बुधवार, 9 जनवरी 2013

क्या करेंगे अन्ना?

मीडिया की सुर्ख़ियों में आया है कि अजमेर, राजस्थान, के पुलिस एस.पी. को अपने क्षेत्र के थानों से ‘मासिक वसूली’ के पुख्ता प्रमाणों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया है. रिश्वत की किश्त देने वाले तेरह थानाध्यक्षों को लाइन हाजिर किया गया व दलाल को पकड़ लिया गया है. इस तरह की खबरें पुलिस या अन्य किसी सरकारी विभागों में कोई अपवादस्वरुप नहीं हैं. अपवाद तो तब होगा जब भ्रष्टाचार के गंदे नाले में रहकर कोई कर्मचारी साफ़ सुथरा बाहर निकल आए. जरूर, ऐसे भी लोग होंगे ही, लेकिन उनको अपने भ्रष्ट अधिकारियों की बेवजह प्रताड़नाएं तथा बार बार स्थानान्तरण की मार कितनी झेलनी पड़ती होगी, इसके आंकड़े इकट्ठे करना नामुमकिन है.

हम तो बचपन से सुनते आये हैं कि सिपाही/थानेदार के स्तर से अवैध कारोबारियों/ अपराधियों को सहूलियत-संरक्षण देने के लिए अथवा दुश्मनों को झूठा फंसाने की एवज में जो रुपये लिए-दिये जाते हैं, वे बेहिसाब होते हैं, और उसकी बंदरबांट होती है, जो ऊपर तक जाती है. इसमें दलालों का रोल अहम होता है. यह ‘सच’ कार्यपालिका में बैठे सभी अधिकारियों/राजनेताओं को भलीभांति मालूम रहता है.

वैसे तो सरकारी या गैर सरकारी जिन जिन विभागों से आम जनता का काम पड़ता है, वहाँ निहित स्वार्थों के लिए लोग भी आगे होकर रिश्वत देते हैं या देने के लिये मजबूर होते हैं. उदाहरण के लिए कुछ निम्नलिखित मलाईदार विभाग बहुत बदनाम हैं:

राजस्व विभाग – तहसीलों में अर्जीनिवेश/पटवारी/पेशकार से लेकर रजिस्ट्रार तक का हर सौदे में अपना प्रतिशत तय है. अगर नहीं दिया जाये तो कोई ना कोई नुक्ता लगा कर लटका दिया जाता है.

पी.डब्लू.डी. – सारा कार्य ठेकेदारों के माध्यम से होता है. एक मुहावरा आम है: "ठेकेदार और ईमानदार दो विशेषण एक साथ किसी व्यक्ति के नहीं हो सकते हैं." ये शिकायतें भी आम हैं कि वह मजदूर की मजदूरी देने में बेईमानी करता है और प्रोजेक्ट पर घटिया सामान लगा कर अपना पैसे बनाता है क्योंकि उसे सुपरवाइजर/इंजीनियर को भी उसका तय प्रतिशत देना होता है.

यातायात विभाग – किसी भी आर.टी.ओ. ऑफिस में चले जाइये. लाइसेंस बनवाने से लेकर परमिट, रजिस्ट्रेशन तक के सारे काम में दलालों की भूमिका रहती है. कहने को जगह जगह नोटिस लगाए जाते हैं कि "बिना सुविधा शुल्क दिये अपना का कराएं," पर सब झूठ होता है.

बिजली,पानी, टेलीफोन के विभाग – लाइनमैन, वायरमैन, इलैक्ट्रीशियन या प्लम्बर आपको हर काम की सुविधा शुल्क की रकम बेबाकी से बता देते हैं, जूनियर इंजीनियर से लेकर ऊपर तक यह रकम बांटी जाती है. मजेदार बात यह भी है कि रिश्वत देना अब आम आदमी की आदत हो गयी है.

उद्योगों में कानूनी पंचाट का अकसर खुला उल्लंघन होता है, जिसकी अनदेखी करने के लिए फैकट्री इंस्पेक्टर, लेबर इंस्पेक्टर, सेफ्टी इंस्पेक्टर, ऐक्साईज इंस्पेक्टर से लेकर इन विभागों के कमिश्नर तक की बंदी बंधी रहती है.

कभी कभी ट्रेन के स्लीपर कोच के टी.टी.ई. की एक रात की कमाई किसी किसान की साल भर की मेहनत की कमाई से ज्यादा हो जाती है.

इनकमटैक्स व सेल्सटैक्स विभागों की बात ना की जाये तो अच्छा है.

सुप्रीम कोर्ट के एक माननीय जज महोदय ने व्यंग्यात्मक स्वर में एक बार कहा था, “अब रिश्वत लेने-देने को कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए.”

किस किस की सच्चाई लिखी जाये? वकालत के न्यायिक पेशे में कितनी पवित्रता बची रह गयी है? सच को झूठ और झूठ को सच करने की दमदार रस्में और कसमें होती हैं. न्यायाधीश भी जब रिश्वत कांडों में नामित हों तो ईमानदारी खुद शरमा जाती है.

डॉक्टरी के नोबल पेशे में अब खुले आम लूट-भरी कंसल्टेंसी फीस के अलावा उनकी प्राइवेट प्रयोगशालाओं में महंगे जाँच (चाहे अनावश्यक ही हों) पर भारी कमाँई तथा दवाओं में कमीशन एक कैंसर की तरह देश के हर छोटे-बड़े शहरों में व्याप्त हो चुका है.

व्यापार में तो भ्रष्टाचार के कोई मानक तय ही नहीं हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में ट्यूशन/कोचिंग की भारी फीस तथा राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं में पैसों का खेल कई बार उजागर हो चुके हैं.

अब ईमानदार केवल वही रह गए हैं, जिनको बेईमानी करनी नहीं आती है या जिनको मौक़ा नहीं मिल पाता.

इस सम्पूर्ण रिश्वत के गोरखधंधे में राजनैतिक नेता शामिल होते हैं, जो कुर्सियों पर आते ही रातों-रात धनांड्य हो जाते है. अकूत संपत्ति इनके खातों में जमा होती रहती है.

धन्ना के खेत को जब बाड़ ही खा रही हो तो स्पष्ट है क्या करेंगे अन्ना?
***

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्या करेंगे अन्ना ,
    चूसने वाले चूस रहे हैं 'गन्ना'

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  2. काजल की कोठरी में कैसे ही सयानों जाय...

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  3. राजस्व विभाग – तहसीलों में अर्जीनिवेश/पटवारी/पेशकार से लेकर रजिस्ट्रार तक का हर सौदे में अपना प्रतिशत तय है. अगर नहीं दिया जाये तो कोई ना कोई नुक्ता लगा कर लटका दिया जाता है.

    अर्जी नवीश कर लें .बढ़िया रोजनामचा भारत के दफ्तरों का .महान लोगों का .यथा राजा तथा प्रजा .अंधेर नगरी ,चौपट राजा ,टेक सेर भाजी ,

    टेक सेर खाजा .

    भ्रष्ट व्यवस्था ,ध्वस्त प्रशासन ,निष्फल हुई सारी कुर्बानी ,

    भीड़ प्रदर्शन ,पुलिस के डंडे ,दिल्ली की अब यही कहानी .

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