मंगलवार, 11 अगस्त 2015

पैगाम - ३

हम इस देश के चौकीदार हैं, जन जन को बता दो;
न खाऊँ न खाने दूं के जुमले को अब धता बता दो.

     हमने महंगाई के आंकड़े को माइनस में दिखा दिया है,
     हमने सोने को चांदी के भाव बिकवा दिया है,
     हमने स्विस बैंक खंगाल लिए, काला कहीं नहीं मिला है,
     अब गंग-जमन में भी कहीं कोई गंदा नाला नहीं मिला है,
     फिर भी कहीं कोई गन्दगी मिलती है तो,
     जरूर बचे-खुचे कांग्रेसियों की करामात होगी.
इनको संसद के बाहर का रास्ता बता दो!
हम देश के चौकीदार हैं, जन जन को बता दो!

     हमने चीन, जापान और कुसतुन्तुनिया में झंडे गाड़ दिए हैं,
     ये दीगर बात है की हमारे कश्मीरियों ने तिरंगे फाड़ दिए हैं.
     हमारे छप्पन इंच के सीने को देखकर-
     दुनिया विश्वगुरू मानने को तैयार बैठी है,
     सीमा पर रोज मारे जा रहे हैं जवान-
     क्या करें? नाराज होकर तोपें खामोश बैठी हैं.
एक के बदले बीस ये जुमला था, सैनिकों को बता दो!
हम इस देश के चौकीदार हैं, जन जन को बता दो!

     नापाक पाक की ये हिमाकत कि लौटा दिए हमारे आम और मिठाई,
     खून का रिश्ता है, कैसे तोड़ दें एकाएक, मेरे भाई,
     ये बात इन दहशतगर्दों को बता दो,
     सजा तो अदालत देगी बीस साल बाद,
     हम अब भी खिलाएंगे बिरयानी नावेद को,
     ये उसके अब्बू और नवाज शरीफ को बता दो,
खता ये कि हमारी लोकशाही है बता दो!
हम इस देश के चौकीदार हैं जन जन को बता दो!

     हमने संसद में हुल्लड़ का नया ललित गेट खुलवा दिया,           
    हमने मध्यप्रदेश के व्यापम को व्यापक बना दिया,
     फिर भी अगर कोई नौजवान नौकरी को रोता है तो-
     उसे पच्चीस साल बाद का कोई अच्छा दिन बता दो.
उससे पहले कोई चमत्कार भी हो सकता है, उसे बता दो!
हम इस देश के चौकीदार हैं जन जन को बता दो!

     लोग खुशी खुशी सब्सिडी छोड़ रहे हैं
     हाँ, सांसद अभी भी गरीबी झेल रहे हैं
     डीजल-पेट्रोल आधे दाम पर बिक रहे हैं
     किसान अब खुश हैं कि जमीन अध्यादेश से ली जायेगी
     ये आत्महत्याएं जो इश्क की बदौलत हो रही हैं,
     उनका मातम मनाना अब  बंद करा दो.
मरने के बाद पेंशन पक्की है, ये बात किसानों को बता दो!
हम इस देश के चौकीदार हैं  जन जन को बता दो!

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