक्षात अनुभव यहाँ आकर होता है.

अगले पायदान में आप पढेंगे ‘नेचुरल ब्रिज’ नामक गुफा तथा सैन ऐंटोनियो के सुन्दर ‘रिवर वॉक’ का वर्णन.
क्रमश:
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