उनका पूरा नाम फारसी भाषा में है, जो बहुत लंबा है. छोटा करके भी ‘उमर बिन अल खय्याम निशापुरी’ होता है. साहित्य के इतिहास में वे ‘उमर खय्याम’ के नाम से प्रसिद्ध हैं. हम उनको फारसी के प्रख्यात शायर के रूप में जानते हैं, जिन्होंने बहुत खूबसूरत सारगर्भित रूबाइयां लिखी उनकी रूबाइयों का आज दुनिया की सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.
भारत के पश्चिम में हिंदमहासागर और उत्तरी अफ्रीका के बीच के जल सागर को फारस की खाड़ी नाम दिया गया है. ईरान को पुराने समय में फारस या परसिया कहा जाता था. फारस की खाड़ी के तीनों तरफ स्थित देशों में फ़ारसी बोली जाती थी. आज भी ईरान, ताजिकिस्तान, व अफगानिस्तान में फारसी बोली जाती है. फारसी एक प्राचीन समृद्ध भाषा है. आज दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में फारसी के विभाग हैं. इसी भाषा के विद्वान उमर खय्याम अपने समय के प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जिन्होंने विज्ञान, ज्योतिष, इतिहास, क़ानून, औषधिशास्त्र पर अनेक किताबें लिखी. इनके अलावा उनको इस्लामी दर्शन पर और ज्यामितीय गणित पर भी महारत हासिल थी.
उनका जन्म आज से एक हजार वर्ष पूर्व ईरान के निशापुर में हुआ, जहाँ से वे बचपन में ही समरकंद चले गए थे. वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा हुई. इस महान विचारक के अध्यवसाय व लेखन से अनेक विद्वानों ने प्रेरणा पाई है. कहते हैं कि हरिवंश राय बच्चन जी की ‘मधुशाला’ की प्रेरणा उनकी रूबाइयां ही थी. हरिवंश राय जी अंग्रेजी भाषा के भी विद्वान थे, उन्होंने बड़े दिल से मधुशाला को रचा था. यह हिन्दी भाषा की एक कालजयी रचना है.
उमर खय्याम की रूबाइयों का प्रकाशन उनकी मृत्यु के दो सौ वर्षों के बाद हो पाया था और उनका अंग्रेजी में अनुवाद तो उन्नीसवीं सदी में एडवर्ड फिट्ज जीराल्ड ने किया.
ईरान के निशापुर में उनका मकबरा बना हुआ है, जो ईरानी वास्तुकला का एक नायाब नमूना है. हर वर्ष लाखों पर्यटक वहाँ दर्शनार्थ जाते हैं. इस महान विभूति को हम भी सलाम करते हैं.
भारत के पश्चिम में हिंदमहासागर और उत्तरी अफ्रीका के बीच के जल सागर को फारस की खाड़ी नाम दिया गया है. ईरान को पुराने समय में फारस या परसिया कहा जाता था. फारस की खाड़ी के तीनों तरफ स्थित देशों में फ़ारसी बोली जाती थी. आज भी ईरान, ताजिकिस्तान, व अफगानिस्तान में फारसी बोली जाती है. फारसी एक प्राचीन समृद्ध भाषा है. आज दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में फारसी के विभाग हैं. इसी भाषा के विद्वान उमर खय्याम अपने समय के प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जिन्होंने विज्ञान, ज्योतिष, इतिहास, क़ानून, औषधिशास्त्र पर अनेक किताबें लिखी. इनके अलावा उनको इस्लामी दर्शन पर और ज्यामितीय गणित पर भी महारत हासिल थी.
उनका जन्म आज से एक हजार वर्ष पूर्व ईरान के निशापुर में हुआ, जहाँ से वे बचपन में ही समरकंद चले गए थे. वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा हुई. इस महान विचारक के अध्यवसाय व लेखन से अनेक विद्वानों ने प्रेरणा पाई है. कहते हैं कि हरिवंश राय बच्चन जी की ‘मधुशाला’ की प्रेरणा उनकी रूबाइयां ही थी. हरिवंश राय जी अंग्रेजी भाषा के भी विद्वान थे, उन्होंने बड़े दिल से मधुशाला को रचा था. यह हिन्दी भाषा की एक कालजयी रचना है.
उमर खय्याम की रूबाइयों का प्रकाशन उनकी मृत्यु के दो सौ वर्षों के बाद हो पाया था और उनका अंग्रेजी में अनुवाद तो उन्नीसवीं सदी में एडवर्ड फिट्ज जीराल्ड ने किया.
ईरान के निशापुर में उनका मकबरा बना हुआ है, जो ईरानी वास्तुकला का एक नायाब नमूना है. हर वर्ष लाखों पर्यटक वहाँ दर्शनार्थ जाते हैं. इस महान विभूति को हम भी सलाम करते हैं.
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शब्दों के राजाओं को सदा ही नमन रहा है हमारा..
जवाब देंहटाएंहरिवंश राय बच्चन जी अब हमारे बीच भौतिक शरीर रूप नहीं हैं लेकिन 'बिग बी' हैं ,उनसे पूछा जा सकता है , उम्र खैयाम साहब की रुबाइयों का ही बेहतरीन रूपांतरण है मधु शाला .आपने
जवाब देंहटाएंबेहतरीन आलेख लिखा है .बधाई हमारा सौभाग्य है आप चिठ्ठाकारी के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं .
आल आर्ट इज इमिटेशन बट देट इमिटेशन शुड लुक औरिजिनल .हरिवंश राय बच्चन एक प्रतिभा का नाम है .मधुशाला का मतलब मंचीय कवि .कवि सम्मलेन की जान रहें हैं बच्चन जी
,काका हाथरसी और देवराज दिनेश .संतोषा नन्द औरकविवर हुक्का .