मैं और मेरी
अर्धांगिनी कुन्ती पाण्डेय टेक्सास राज्य के डलास शहर में बेटी-दामाद के आतिथ्य
का गत दो महीनों से भरपूर आनंद ले रहे हैं. यह स्थान हमारे घर हल्द्वानी से लगभग
१३,५०० किलोमीटर दूर है; हम पहले भी दो
बार क्रमश: २००६ और २०११ में अमेरिका आ चुके हैं, पर इस बार मैं सोचता हूँ कि ये
हमारे पर्यटन का आख़िरी दौर है क्योंकि अब इस उम्र में ऐसा लम्बा सफ़र बहुत दुरूह
है. इस बार यहाँ आना यों भी आवश्यक हो गया था कि नातिनी हिना का गत नववंबर में
विवाहोत्सव था. तीन महीनों के इस अंतराल में नववर्ष २०१८ का आगाज हो गया है. यहाँ
इन बच्चों ने अपने संगी-साथियों के साथ उत्तर दिशा
में ओक्लाहोमा राज्य की पर्वतीय उपत्तिकाओं में चीड़ के जंगलों के बीच ब्रोकन बो शहर में नये साल का जश्न मनाने का प्रोग्राम बनाया, जिसके लिए पहले
से बुकिंग कर ली गयी थी. यह स्थान करीब २८० किलोमीटर दूरी पर है. कुल आठ भारतीय
परिवार अपने नन्हे-मुन्नों के साथ अपनी अपनी गाड़ियों में सड़क मार्ग से ३१
दिसंबर दोपहर बाद वहाँ पहुंच गए थे.
वहाँ लकड़ी के बने
हुए सुन्दर मकान, बाहर से खुरदुरे नजर आ रहे थे, पर घरों के अन्दर सभी अत्याधुनिक
सुविधायें थी. बाहर का तापमान दिन में भी -४ डिग्री सेल्सियस हो रहा था, लेकिन घर
के अन्दर बिजली का अलाव तथा पूरी बिल्डिंग एयर कंडिशन्ड थी; आरामदायक फर्नीचर,
बिस्तर, फ्रिज, फर्निश्ड किचन, गैस, शुद्ध ठंडा/गरम पानी वाला स्नानघर, टी.वी., इंटरनेट, और साबुन-तौलिये सब कुछ. जंगल में थोड़ी थोड़ी दूरी पर बने ये ‘लॉग हाउस’ किराए के मतलब से ही
पर्यटकों के लिए बनाए गए हैं. हाँ इनके किराए की बात मैं ना करू तो बेहतर होगा
क्योंकि हमारे देश के हिसाब से ये कई कई गुना ज्यादा था, पर ये अमेरिका है, यहाँ रहने वाले रुपयों में कन्वर्ट करके नहीं देखते हैं. बहरहाल जंगल में
मंगल की कल्पना साकार थी.
ग्रुप के ये सभी लोग
नोकिया कंपनी में कार्यरत हैं. सभी की पत्नियां भी यहाँ
जॉब करती हैं; बच्चे सभी स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले हैं. पहले से तयशुदा व्यवस्था
के अनुसार बहुत सारी खाद्य सामग्री, तेल मसाले से लेकर रेडीमेड व्यंजन लेकर गए थे, तथा बहुत से व्यंजन वहीं
ताजे बनाए गए, जिनमें इडली, डोसा, साम्भर, ढोकला, परांठे, पूडियां, सब्जियां, चटनी,
पुलाव, मिष्टान्न, सब इन्डियन खुशबू व स्वाद वाले.
शाम होते ही बच्चों
का धमाल, महिलाओं का योगा, नृत्य-संगीत आदि एक जीवंत प्रायोजित कार्यक्रम की तरह
चला. यद्यपि हम प्रमाणित/ घोषित बुजुर्ग थे परंतु पूरी प्रक्रिया में शामिल रहे. ऐसा
लग रहा था कि पूरा परिवार अपना ही था जबकि एक परिवार गढ़वाल (उत्तराखंड) से, एक
गुजरात से, दो तमिलनाडु से, एक ओडीसा से, दो बंगाल से, एक आसाम से और हम उत्तराखंड
(कुमाऊँ) से वहां थे. अनेकता में एकता के दर्शन हो रहे थे. परिस्थितिवश सभी
अंगरेजी बोलने के अभ्यास में थे और बच्चे तो यहीं की पैदावार होने से शुद्ध अमरीकी
लहजे में वार्तालाप कर रहे थे. इस कार्यक्रम में मेरा एक पौत्र चि. सिद्धांत भी
शामिल था, वह बोस्टन में इंजीनियरिंग की चौथे साल की पढ़ाई के बीच सर्दियों के अवकाश में हमारे पास आया है.
उसने एक ग्रेजुएसन कर रहे हमउम्र बालक के साथ मिलकर पूरे आयोजन में
रौनक बनाए रखी.
इस ग्रुप के एक
सदस्य मुझे सन २००३ में फिलीपींस से जानते थे, जहां सामूहिक कार्यक्रमों
में मैंने खूब चुटकुले सुनाकर लोगों का मनोरंजन किया था, उसने जब सबके सामने मुझसे
अनुरोध किया तो मैं भी कुछ समय के लिए सींग कटवा कर बछडा बन सभी का मनोरंजन
करता रहा.
आधी रात को १ जनवरी
के आगाज होते ही बच्चे जवान सभी थिरकते रहे, और एक दूसरे को Happy New Year की शुभकामनाओं से सरोबार करते रहे.
एक जनवरी का पूरा
दिन हँसी-खुशी में बीता. दोपहर बाद गाड़ियों का काफिला साईट सीइंग के लिए दूर
नदी-तालाब व पहाड़ियों का अवलोकन करने के लिए निकला; बाहर तापमान -५ डिग्री
होने पर भी बड़े और बच्चों ने काफी समय बाहर बिताया. मैं और श्रीमती घूमने का ज्यादा आनंद नहीं ले सके, और कुछ समय पश्चात सभी लोग लॉग हाउस में लौट आये.
शाम की दावत के साथ
साथ नाच गाने, मनोरंजक क्विज प्रोग्राम देर रात तक चला. अगली सुबह ब्रेकफास्ट व
फोटो सेशन के पश्चात सबने एक दूसरे को शुभ कामनायें दी और लौट चले. चार घंटों के सफ़र में
रास्ते में बहुत से शहर आये. दो नाम जाने पहचाने थे; एक मैनचेस्टर (इंग्लेंड में
मैनचेस्टर जो बढ़िया कपड़ों के मिलों के लिए प्रसिद्धथा दूसरा पेरिस (फ्रांस की
राजधानी के नाम से), जहाँ एक छोटा एफिल टावर भी बनाया गया है. दरअसल जो लोग जिस
देश/शहर से आकर यहाँ बसे उन्होंने वही नाम अपनी बसावट की रख दी होगी.
फ्लावर माउंड में
अपने आवास पर आने पर हमने पाया कि गत दो दिनों में यहाँ भी माइनस में तापमान होने से बैकयार्ड में स्विमिंग पूल के झरनों का पानी जमा हुआ था.
इसप्रकार सुखद
भविष्य की परिकल्पनाओं के साथ नव संचारित होकर हम लोग २०१८ में पदार्पित हुए.
मैं अपने पाठकों को भी नववर्ष की अनेकानेक शुभ कामनाएं प्रेषित करता हूँ.
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