मंगलवार, 1 जनवरी 2013

दस्तूर

मुझे मालूम था –
 ‘हमेशा की तरह तुम
   इस बार भी
    ठीक आधी रात को
     मुझे मेरी शीतनिद्रा से जगाओगी.

मैं अर्धमूर्छित सा
 अलसाए बदन
  गतवर्ष के दु:स्वप्नों को भूलकर
   तुम्हारे छुवन से जागृत हो जाऊंगा.
    ज्यों पत्रविहीन आड़ू के पेड़ को-
     वसंत-वयार की छुवन हो.
      वैसे ही छोटे छोटे बैगनी रंग के पुष्प से-
       सारे बदन में उग आयेंगे’.

तुमने उसी पुराने अंदाज में कहा
 “नववर्ष शुभ हो.”
  मैं भी तो यही चाहता हूँ,
  "सब शुभ हो-
    प्यार ही प्यार हो,
     प्यार ही आधार हो,
     और खुशियाँ अपार हों."
                ***

2 टिप्‍पणियां:

  1. मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
    आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।

    बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
    शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।

    रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
    सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।

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  2. हर रिश्ते में सिर्फ प्यार ही तो आधार है

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