मंगलवार, 12 मार्च 2013

चित्रांशी

चित्रांशी एक दिलेर लड़की का नाम है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नगर पंचायत ने उसकी विशिष्टता के लिए उसे सम्मानित किया है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने भी  अलग अलग क्षेत्रों में अग्रणीय रही विश्व भर से आठ महिलाओं को सम्मानित किये जाने की खबर है. इनमें हमारे देश की ‘दामिनी’ नाम की सुकन्या भी है, जिसने कुत्सित लोगों के अत्याचार कारण यह सँसार छोड़ दिया था. यद्यपि दामिनी उसका असली नाम नहीं था और ये सांकेतिक नाम उसकी बहादुरी को उजागर करने के लिए दिया गया, वह एक मशाल की तरह जली जिसने प्रकाशस्तंभ के रूप में पूरे देश में नारी शक्ति को जगाया है. ‘दामिनी चली गयी पर उसने अपने पीछे जो प्रश्नचिन्ह व लकीरें छोड़ी हैं, उससे गंभीर चिन्तन पैदा हुआ है. आज महिला दिवस पर हमारे देश के राष्ट्रपति दामिनी के परिवार को इसी भावना के साथ सम्मानित करने जा रहे हैं. यह भी सच है कि ना जाने कितनी दामिनियाँ दरिंदों के अत्याचार व अनाचार की शिकार इस देश में होती रही हैं क्योंकि संस्कारविहीन लोग पशुवत व्यवहार करके मानव समाज को शर्मिन्दा करने से नहीं चूकते हैं.

चित्रांशी का नाम नगर पचायत में यों ही सामने नहीं आया. उसने आम भारतीय लड़की की तरह अपनी शादी के सपने संजोये थे, पर जब उसकी बारात उसके दरवाजे पर आई और पण्डित जी वैदिक रीति से 'धुलीअर्घ' के मंत्रोचार करने जा रहे थे तो दूल्हेराजा शराब के नशे में इतने धुत्त थे कि उससे सीधा खड़ा नहीं हुआ जा रहा था.

चित्रांशी और उसकी माँ देविका के सामने बहुत सारी मजबूरियाँ थी. मित्रों-परिचितों के सहयोग से यह पवित्रबंधन का समारोह आयोजित हुआ था. माँ बहुत उत्साहित थी कि बेटी के हाथ पीले होने जा रहे हैं और वह एक बड़ी जिम्मेदारी पूरी करने जा रही है. चित्रांशी के पिता जगदीशचंद्र का पाँच साल पहले निधन हो गया था. वे राज्य सरकार के लघु जल विद्युत निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर काम करते थे. यह परिवार का दुर्भाग्य था कि निगम के कार्य-कलापों में ठेकेदारी का चलन होने से, कई श्रोतों से इन छोटे अधिकारियों तक को खूब रिश्वत मिल जाती है, कमीशन का रेट सुनिश्चित रहता है. कहते हैं कि रिश्वत का पैसा सबको हजम भी नहीं होता है. जगदीशचन्द्र शराब का शौक़ीन हो गया था. धीरे धीरे वह लत हो गयी. वह सुबह से रात तक नशे में रहा करता था. ill got, ill spent वाली बात चरितार्थ हो रही थी. हर बुराई एक सीमा तक पहुँच कर अपना स्थाई असर दिखाती ही है.

जगदीशचन्द्र का पारिवारिक जीवन उसके शराबी बर्ताव के कारण अशान्त व दु:खी तो था ही, साथ ही अनियमित तरीके से पीते रहने से उसके शरीर को शराब ने खोखला कर दिया. डॉक्टरों ने उसे ‘सिरोसिस आफ लीवर’ की बीमारी बताई तथा शराब न पीने की सख्त ताकीद कर दी, पर वह नहीं माना. अपने शरीर पर अत्याचार करता ही रहा. नतीजा यह हुआ कि उसे मारक पीलिया ने आ घेरा. वह कई दिनों तक कोमा में रहकर चलता बना. तब चित्रांशी पन्द्रह साल की थी. उसने उस तमाम त्रासदी को प्रत्यक्ष देखा-भोगा जो कि उसकी माँ झेल रही थी. चित्रांशी का एक छोटा भाई भी है, जो उन सभी परेशानियों का गवाह रहा है, जो पिता के पियक्कड़पने तथा उनकी बीमारी के दौरान घटित होते रहे.

इस तरह के शराबियों के परिवार में बच्चों के मन-मस्तिष्क पर क्या बीतती है, और उनकी क्या प्रतिक्रिया क्या हो सकती है, यह चित्रांशी के विवाहोत्सव पर विस्फोट की तरह सामने आया.

देविका को पति के मृत्युपरांत ‘मृतक आश्रित’ के अंतर्गत दयाभाव से सरकार ने उसी विभाग में क्लर्क की नौकरी दे दी थी. देविका के पास अन्य कोई विकल्प था भी नहीं. इन सात सालों में चित्रांशी की कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी करवाई. बेटा भी हाईस्कूल कक्षाओं में पढ़ रहा है. जैसे बरसात होने पर पेड़-पौधों पर नई कोपलें उग आती हैं, और नवजीवन की शुरुआत होने लगती है, उसी तरह देवकी का ये छोटा सा परिवार नई परिस्थितियों में व्यवस्थित हो चला था.

बेटी की शादी के लिए देविका ने पूरी तैयारी की थी. जहाँ जहाँ से भी सहयोग मिल सकता था, लिया, पर बारात के पहुँचने पर जो नाटक हुआ, उससे सब लोग आहत हो गए. ‘दूल्हा शराबी है’ का शोर हों गया. ऐसे मौके पर चित्रांशी का रौद्र रूप देखकर सब अचंभित हो गए. उसने खुद बारात के स्वागत-सजावट की वस्तुओं को गिरा दिया तथा घोषणा कर दी कि वह शराबी के साथ शादी नहीं करेगी. बीच बचाव, मनुहारें बहुत हुई, पर वह नहीं मानी. उसने पूरे समाज को ये सन्देश दिया कि नारी को अबला या केवल आश्रिता ना समझा जाये. वह विद्रोह करना भी जानती है. नगर के समाचार पत्रों ने इस बात को हाथों हाथ लिया और चित्रांशी एक चर्चित दृढ़ चरित्र लड़की के रूप में जानी गयी.

नगर पंचायत का यह निर्णय प्रशंसनीय रहा कि उसने अपनी इस बहादुर बेटी को पूरे नगर की तरफ से सम्मानित करने का निश्चय किया.

इस बीच यह भी खबर है कि चित्रांशी के लिए बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते आ रहे हैं.

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5 टिप्‍पणियां:

  1. चित्रांशी -परिघटना भविष्य की एक बड़ी नजीर बनेगी यकीन मानिए -पूर्व में एक लड़की ने सुसराल में शौचालय न होने की वजह से सुसराल जाने से इंकार कर दिया था .

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  2. चित्रांशी के साहस को नमन। बहुत सुन्‍दर।

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  3. .बढिया, सार्थक सच कहा आपने

    आज की मेरी नई रचना
    एक शाम तो उधार दो

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