बुधवार, 22 नवंबर 2017

I Speak to the Nation (U.S.)

I Speak to the Nation (U.S.)   

(Hindi version)
महान राष्ट्र अमेरिका के बाशिंदों !
सर्व प्रथम मैं आपको अपने दिल की गहराईयों से धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे अपने ‘प्रेसीडेंट’ के रूप में इस प्रेसिडेंटिअल पोडियम से भाषण देने का सुअवसर प्रदान किया है.

इस देश के गौरवपूर्ण इतिहास व उपलब्धियों पर केवल आपको ही नहीं, बल्कि विश्व के अन्य भागों के प्रबुद्ध शक्तिपुन्जों को भी अभिभूत किया है. यद्यपि, मैं एशिया के एक अन्य महान देश भारत में जन्मा और वहां की सनातन संस्कृति में पला-बढ़ा हूँ, मैं इस देश की सम्पन्नता व आदर्शों से अतिरेक प्रभावित हुआ हूँ. यह विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, सबसे बड़ी सैनिक शक्ति और अनेकानेक धार्मिक आस्थाओं का पोषक बन गया है. कला, साहित्य, और व्यक्तिगत अनुशासन के उच्च प्रतिमानों का स्तर इसी तरह निरंतर आगे बढ़ाते रहना चाहिए.

मैं, महामानव राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर आदि द्वारा स्थापित सामाजिक मर्यादाओं तथा क्राइस्ट द्वारा प्रेम, करुणा व समभाव की प्रेरणा को एवं अन्य धर्मों के आविर्भावक प्रोफेट्स के उपदेशों को एकाकार करके वर्तमान युग की वैज्ञानिक क्रान्ति को मानवता के लिए सम्पूर्ण छत्र बना देना चाहता हूँ, जिसके नीचे कोई कलह, द्वेष, अथवा हिंसाभाव ना हो ताकि समस्त चराचर अपरिमित आनंद का भोग करें.

विश्व में आज तमाम रोग और शोक के लिए जिम्मेदार जो हिंसक-पाशविक दुष्ट शक्तियां पनप रहीं हैं, उनका स्वाभाविक अंत करना मेरा लक्ष्य है. ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का स्तोत्र मेरा मन्त्र है, और मैं इस बड़े कुटुंब का अध्यक्ष होकर सबका हितैषी बना रहूँ, यही मेरी कामना है.

आज की विषम अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में आपको लगता होगा कि यह सब मेरी कल्पना मात्र है, पर सच यह है कि मैंने अमेरिका की धरती पर अपने रक्तबीज (जींस) बो दिए हैं, जो कालान्तर में निश्चित रूप से मेरे सपने को साकार करेंगे.

अंत में मैं मैडम तुसाद को धन्यवाद देता हूँ, जिसने अपने ‘वैक्स म्यूजियम’ में अमेरिका के सभी पूर्व व वर्तमान राष्ट्रपतियों के प्रतिरूपों को एक साथ व अन्य सभी क्षेत्रों की महान विभूतियों को भी मेरे सन्मुख कतार में खडा किया है. इनमें कला, साहित्य, विधिविधान, राजनैतिक महामनीषियों के अलावा पोप जॉन पॉल II, मार्टिन लूथर किंग, महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, बेंजामिन फ्रेक्लिन, मार्क ट्वेन, वाल्ट ह्विट्मैन आदि महानुभावों के प्रतिरूप भी मेरे श्रोताओं में उपस्थित हैं.

मैं स्वयं बहुत गर्वित और भावुक हो रहा हूँ. मेरा दिल यह सब देखकर भर आ रहा है कि मैं ‘प्रेसीडेंट आफ यूनाईटेड स्टेट्स’ के गरिमामय स्टेज से संबोधन कर रहा हूँ.

सभी श्रोताओं व पाठकों को शुभ कामनाएं. फिर मिलेंगे, मिलते रहेंगे.

Thank you very much! God bless America and the rest of the humanity as well!
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1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब। मोदी भी इतना अच्छा भाषण नहीं दे सकते। सराहनीय।

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