शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

चुहुल - २९

(१)
गोस्वामी तुलसीदास ने अपने समय की सामाजिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए अलंकारिक एवँ दार्शनिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस’ में एक दोहे को इस प्रकार लिखा है :
"ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी; ये सब ताड़न के अधिकारी."
इस दोहे के अनेक शाब्दिक अर्थ व भावार्थ निकाले जा सकते हैं. एक सज्जन ने अपनी पत्नी को चिढ़ाने के लिए कहा, “इस दोहे का अर्थ समझ में आता है?”
पत्नी बोली, “इसका तो बहुत सरल अर्थ है, इसमें एक जगह मैं हूँ और चार जगह आप हैं.”


(२)
पुराने समय में गाँवों में शादी-व्याह के लिए लड़का-लड़की को देखने की जहमत नहीं उठानी पडती थी. नाई अथवा नाईन की सेवाएं ली जाती थी और वे अपनी चटखारेदार रिपोर्टिंग करके रिश्ते तय करवा देते थे. इस पद्धति में बहुत से आड़े-टेढ़े, काणे-लूलों की शादियाँ भी हो जाती थी. शादी हो जाने के बाद तो फिर सात जन्मों का बंधन हो जाता है.
ऐसे ही एक काणी लडकी की शादी लंगड़े लडके के साथ तय करा दी गयी. जब उसने बैठे हुए दूल्हे को जयमाला गले में डाल दी तो, कन्या पक्ष की गिदारों (पारंपरिक गीत गाने वाली औरतें) ने तान छोड़ी:
“जग जीत गयी म्हारी काणी”
वर पक्ष ने जब ये गाना सुना तो उनकी समझ में आ गया कि ‘लड़की सब को एक नजर से देखने वाली है.’ अत: उन्होंने गाने का प्रत्युत्तर तुक मिलाते हुए दे डाला “वर ठाडो हो तब जाणी”


(३)
नदी पार करते समय एक व्यक्ति की पत्नी तेज धार में बह गयी. दूसरे लोगों को ये देख कर ताज्जुब हुआ कि वह अपनी पत्नी को नदी की उल्टी धार की तरफ तलाश रहा था.
किसी ने पूछ ही लिया “तुम्हारी पत्नी तो नीचे की तरफ बह रही है, तुम उल्टी दिशा में क्यों जा रहे हो?”
वह बोला “भाई, तुम मेरी पत्नी को नहीं जानते हो, वह हमेशा उल्टे काम करती है, उल्टे बोल बोलती है इसलिए मैं उसे नदी की उल्टी धार में खोज रहा हूँ.”

(४)
एक महाविद्यालय के संस्कृत की परीक्षा में सरल हिन्दी शब्दों में अर्थ लिखने के लिए निम्न श्लोक पर्चे में आया:‘त्रिया चरित्रम, पुरुषस्य भाग्यम, देवो ना जानति कुतो मनुष्य?’एक समझदार लड़के ने उत्तर इस प्रकार लिखा:
‘स्त्री के चरित्र को देख कर पुरुष को भाग जाना चाहिए. इस विषय में देवताओं का क्या हाल है यह तो मालूम नहीं, पर देखा जाता है कि आदमी स्त्री के पीछे कुत्ता हो जाता है.’

(५) 
इंगलैंड के एक चर्च के आहते में कब्रिस्तान में एक अंग्रेज महिला अपने हाल में ही मरे पति की गीली कब्र पर हाथ से पँखा झल रही थी. जब एक भारतीय पर्यटक ने ये नजारा देखा तो उस नारी का पति-प्रेम देख कर गदगद हो गया, पास जाकर बोला, “मैडम, हमारे देश में नारियाँ ज़िंदा पति को पँखा झलाना भूल गयी हैं, आप धन्य हैं कि कब्र में दफनाने के बाद भी पति को हवा कर रही हैं.”
अंग्रेज महिला बोली, “बात ये नहीं है, दरअसल पादरी साहब ने कहा है कि जब तक पूर्व पति की कब्र सूख नहीं जायेगी, मैं दूसरी शादी नहीं कर सकती. इसलिए इसे सुखा रही हूँ.”

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