कभी कभी हम सपनों में अपने बचपन या अतीत में पहुँच जाते हैं. वही घर-गाँव, माता-पिता की छाँव एवं वे घटनाएं, जो अतीत में घटित हो चुकी हो, हमारे मन-मस्तिष्क में अमूर्त दृश्य सिनेमा की रील की तरह चलने लगती है. सपने के सक्रिय होते ही हम स्वप्न लोक में बहुत तेजी से विचरने लगते हैं. यह सब व्यक्ति की अपनी मानसिक स्थिति तथा परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है.
यहाँ मैं पीछे के समय के सपनों की नहीं बल्कि आगे आने वाले एक सौ वर्षों के बाद की एक कल्पना/स्वप्न के बारे में जो कि एक चार पहिये वाली गाड़ी को बेचने के वर्गीकृत विज्ञापन के रूप में है, उससे रूबरू कराना चाहता हूँ. कैसा होगा यह विज्ञापन? इसका स्वरूप देखिये:
दिनाँक १० फरवरी २११३.
इन्टरनेशनल परमिट, १० हजार किलोमीटर सड़क मार्ग से चली हुई, ६० हजार हवाई किलोमीटर उड़ी हुए तथा ५ हजार किलोमीटर जलयात्रा की हुई फोल्डिंग गाड़ी (पार्किंग स्पेस ६”x६”) सभी आधुनिक उपकरणों व प्रणालियों युक्त, सोलर पावर के साथ हाइड्रोजन फ्यूल युक्त (दो रिजर्व टैंक) बिकाऊ है. कीमत केवल १५ करोड़ इंडियन रूपये. इच्छुक ग्राहक संपर्क करें. कांटेक्ट न० ००११...............
यह विज्ञापन पढ़ कर एक वंशज बोलेगा, “अरे यह विज्ञापन तो मेरे दादा के दादा ने अब से सौ वर्ष पूर्व ड्राफ्ट बना कर रख छोड़ा था, तब पुरानी गाडियाँ मात्र पचास हजार रुपयों में मिल जाया करती थी. पर वे उडती नहीं थी.”
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सच है..
जवाब देंहटाएंगजब परिकल्पना। भूत, वर्तमान और भविष्य के आपके अनुभव वास्तव में समय को संवेदना से जीने के लिए कहते हैं।
जवाब देंहटाएंगजब की कल्पना ... वैसे ऐसा हो भी सकता है
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