एसीसी के शुरुआती
बर्षों में आगरा से अनेक कारीगर लाखेरी रोजगार की तलाश में आये थे अथवा बुलाये गए
थे. तब आज की तरह कोई आई.टी.आई. या इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट आसपास नहीं थे
ज्यादातर कर्मचारी अनुभव के आधार पर सीखे हुए थे. मक्खनलाल जी के पिता
लक्ष्मीनारायण शर्मा कब और कैसे आगरा से अपना टेलरिंग का धंधा छोड़ कर लाखेरी आये
मुझे उसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. मैंने तो उनको गान्धीपुरा रोड पर (कंपनी के
बंगला नंबर ६ के ठीक पीछे) उनके अपने मकान में तब देखा था जब वे उम्र के चौथे पडाव
में पहुँच चुके थे. वे एक छोटा सा वर्कशाप खोलकर पुराने टायरों की वल्कनाइजिंग व
पंचर ठीक करने का काम खुद किया करते थे. लक्ष्मीनारायण जी के दो बेटे मिठ्ठनलाल व
मक्खनलाल कंपनी में मुलाजिम हो गए थे. मिठ्ठनलाल उस जमाने में पालीटेक्निक किये
हुए इंजीनियर थे, जिनकी लंग्स- इन्फेक्सन
के कारण अकाल मृत्यु हो गयी थी; उन्ही के बड़े बेटे राजेन्द्रकुमार शर्मा को एसीसी
स्कूल में अध्यापक की नौकरी दी गयी, राजेन्द्र जी के एक छोटे भाई कैमोर
इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट से ट्रेंड तथा छोटे जीतेंद्र व एक अन्य (नाम मैं विस्मृत
कर रहा हूँ) कोटा में कहीं कार्यरत थे.
मक्खनलाल शर्मा
डीजल मैकेनिज्म के माहिर व्यक्ति थे, मैंने उनको माइन्स में कार्यरत पाया था और
वहीं से करीब ३५ बर्षों के सेवाकाल के बाद उनका रिटायरमें भी हुआ था. सन १९९५ में
उनका स्वर्गवास हो गया था. मक्खनलाल शर्मा एक जीवट वाले फोरमैन थे माइन्स की बड़ी
बड़ी अर्थमूवर्स मशीनों, डम्फरों, लोडर-टिप्पर मशीनों की पूरी तरह देखभाल उनके
जिम्मे था.
वे बहुत उद्यमी थे
उन्होंने ही लाखेरी में सर्वप्रथम एक फोटोस्टेट मशीन लगाकर नई तरह की सुविधा लोगों
को उपलब्ध कराई थी अन्यथा ये सुविधा उन दिनों में केवल कारखाने के आफिस में हुआ
करती थी. मुझे ठीक से याद नहीं है कि उन्होंने शायद PCO भी उन्होंने खोला था?
स्वभाव से जॉली,
हमेशा व्यस्त रहने वाले मक्खनलाल जी का अपना भरापूरा परिवार था तीन बेटे और चार बेटियाँ
, सब को यथाशक्ति
शिक्षा दी. फलत: बडा बेटा सुरेन्द्र शर्मा मुम्बई में किसी इंडस्ट्री में सीनियर
पद पर, मझला वीरेन्द्र अहमदाबाद में तथा छोटा धीरेन्द्र आजकल डेनमार्क में कार्यरत
हैं. बेटी सुधा (अब स्वर्गीय), कुसुम. बेबी और रानी है ऐसी मेरी जानकारी में है. इनमें
से कुछ सदस्य फेसबुक पर मुझसे जुड़े हुए भी है.
डाक्टर देवदत्त
शर्मा/ जयप्रकाश शर्मा के पिता स्व. हरिनारायण शर्मा (ब्लैकस्मिथ) और कोआपरेटिव
सोसाइटी में कार्यरत सेल्समैन स्व. रमाकांत शर्मा रिश्ते में मक्खनलाल जी के सगे
साढू होते थे.
TRT क्वार्टर्स में रहते हुए वे मेरे नजदीकी
रहे थे, उनके परिवार से बहुत अपनापन मेरे परिवार को मिलता रहा था. वे सुनहरे दिन व
स्नेहिल लोग अब बहुत पीछे छूट गए हैं.
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