शनिवार, 11 जुलाई 2020

यादों का झरोखा - डाक्टर बी.एम्. घुले


यादों का झरोखा : (३१)

डाक्टर बी.एम.घुले

HE IS MORE THAN A DOCTOR”  डा. घुले के बारे में ये शब्द थे एसीसी के पूर्व मैनेजिंग डाईरेक्टर स्व. एम्.एम्.राजोरिया जी के.

एसीसी में मेरे ३९ वर्षों के कार्यकाल में मुझे लगभग ३५ डाक्टरों के सानिध्य में कार्य करने का सौभाग्य मिला, जिनमें सबसे लम्बे समय तक हेड आफ डिपार्टमेंट के रूप में डा. भूषण घुले रहे थे. सन १९९९ में लाखेरी में मेरे रिटायरमेंट के समय वे ही मैनेजर हेल्थ सर्विसेज थे.

मैंने उनको बहुत करीब से देखा है, वे सभी रोगियों को बहुत गंभीरता से लिया करते थे और पूरी मेहनत से ईलाज के प्रति समर्पित रहते थे. उन्होंने हमेशा नई दवाओं तथा मेडीकल इक्विपमेंट्स के बारे में खुद को अपडेट करके रखा था. व्यवहारकुशल डा. घुले बीमारों ही नहीं अपने विभाग में  काम करने वाले स्टाफ को भी परिवार की तरह ही ट्रीट किया करते थे.

कर्मचारी यूनियन के प्रेसीडेंट के रूप में मेरी वहाँ पर दोहरी जिम्मेदारी हुआ करती थी, मुझे याद नहीं है कि कभी किसी विषय पर उनसे बहस/ विवाद या शिकायत रही हो. मैनेजर हेल्थ सर्विसेज बनने के बाद इंचार्ज डाक्टर पर फैक्ट्री मेनेजमेंट द्वारा बहुत से दबाव होते देखे थे, विशेषकर कारखाने के नवीनीकरण के समय जब सब तरफ से खर्चों की कटौती व स्टाफ को कम करने के प्लान चल रहे रहे थे. तब बहुत शालीनता से उन्होंने अपना रोल निभाया था.

भिलाई में उनका पैत्रिक घर है, वे जामुल से ट्रांसफर होकर सन १९९० के आसपास लाखेरी आये थे, मुझे जहा तक याद है वे सन २०१२ में रिटायर हुए थे. अब लाखेरी के ही होकर रह गए हैं. यहीं ट्रांसपोर्ट नगर में उन्होंने अपनी निजी क्लीनिक खोलकर रिटायरमेंट लाईफ को व्यस्तता में बदला हुआ है. लाखेरी निवासियों के लिए ये अतिरिक्त सुविधा किसी वरदान से कम नहीं है.

पिछली बार मैं सन २०१७ जनवरी में लाखेरी विजिट के समय उनसे उनकी क्लीनिक पर जाकर मिला था . लाखेरी के लोगों का उनके प्रति सम्मान व विश्वास देख कर बहुत खुशी हुई. दुर्भाग्य से उनको एक पारिवारिक शोक झेलना पडा है कि उनका इकलौता पुत्र स्व. सिद्धार्थ मुम्बई में डेंगू का शिकार हो गया था. वह आई आई टी. करके मुम्बई में कार्यरत था . डाक्टर साहब ने रूंधे गले से बताया कि उनके मुम्बई पहुचने से पहले ही वह स्वर्ग सिधार चुका था, ईलाज का मौक़ा ही नहीं मिला. मृत्यु एक शाश्वत सत्य है पर अकाल म्रत्यु की वेदना अतीव होती है. हम सब डाक्टर साहब के दुःख में शामिल हैं. पता नहीं परमेश्वर इस तरह अच्छे लोगों की परीक्षा लेकर क्यों दुखी करता है.

डाक्टर साहब की बिटिया सौभाग्यवती सुरभि सुपेकर भी  हमारे ग्रुप लाखों के लाखेरियन्स की मेंबर है, फेसबुक पर सक्रियता देखकर खुशी होती है.

डा. घुले व उनकी श्रीमती साधना घुले लाखेरी कालोनी के सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों में अविस्मरणीय रोल अदा करते रहे थे, आज भी करते रहते होंगे. मुझे व्यक्तिगत रूप से डा. घुले ने मेरे रिटायरमेंट के बाद भी अनेक बार अनुग्रहीत किया है, मैं फोन करके ही उनसे यथोचित सलाह व जानकारी पूछ कर लाभान्वित होता रहा हूँ. दिल से आभारी हूँ.
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