मंगलवार, 27 मार्च 2012

कोका-कोला म्यूज़ियम


अमेरिका प्रवास के दौरान जिन दर्शनीय स्थलों को देखने का अवसर मिला उन एक है कोका-कोला म्यूज़ियम जो ज्योर्जिया राज्य के अटलांटा शहर में स्थित है. CNN Center और Centennial Olympic Park के बिलकुल नजदीक में ये म्यूजियम बनाया हुआ है. अहाते के द्वार के पास कोका-कोला के आविष्कारक डॉ. पैमबर्टन की आदमकद से बड़ी कांस्य मूर्ति है, जो हाथ में गिलास लेकर हर आने वाले को इस सॉफ्ट ड्रिंक की अपनी चाहत देना चाहते हैं.
  
पन्द्रह डालर्स प्रति व्यक्ति का टिकट लेकर हम, यानि मैं, मेरी श्रीमती, हमारी बेटी और दामाद इस संग्रहालय को देखने के लिए गए.

कोका-कोला एक नॉन-अल्कोहोलिक साफ्ट ड्रिंक के रूप में जाना जाता है और विश्व भर में करोड़ों लोग चाव से इसका मजा लेते हैं. इसके खिलाफ दुष्प्रचार में ये भी कहा जाता रहा है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. विशेषकर छोटे बच्चों के लिए अच्छा नहीं है, पर बच्चे तो इसके दीवाने होते हैं. बीच में कुछ एजेंसियों ने इसमें पेस्टीसाइड होने के समाचार भी प्रसारित किये लेकिन ये प्रयोग होने वाले पानी की गुणवत्ता पर निर्भर करता है अन्यथा इसका जो फार्मूला है वह तो सोडा बेस होने की वजह से ऊर्जा देने वाला, चुस्ती लाने वाला तथा पाचन तंत्र को साफ़ रखने वाले पदार्थों से बना होता है.

यद्यपि मैं कभी-कभार मुफ्त मिलने पर कोका-कोला पी लेता हूँ, मन में उत्कंठा थी कि इसकी जन्मस्थली तक आया हूँ तो इसके व इसके जन्मदाता के बारे में जानकारी ली जाये. इसके लिए अटलांटा स्थित भव्य संग्रहालय से अच्छा स्थान-साधन नहीं हो सकता था.

संगहालय में घुसते ही नब्बे फुट के ग्लास पिलर पर २७ फुट की कोका-कोला की बोतल दिखी. स्वागत कर्ताओं ने दर्शक-आगंतुकों के लिए अनेक विज्ञापन चित्र, पुरानी रंगीन कांच की बोतलें, प्रारंभिक दिनों में इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजिरेटर नुमा टैप वाली मशीनें, सौ वर्ष पूर्व ट्रांसपोर्ट में काम आने वाली मोटर कार आदि बहुत खूबसूरती से सम्हाल कर उनका इतिहास सहित दिखाए गए थे. एक छोटे से थियेटर में 3D कार्टून फिल्म भी दर्शकों को दिखाई गयी. कोका-कोला से सम्बंधित जिंगल सुनाये गए. इतिहास-भरा बहुत बढ़िया ये स्क्रिप्ट मन को मोहने वाला था. उसी काम्प्लेक्स में पोलर बियर बना एक व्यक्ति सब का मनोरंजन भी कर रहा था.

कोका-कोला का आविष्कार डॉ. जान पैमबर्टन ने सन १८८६ में किया था वह मूलत: एक फार्मासिस्ट था. कहा तो ये भी जाता है कि वह खुद कोकैन एडिक्ट था. शुरुआती दौर में उसके इस ड्रिंक में कोकैन की मात्रा भी रहती थी. कोक के पत्तों का मिश्रण+कैफीन+वनीला+कोला+शक्कर से यह तैयार किया जाता था. इसका फ़ॉर्मूला हमेशा गोपनीय रखा जाता रहा. बाद में 1890 में इसके फार्मूले में शायद कोकैन को हटा दिया गया. इसके बाद मी अनेक बार इसके फ्लेवर पर रिसर्च व तदनुसार बदलाव किये गए.

इसको मैजिक लिक्विड भी कहा जाता था तथा पैमबर्टन कैमिकल कंपनी खुद को फैक्ट्री आफ हैप्पीनेस कहती थी. आज कोका-कोला दुनिया के २०० से अधिक देशों में पिया जाता है. प्रारम्भ में ये केवल दवा की दुकानों पर ही उपलब्ध होता था. इसे 'टॉनिक' और नर्व स्टिमुलेन्ट के रूप में पहचाना जाता था.

म्यूजियम में एक फाउन्टेन बार है जहाँ ५ पिलरों में टैप लगे हैं, जिनमें तीस से अधिक फ्लेवर्स का कोका-कोला निकलता है. आगंतुकों को छूट है कि जितना मर्जी पियो और मजा लो. मुख्यत: कोला, कोला चेरी, कोला वनीला, कोला ग्रीन टी, कोला लेमन लाइम, कोला ओरेन्ज, कोला रसभरी, कोला पाइनएप्पल हैं.

म्यूज़ियम में सैकड़ों तरह/डिजाइन की नई पुरानी बोतलें, टिन पैकिंग सजाई गयी हैं. बड़ी बड़ी बोटलिंग प्लांट वाली मशीनों के नमूने, चालू हालत में चलती हुई दिखाई जाती हैं. अफ़्रीकन-अमेरिकन गाइड्स दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती हैं.

बताते हैं कि पैमबर्टन केमिकल कम्पनी अब सॉफ्ट ड्रिंक के साथ साथ कई अन्य उत्पादों की भी मार्केटिंग करती है जैसे जूस, मिनरल वाटर, कंसंट्रेटेड जूसेज, वेजीटेबल जूसेज, नेक्टर और जैम आदि.

संग्रहालय से विदा होते समय हमें एक एक कोका-कोला की छोटी बोतल गिफ्ट की गयी. सब मिला कर एक यादगार अनुभव रहा.
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