३६५ दिनों का कालचक्र
कई मान्यताओं /गणनाओं/ स्मारकों/ मौसमी बदलाओं का मंथन करने के बाद वर्ष के रूप
में बनाया गया है.
पहली जनवरी को नववर्ष मनानेवालों को शायद यह बात मालूम ना हो कि दुनिया भर में नववर्ष अलग अलग
दिनों में लगभग ७० बार मनाये जाते हैं क्योंकि सभी मतावलम्बी लोग अथवा सभी देशों
के लोग कैलैंडर प्रणाली पर एकमत नहीं हैं. इस वैज्ञानिक युग में भी चंद्रमा अथवा
सूर्य की ज्योतिषीय गणनाओं पर कैलेंडर बनाए जाते हैं.
ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, बेबीलोन के लोग ४००० वर्ष पहले भी २१ मार्च को नववर्ष मनाते थे, जो बसंत के आगमन का सूचक हुआ करता था.
रोम के निरंकुश
शासक जूलियस सीजर ने ईसा से ४५ वर्ष पूर्व अपना जूलियस कलेंडर चलाया था, जिसके
अनुसार एक जनवरी को उत्सव मनाया गया था; तिथि निर्धारण के लिए उसे पिछले वर्ष यानि
ईसा पूर्व ४६वाँ वर्ष ४४५ दिनों का करना पड़ा था.
इस्लामी हिज़्र कैलेंडर मुहर्रम से शुरू होता है, जिसमें १० दिन हर वर्ष पीछे खिसकते रहते हैं.
हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र नवरात्रियों से शुरू होता है, परंतु भारत में विभिन्न संस्कृतियों के चलते
देश के अलग अलग हिस्सों में धार्मिक/स्थानीय मान्यताओं के अनुसार नववर्ष की
शुरुआत अलग अलग तिथियों से हुआ करती है. पंजाब में बैसाखी यानि १३ अप्रेल से, सिख
नानकसाही १४ मार्च से, आंध्र की उगादी व बंगाली नववर्ष की शुरुआत भी इन्ही दिनों
में होती है. दक्षिण में पोंगल मकर संक्रांति पर, सिंधियों का चेटीचंड से शुरू
होता है.
उज्जयनी के सम्राट
विक्रमादित्य ने शक शासकों पर अपनी विजय के उपलक्ष में विक्रम संवत ईसा से ५८ वर्ष
पूर्व चालाया था जो २१ फरवरी से प्रारम्भ होता है. शक सम्राट कनिष्क ने ईसा पूर्व
७८ वर्ष से शक संवत चलाया था, भारत सरकार ने मामूली फेरबदल करके इसे ही राष्ट्रीय
संवत के बतौर अपनाया है.
विश्व भर में आज
प्रचलित ईस्वी संवत वाला कैलेंडर, रोमन ग्रेगोरियन कलेंडर पर आधारित है. पोप
ग्रेगरी अष्टम ने सन १५८२ में यह कैलेंडर पुन: अपडेट कराया, जिसमें गणना ठीक करने
के लिए ‘लीप इयर’ का प्रावधान किया गया. पर ईसाइयों का एक पंथ ‘ईस्टर्न आर्थोडेक्स
चर्च’ ग्रेगोरियन कलेंडर को नहीं मानता है; उनके कैलेंडर के अनुसार १४ जनवरी से नववर्ष होता है इनका कलेंडर रूस, जार्जिया, यरूशलम, सर्विया आदि देशों में चलता है.
चीन वाले चन्द्रमा की गति से अपना कैलेंडर बनाते हैं, जिसके अनुसार नववर्ष २१ जनवरी
व २१ फरवरी के बीच आता है.
हर नववर्ष की
शुरुआत पर आम लोगों में उत्साह-उल्लास व
सुखद भविष्य की परिकल्पना होती है, और इसी उद्देश्य से सभी मित्र लोगों से या
सार्वजनिक रूप से शुभ कामनाओं का आदान प्रदान होता है.
मैंने इस बार वर्ष
२०१८ का नववर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वजनों के साथ मनाया, जिसका विवरण
अगले लेख में लिखूंगा.
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-01-2018) को "सुधरें सबके हाल" (चर्चा अंक-2839) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तथ्यपरक जानकारी..आभार
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