बुधवार, 11 अप्रैल 2012

शुभ आशीषें (माँ के पत्र - 4)

                        चौथा पत्र

प्यारी बिटिया,
शुभ आशीषें.
तुम पुन: व्यवस्थित हो गयी होगी. तुम्हारी छुट्टियाँ यों ही सहज में बीत गईं, मालूम ही नहीं पड़ा. ये कालक्रम ऐसे ही चलता जाता है किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है. इसी तरह सम्पूर्ण जीवन निकल जाता है. इस सँसार में वे ही लोग महान बन पाए, जिन्होंने अपने समय का सदुपयोग किया. सदुपयोग और महानता परिस्थितियों के एक ही पहलू में रहते हैं क्योंकि जन्म से कोई महान नहीं होता है.

हमारे समय में स्कूलों में एक आदर्श वाक्य लिखा रहता था, चरित्र ही जीवन की कुन्जी है. बहुत से विद्यार्थी इसका शायद तब अर्थ ही नहीं समझ पाते होंगे, लेकिन इसमें कितना गहरा उपदेश व सार है यह बाद में समझ में आता है. जो लोग महानता प्राप्त करते हैं उनके चरित्र में कई विशिष्टताएं होती हैं.

कथा-कहानियों, पौराणिक आख्यानों में स्वर्ग व नरक का वर्णन आता है, लेकिन ये सब काल्पनिक बातें है. सुखी जीवन ही स्वर्गीय आनंद है और दु:खी जीवन नारकीय कष्ट. सुख-दु:ख की भी लम्बी चौड़ी दार्शनिक परिभाषा है. संक्षेप में सुख वह है जिससे मन को सन्तोष तथा आनंद मिले और क्लेश पैदा ना हो. बहुत सारी धन-सम्पति होना ही सुख नहीं है. इसी सन्दर्भ में एक सत्य कथन मैंने पढ़ा था कि अमेरिका के फोर्ड मोटर कंपनी का मालिक अपने समय में दुनिया का सबसे अमीर आदमी माना जाता था, पर वह संग्रहिणी रोग से पीड़ित था, इसमें भोजन का पाचन हुए बिना ही तुरन्त दस्त हो जाता है. जब वह अपने वर्कशॉप से गुजर रहा था तो उसने एक मजदूर को सूखी ब्रेड आनंद से खाते हुए देखा तो कहा कि वह मजदूर कितना सुखी है. यों तो सुख का सम्बन्ध शरीर से कम तथा मन से ज्यादा होता है. हर माता पिता अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं कि सुखी रहो ये मंगल कामनाएं तभी फलित होती हैं जब बच्चे सुपात्र यानि अच्छे चरित्रवान होते हैं.  

सत्यम वद, घर्मं चर जैसी अनेक नैतिक उपदेशात्मक बाते तुम अपनी पाठ्य पुस्तकों में पढ़ती रही हो लेकिन इस पत्र द्वारा में तुमको कुछ व्यावहारिक बातें कहना चाहती हूँ कि अप्रिय सत्य यदि ना बोला जाये तो अच्छा ही है. इसी प्रकार लोभ रूपी दुर्गुण पर भी संयम रखने से बहुत सुकून मिलता है. कुछ बच्चे शौकिया या शरारतन दूसरों का सामान चुरा लेते हैं, बात जाहिर होने पर शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. अनैतिक कार्यों को करने के बाद अवश्य ही आत्मग्लानि होती है. परमेश्वर हमारे हर कार्य कलाप को देखते रहते हैं. यह सोचना चाहिए.

मैं ये बातें इसलिए भी लिख रही हूँ कि तुम्हारे छात्रावास में सभी तरह की लडकियां होंगी, बात व्यवहार से तुमको गुणवान अच्छी लड़कियों की पहचान अपनेआप होती होगी. ऐसी लड़कियों से ही मित्रता होनी चाहिए. क्योंकि सोहबत का बड़ा असर होता है.

तुमने मुझे बताया था कि तुम मेरे पत्रों को अपनी सहेलियों को भी पढ़ने को देती हो सो मुझे बहुत खुशी है कि मेरी ये बातें कालजयी हैं, और सभी को लाभान्वित करेंगी.

आज के युग में जब स्त्री और पुरुष की सामाजिक मान्यतायें, अवधारणायें लगभग बराबरी पर आ गयी हैं तो नारी का दायित्व पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इसलिए भी सुसंकृत और ज्ञानवान नारी ही सारे सँसार में परिवर्तन ला सकती है. हर देश में नारियां सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं. हमको गर्व है कि लडकियों में स्वाभाविक प्रतिभा अधिक होती है, आवश्यकता है कि उनको सही दिशा में चलाया जाये.

नारियों का भूतकाल में सामाजिक कुरितियों, अंधविश्वासों, और अशिक्षा के कारण शोषण होता रहा है, पर अब जागरण का समय है, हमको बहुत काम करना होगा.

मैंने बड़ी बड़ी बातें लिख डाली है लेकिन असल बात अभी नहीं लिख पाई हूँ कि स्वच्छ मन के लिए स्वच्छ व स्वस्थ शरीर का होना अति आवश्यक है इसलिए जरूरी है कि अपने आप को स्वस्थ रखना. अब बरसात का मौसम है, मच्छर पैदा हो गए हैं, मच्छरदानी का नियमित उपयोग करती रहना.

इस बार भैया बहुत उदास रहा पर अब धीरे धीरे भूलता जा रहा है. तुम्हारी फोटो के पास आकर कई बार खड़ा हो जाता है. तुम पत्रोत्तर जल्दी भेजा करना, मैं बाट देखती रहती हूँ.

भैया व तुम्हारे पापा का प्यार.
तुम्हारी माँ
                                           ***

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