मन अब भर चुका है
डीजल और पेट्रोल के धुएं से
खारा लगता है क्लोरीनी पानी
ताजा पियेंगे अपने कुँए से
चलो अपने गाँव चलें.
चाचा की भैंस ब्या गई है
ऐसी चिट्ठी आई है
मन करता है ‘खींच’ खाने को
बेस्वाद लगता है ये पैकेट का दूध
चलो अपने गाँव चलें.
नवरात्रियों में जागरण करेंगे
जगरिये गायेंगे, डंगरिये नाचेंगे
धान की मंडाई भी होनी है
दीवाली नजदीक आई है.
चलो अपने गाँव चलें.
कोल्हू अब लगने वाले हैं
गन्नों की पिराई होगी
प्यारी महक गुड़-राब की
मन में कब से समाई है
चलो अपने गाँव चलें.
यहाँ अब इंसानियत कहाँ रही?
मिलावट ही मिलावट है
रिश्तों में भी सियासत है
वहाँ प्यार भरी सच्चाई है
चलो अपने गाँव चलें.
सड़कें घर घर पहुँच गयी हैं
नई हवा का दौर वहाँ है
बचपन के सपने आते हैं
आ लिपट मिलेंगे अनायास ही
चलो अपने गाँव चलें.
***
डीजल और पेट्रोल के धुएं से
खारा लगता है क्लोरीनी पानी
ताजा पियेंगे अपने कुँए से
चलो अपने गाँव चलें.
चाचा की भैंस ब्या गई है
ऐसी चिट्ठी आई है
मन करता है ‘खींच’ खाने को
बेस्वाद लगता है ये पैकेट का दूध
चलो अपने गाँव चलें.
नवरात्रियों में जागरण करेंगे
जगरिये गायेंगे, डंगरिये नाचेंगे
धान की मंडाई भी होनी है
दीवाली नजदीक आई है.
चलो अपने गाँव चलें.
कोल्हू अब लगने वाले हैं
गन्नों की पिराई होगी
प्यारी महक गुड़-राब की
मन में कब से समाई है
चलो अपने गाँव चलें.
यहाँ अब इंसानियत कहाँ रही?
मिलावट ही मिलावट है
रिश्तों में भी सियासत है
वहाँ प्यार भरी सच्चाई है
चलो अपने गाँव चलें.
सड़कें घर घर पहुँच गयी हैं
नई हवा का दौर वहाँ है
बचपन के सपने आते हैं
आ लिपट मिलेंगे अनायास ही
चलो अपने गाँव चलें.
***
बहुत सुन्दर,
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
सुंदर रचना:
जवाब देंहटाएंगाँव तो बस
सपने में आता है
वैसे गाँव कोई नहीं
जाना चाहता है
गाँव दूर से बहुत
सुंदर नजर आता है
जिम्मेदारियाँ भी
जुडी़ होती हैं
कुछ लेकिन
याद आते ही
वो सब
गाँव खट्टे अंगूर
हो जाता है !!
गाँवों में अब बचा हुआ हो,
जवाब देंहटाएंजैसा छोड़ा देश हमारा।
सावन, कांवर, झूले, तीज, कजरी...आपने सबकी याद दिला दी सर जी .
जवाब देंहटाएंगांव की मिट़टी की खूश्बू आने लगी....बहुत सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंपर आज कल ऐसे सपने वाले गावं कहाँ रहे ...गाँव भी थी शहरीकरण की भेंट चढ़ रहे हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगाँव की याद दिलाती रचना !
जवाब देंहटाएं"बचपन के सपने आते हैं-
जवाब देंहटाएंआ लिपट मिलेंगे अनायास ही
चलो अपने गाँव चलें"
वाह, बिसरे - भीगे ख्वाब .. फिर मचलने लगे.... आभार.
bahut sunder !!
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