एक पुरानी हिंदी फिल्म का यह गाना अपने समय का बहुत लोकप्रिय हुआ करता था:
"ये जिंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम ना होंगे..."
अब इस सिलिकोन वैज्ञानिक युग में जिंदगी के मेले इस तरह सजते जा रहे हैं कि हमारी पूर्व कल्पनाओं से परे हैं. पिछले एक सौ वर्षों में इतने सगुण आविष्कार हुए हैं, जिनकी वजह से मनुष्य की जीवन शैली ही बदल गयी है. आज की नई पीढ़ी को पुरानी व्यवस्थाओं के बारे बताने पर वे हँसने लगते हैं. क्योंकि आज दुनिया संचार क्रान्ति से गुजर रही है.
पिछली सदी के मध्य में बच्चों के खिलोनों के लिए तथा उसी क्रम में चन्द्रमा के धरातल पर चलने के लिए रोबोट बनाए गए. और बाद में स्वचालित मशीनों से जोड़ कर इन्सानों की तरह काम करने के परीक्षण भी रोबोट्स पर होते रहे. आम लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे. पर आज नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित मशीनें यानि छोटे रोबोट्स वह काम करने जा रहे हैं, जो इन्सान के पहुँच से बहुत दूर की बात रही है. इसका सीधा प्रभाव उन सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिनसे आम आदमी की सुविधाएँ बढेंगी और कार्यकलापों में तेजी आती रहेगी. अब नैनो रोबोट्स का ज़माना पदार्पित हो चुका है.
अब सिर्फ ५०-१०० साल बाद के लोगों की जीवनचर्या की कल्पना करेंगे तो लगता है खान-पान, पहनावे से लेकर यातायात के सारे तरीके बदल जायेंगे. अभी इनकी इंजीनियरिंग के बारे में बहुत कुछ गर्भ में है. मसलन जो डॉक्टर आज क्लीनिक्स / अस्पतालों में कार्यरत होते हैं, उनकी इस रूप में जरूरत नहीं होगी. नए नैनो टेक्नोलोजिस्ट् मेडिकल रोबोटिस्ट इनका स्थान लेते जायेंगे. यहाँ जोर देकर कहने वाली बात यह है कि नैनोबोट्स से विशेषकर चिकित्सकीय क्षेत्र में क्रान्ति आने वाली है. इसके लिए पहले यह समझना जरूरी है कि ये नैनोबोट्स क्या है.
नैनों का शाब्दिक अर्थ है बहुत छोटा (सूक्ष्मातिसूक्ष्म) इन छोटे रोबोटिक मशीनों के बारे में जो तकनीकी कार्य अभी तक हुए हैं वे बहुत उत्साहजनक हैं. इनके आकार के बारे में गणित यह है कि नैनोमीटर के मानक में इनका आकार 10 with the power of -9 मीटर है, जो सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जा सकते हैं. इनको अभी कई और नाम भी दिये गए हैं, जैसे नैनोइड, नैनोइट, नैनो मशीन व नैनोमाइट्स.
इनके बारे में कहा जाता है कि ये अणु व परमाणु की गणना करने में सक्षम होते हैं. वायु में उपस्थित विषाणुओं की पहचान भी कर सकते हैं.
जहाँ तक चिकित्सकीय क्षेत्र में इनके उपयोग की बात है, ये शरीर में रक्त संचार के साथ प्रविष्ट होकर उपकरण बनकर, अन्दरूनी जटिल शल्य-चिकित्सा व अन्य इलाज कर सकेंगे. इम्यून सिस्टम में श्वेत रक्तकणों के साथ मिलकर बीमारियों से लडेंगे. शरीर में दवा संचारण में आश्चर्यजनक कार्य करेंगे. कैंसर व मधुमेह जैसे असाध्य रोगों के ईलाज में पूरी तरह सक्षम होंगे.
एक समय था जब विकसित देश हथियारों पर अनुसंधान करते थे. उसके बाद अंतरिक्ष के बारे में होड़ रही, पर अब भविष्यदृष्टा सरकारें नैनो टेक्नोलॉजी पर जोर शोर से रिसर्च पर धन खर्च कर रही हैं.
अब से ५०-१०० वर्ष के अंतराल में, इसके क्रांतिकारी उपयोग सामने आते रहेंगे, उसकी पूरी कल्पना अभी नहीं की जा सकती है, लेकिन यह सिद्ध है कि मानव जाति की सेवा में ये मानव निर्मित नैनोबोट्स बहुत काम करेंगे.
"ये जिंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम ना होंगे..."
अब इस सिलिकोन वैज्ञानिक युग में जिंदगी के मेले इस तरह सजते जा रहे हैं कि हमारी पूर्व कल्पनाओं से परे हैं. पिछले एक सौ वर्षों में इतने सगुण आविष्कार हुए हैं, जिनकी वजह से मनुष्य की जीवन शैली ही बदल गयी है. आज की नई पीढ़ी को पुरानी व्यवस्थाओं के बारे बताने पर वे हँसने लगते हैं. क्योंकि आज दुनिया संचार क्रान्ति से गुजर रही है.
पिछली सदी के मध्य में बच्चों के खिलोनों के लिए तथा उसी क्रम में चन्द्रमा के धरातल पर चलने के लिए रोबोट बनाए गए. और बाद में स्वचालित मशीनों से जोड़ कर इन्सानों की तरह काम करने के परीक्षण भी रोबोट्स पर होते रहे. आम लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे. पर आज नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित मशीनें यानि छोटे रोबोट्स वह काम करने जा रहे हैं, जो इन्सान के पहुँच से बहुत दूर की बात रही है. इसका सीधा प्रभाव उन सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिनसे आम आदमी की सुविधाएँ बढेंगी और कार्यकलापों में तेजी आती रहेगी. अब नैनो रोबोट्स का ज़माना पदार्पित हो चुका है.
अब सिर्फ ५०-१०० साल बाद के लोगों की जीवनचर्या की कल्पना करेंगे तो लगता है खान-पान, पहनावे से लेकर यातायात के सारे तरीके बदल जायेंगे. अभी इनकी इंजीनियरिंग के बारे में बहुत कुछ गर्भ में है. मसलन जो डॉक्टर आज क्लीनिक्स / अस्पतालों में कार्यरत होते हैं, उनकी इस रूप में जरूरत नहीं होगी. नए नैनो टेक्नोलोजिस्ट् मेडिकल रोबोटिस्ट इनका स्थान लेते जायेंगे. यहाँ जोर देकर कहने वाली बात यह है कि नैनोबोट्स से विशेषकर चिकित्सकीय क्षेत्र में क्रान्ति आने वाली है. इसके लिए पहले यह समझना जरूरी है कि ये नैनोबोट्स क्या है.
नैनों का शाब्दिक अर्थ है बहुत छोटा (सूक्ष्मातिसूक्ष्म) इन छोटे रोबोटिक मशीनों के बारे में जो तकनीकी कार्य अभी तक हुए हैं वे बहुत उत्साहजनक हैं. इनके आकार के बारे में गणित यह है कि नैनोमीटर के मानक में इनका आकार 10 with the power of -9 मीटर है, जो सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जा सकते हैं. इनको अभी कई और नाम भी दिये गए हैं, जैसे नैनोइड, नैनोइट, नैनो मशीन व नैनोमाइट्स.
इनके बारे में कहा जाता है कि ये अणु व परमाणु की गणना करने में सक्षम होते हैं. वायु में उपस्थित विषाणुओं की पहचान भी कर सकते हैं.
जहाँ तक चिकित्सकीय क्षेत्र में इनके उपयोग की बात है, ये शरीर में रक्त संचार के साथ प्रविष्ट होकर उपकरण बनकर, अन्दरूनी जटिल शल्य-चिकित्सा व अन्य इलाज कर सकेंगे. इम्यून सिस्टम में श्वेत रक्तकणों के साथ मिलकर बीमारियों से लडेंगे. शरीर में दवा संचारण में आश्चर्यजनक कार्य करेंगे. कैंसर व मधुमेह जैसे असाध्य रोगों के ईलाज में पूरी तरह सक्षम होंगे.
एक समय था जब विकसित देश हथियारों पर अनुसंधान करते थे. उसके बाद अंतरिक्ष के बारे में होड़ रही, पर अब भविष्यदृष्टा सरकारें नैनो टेक्नोलॉजी पर जोर शोर से रिसर्च पर धन खर्च कर रही हैं.
अब से ५०-१०० वर्ष के अंतराल में, इसके क्रांतिकारी उपयोग सामने आते रहेंगे, उसकी पूरी कल्पना अभी नहीं की जा सकती है, लेकिन यह सिद्ध है कि मानव जाति की सेवा में ये मानव निर्मित नैनोबोट्स बहुत काम करेंगे.
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यदि इतने सूक्ष्म स्तर पर यदि नियन्त्रण हो जायेगा तो कुछ भी किया जा सकता है..हर स्तर पर..विशेषकर शरीर की क्रियाओं में..
जवाब देंहटाएंनैनो कार नैनो का स्थूल और मोर नृत्य सूक्ष्म रूप है .मोर पंखों पे नैनो पार्टीकिल्स ही अपनी लीला दिखाते हैं प्रकाश पड़ने पर .पदार्थ में अणुओं की संरचना ,समायोजन में फेरबदल करने का मतलब उनके गुणधर्मों में तब्दीली लाना है .नैनोमाहिर ,नैनोप्रद्योगिकी विद यही कर रहें हैं .
जवाब देंहटाएंड्रग डिलीवरी सिस्टम में एक क्रान्ति सी आने लगी है धीरे धीरे .नैनो बोले तो वन टेंथ ऑफ़ ए मिलियंथ ऑफ़ ए सेंटीमीटर साइज़ .ऐसी ही नैनो लीला है ,जो आणविक स्तर पर चलती है .आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए .आप निरंतर जन प्रिय विज्ञान लिखिए संवर्धन होगा इस विज्ञान साहित्य का .
नैनो कार नैनो का स्थूल और मोर नृत्य सूक्ष्म रूप है .मोर पंखों पे नैनो पार्टीकिल्स ही अपनी लीला दिखाते हैं प्रकाश पड़ने पर .पदार्थ में अणुओं की संरचना ,समायोजन में फेरबदल करने का मतलब उनके गुणधर्मों में तब्दीली लाना है .नैनोमाहिर ,नैनोप्रद्योगिकी विद यही कर रहें हैं .
जवाब देंहटाएंड्रग डिलीवरी सिस्टम में एक क्रान्ति सी आने लगी है धीरे धीरे .नैनो बोले तो वन टेंथ ऑफ़ ए मिलियंथ ऑफ़ ए सेंटीमीटर साइज़ .ऐसी ही नैनो लीला है ,जो आणविक स्तर पर चलती है .आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए .आप निरंतर जन प्रिय विज्ञान लिखिए संवर्धन होगा इस विज्ञान साहित्य का .
आभार आपकी सद्य (ताज़ा )टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंआभार आपकी सद्य (ताज़ा )टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंनैनो कार नैनो का स्थूल और मोर नृत्य सूक्ष्म रूप है .मोर पंखों पे नैनो पार्टीकिल्स ही अपनी लीला दिखाते हैं प्रकाश पड़ने पर .पदार्थ में अणुओं की संरचना ,समायोजन में फेरबदल करने का मतलब उनके गुणधर्मों में तब्दीली लाना है .नैनोमाहिर ,नैनोप्रद्योगिकी विद यही कर रहें हैं .
जवाब देंहटाएंड्रग डिलीवरी सिस्टम में एक क्रान्ति सी आने लगी है धीरे धीरे .नैनो बोले तो वन टेंथ ऑफ़ ए मिलियंथ ऑफ़ ए सेंटीमीटर साइज़ .ऐसी ही नैनो लीला है ,जो आणविक स्तर पर चलती है .आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए .आप निरंतर जन प्रिय विज्ञान लिखिए संवर्धन होगा इस विज्ञान साहित्य का .
आभार आपकी सद्य (ताज़ा )टिपण्णी का .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!