छठा पत्र
प्यारी बिटिया,
सदा सुखी रहो.
तुम्हारा दिल्ली से लौटकर लिखा गया पत्र मुझे मिल गया है. तुमने दिल्ली प्रवास में दर्शनीय स्थल एवं ऐतिहासिक महत्व की इमारतें देखी, उन सबके बारे में तुमको अवश्य ही जानकारी भी दी गयी होगी. दिल्ली हमारे देश का दिल है. पौराणिक काल में इनका नाम इन्द्रप्रस्थ था, महाभारत में इसका उल्लेख आता है. मैंने बहुत वर्ष पहले दिल्ली को देखा था, तब दिल्ली छोटी हुआ करती थी. अब आबादी बढ़ने से तथा नगर के विस्तार होने से इसकी काया पलट हो गयी है. कहा जाता है कि Rome was not built in a day. उसी तरह दिल्ली भी एक ही दिन में ऐसी नहीं बनी है. इतिहास गवाह है इसने बहुत विलासिता और बड़ी बड़ी लड़ाईयां व उथल-पुथल भी झेली हैं. आज इनका जो स्वरुप है, उसमें जहाँ कुतुबमीनार, लालकिला, जामा मस्जिद जैसी मुगलकालीन इमारतें है, वहीं ब्रिटिश काल में बनी संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन जैसी शानदार इमारतें हैं. वहीं स्वतंत्र भारत में राजघाट पर बनी महात्मा गांधी जी, नेहरू जी, इंदिरा जी, शास्त्री जी तथा अन्य राष्ट्र नायकों के स्मारक हैं.
चिड़ियाघर, गुड़ियाघर, बिरला मंदिर, बहाई मंदिर और अक्षरधाम मंदिर आदि अनेकों दर्शनीय स्थल हम सबके आकर्षण के केन्द्र बन गए हैं. तुमने नेहरू प्लेनेटोरियम देखा, अंतरिक्ष की सैर जैसा आनंद लिया, यह जानकार बहुत अच्छा लगा. जंतर-मंतर के बारे में तुमने जो संदेह व्यक्त किये हैं, उनका समाधान जरूरी है. यह एक वेधशाला है, जिसे अठारहवीं शताब्दी में जयपुर के महाराजा सवाईसिंह द्वितीय ने बनवाया था, जैसा कि तुमने देखा होगा, यह चार भागों में विभक्त है-- सम्राट यंत्र, राम यंत्र, जयप्रकाश यंत्र और मिश्र यंत्र. इन पत्थरों पर खींची गयी रेखाओं एवं बनाए गए चिन्हों से सूर्य की गति तथा नक्षत्रों की स्थिति के बारे में सही जानकारी मिलती है. सम्पूर्ण नक्षत्र विज्ञान को एक स्थान पर स्थाई रूप दिया गया है.
इसकी उपयोगिता के विषय में जानने से पहले तुमको ये मालूम होना चाहिए कि ज्योतिष विद्या क्या है? प्राचीन काल से ही मनुष्य ग्रहों-नक्षत्रों की स्थतियों पर अपने अनुमान लगाता आ रहा है. अभी कुछ समय पहले तक चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण पुच्छल तारा आदि के विषय में अनेक धार्मिक मान्यताएं थी जो कि हजारों वर्षों से चली आ रही थी, पर अब मनुष्य चाँद पर घूम कर आ गया है और मंगल, बृहस्पति, व शुक्र ग्रह तक में वैज्ञानिक यंत्र उतार कर जानकारी ली जा रही है. जब विज्ञान इतना उन्नत नहीं था तो ज्योतिष का जन्म हुआ था. यह केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व की सभी सभ्यताओं में अपने अपने तरीके से आगे बढ़ा चाहे वह यूनान, बेबीलोन या मिश्र की सभ्यता रही हो.
प्रायोगिक दृष्टि से ज्योतिष के दो भाग हैं, एक फलित ज्योतिष जो अनुमानों पर या संयोगवश घटी घटनाओं पर कल्पित है और दूसरा गणित ज्योतिष जो पूरी तरह वैज्ञानिक है तथा शत्-प्रतिशत सही परिणाम बताता है. इसी के आधार पर पंचांग-कलैंडर तैयार किये जाते हैं. फलित ज्योतिष पर बहुत से लोग विश्वास भी करते हैं लेकिन इसके नतीजे वैज्ञानिक नहीं होने से खरे नहीं उतरते हैं. इसी आधार पर बड़ी बड़ी भविष्य वाणियां भी होती हैं जो गलत साबित होती हैं. अभी कुछ वर्ष पहले अष्टगृह-योग पर सम्पूर्ण पृथ्वी के नष्ट होने की बात ज्योतिषियों ने बहुत जोर शोर से कही थी जो कोरी गप सिद्ध हुई.
ज्योतिष का गणित विज्ञान पक्ष सर्व मान्य है ये इंसान की फितरत है कि वह अपने आने वाले समय के बारे में पहले ही जानने को उत्सुक रहता है, इसी कमजोरी का फ़ायदा उठा कर नकली ज्योतिषी, लोगों को ठग लेते हैं. अब ज्यों ज्यों शिक्षा का प्रसार हो रहा है ये अंधविश्वास कम होते जा रहे हैं.
भारत ने अपना जो पहला उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा उसका नाम ‘आर्य भट्ट’ रखा था. प्राचीन काल में आर्य भट्ट तथा उनकी पत्नी महान गणितज्ञ और खगोलविद हुए हैं, जिन्होंने हजारों वर्ष पहले जो सिद्धांत बताए वे आज भी सही बैठ रहे हैं. इसी तरह विश्व में जो महान लोग इस क्षेत्र में हुए उनके बारे में तुम्हें अपनी पाठ्य पुस्तकों में भी विस्तार से अवश्य मिलेगा.
इस दुनिया में कुछ ‘अजूबे’ जरूर हैं, जो मनोविज्ञान/ परामनोविज्ञान की बातें है, जैसे कई बार बहुत सी बातों का पूर्वाभास हो जाता है, लेकिन इनका कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक नहीं मिला है.
महत्वाकांक्षी लोग हस्त रेखा पर नहीं, हस्त कौशल पर भरोसा करते हैं. अर्थात भाग्य भरोसे न बैठ कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए. मेहनत और अध्यवसाय कभी व्यर्थ नहीं जाते है. पुरुषार्थ करने पर ही अनुकूल फल प्राप्त होता है.
तुम्हारे दादा- दादी जी शीघ्र यहाँ आने वाले हैं. इस बार भी छुट्टियों में तुमको उनका सानिध्य मिलेगा.
भैया का प्यार. इसके लिए तुमने जो खिलोना दिल्ली से खरीदा है, उसे किसी के मार्फ़त मत भिजवाना, तुम्ही साथ लाना.
पापा की आशीषें.
तुम्हारी माँ
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बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
अपनापा लिये जिवंत पत्र, सादर
जवाब देंहटाएंपुरुषोत्तम जी,...बहुत सुंदर लेखन और अभिव्यक्ति,..
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है,...
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MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
ek gyaanvardhak patra bahut achcha laga aapke blog par aana aur ek achchi post ko padhna.
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhuvyakti..sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पत्र,सुंदर लेखन .....
जवाब देंहटाएंbahut hi achchhi aur vicharottejak post...
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