उत्तराखंड में चम्फावत जिले में एक जगह का नाम है सूखीढांग, जहाँ पर रामकृष्ण मिशन ने अपनी आध्यात्मक पीठ के अलावा एक सुन्दर नैसर्गिक परिदृश्य को भी आकार दिया है. जलाशय में कमल के पुष्पों की छटा दर्शनीय होती है. यह जानकर आनंदानुभूति हुई कि यहाँ मधुमक्खियाँ कमल पुष्पों से मकरंद लेकर शहद बनाती हैं. यह शहद श्रेष्ठ और अनुपम होता है. इसी तरह मधुमक्खियों के कार्य-कलाप विश्व के तमाम क्षेत्रों में चलते होंगे.
यहाँ पहाड़ों में कार्तिक के महीने में जो शहद निकाला जाता है वह स्वच्छ-श्वेत बर्फ की आभा वाला होता है क्योंकि बरसात में कोई धूलकण वातावरण में नहीं होता है. चैत्र-बैसाख में वसंत ऋतु के फूलों से बनाए गए शहद में थोड़ा पीलापन व भूरापन आ जाता है.
यों शुद्ध शहद को अमृत के सामान बताया गया है. धार्मिक अनुष्ठानों में जो पंचामृत बनता है उसमें शहद एक मुख्य पदार्थ होता है. शहद प्रकृति का एक अनमोल वरदान है. मिश्र की एक रानी, जिसका ३००० वर्ष पहले देहावसान हुआ था, और पिरामिड में दफन थी, उसकी कब्र में एक शहद का भरा जार भी मिला, उस शहद की गुणवत्ता में इतने समय के अंतराल में कोई रासायनिक कमी नहीं पायी गयी. कहा जाता है कि पुराना शहद बहुत गुणकारी रहता है जो अनेकों बीमारियों के उपचार में काम में लिया जाता है. शहद के कुछ उपयोगी प्रयोग निम्न हैं:
(१) सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में बराबर की मात्रा में नीबू का रस मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है, अम्लपित्त का शमन होता है, तथा मोटापा कम होता है.
(२) नेत्र-ज्योति बढ़ाने के लिए गाजर के रस के साथ खाली पेट लेना चाहिए.
(३) जुकाम-खांसी में अदरक स्वरस के साथ लेने से बहुत लाभकारी होता है.
(४) उच्च रक्तचाप वालों को लहसुन पेस्ट मिलाकर लेना चाहिए.
(५) दमा के रोगियों को आधा ग्राम काली मिर्च के पाउडर में मिलाकर दिन में तीन बार लेना चाहिए.
(६) अनिद्रा के रोगियों को सोने से पहले दो चम्मच पानी में मिला कर लेना चाहिए.
(७) चेहरे की कान्ति व शरीर में तेज-बल बढ़ाने के लिए नित्य शहद खाना चाहिए.
(८) मुँह के अन्दर मसूड़ों को मजबूत रखने व दांतों को साफ़ रखने के गुण भी शहद में होते हैं.
(९) उम्रदराज लोगों में ऊर्जा बनाये रखने में शहद का प्रयोग अत्युत्तम होता है. शहद को दूध या गरम पानी में मिलाकर पीना चाहिए.
(१०) यौन निराशा में शहद दूध या गरम पानी में पीते रहने से जोश व ऊर्जा पुन: प्राप्त होती है.
शहद तथा शुद्ध घी बराबर की मात्रा एक साथ खाने से वह जहर बन जाता है, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए.
यहाँ पहाड़ों में कार्तिक के महीने में जो शहद निकाला जाता है वह स्वच्छ-श्वेत बर्फ की आभा वाला होता है क्योंकि बरसात में कोई धूलकण वातावरण में नहीं होता है. चैत्र-बैसाख में वसंत ऋतु के फूलों से बनाए गए शहद में थोड़ा पीलापन व भूरापन आ जाता है.
यों शुद्ध शहद को अमृत के सामान बताया गया है. धार्मिक अनुष्ठानों में जो पंचामृत बनता है उसमें शहद एक मुख्य पदार्थ होता है. शहद प्रकृति का एक अनमोल वरदान है. मिश्र की एक रानी, जिसका ३००० वर्ष पहले देहावसान हुआ था, और पिरामिड में दफन थी, उसकी कब्र में एक शहद का भरा जार भी मिला, उस शहद की गुणवत्ता में इतने समय के अंतराल में कोई रासायनिक कमी नहीं पायी गयी. कहा जाता है कि पुराना शहद बहुत गुणकारी रहता है जो अनेकों बीमारियों के उपचार में काम में लिया जाता है. शहद के कुछ उपयोगी प्रयोग निम्न हैं:
(१) सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में बराबर की मात्रा में नीबू का रस मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है, अम्लपित्त का शमन होता है, तथा मोटापा कम होता है.
(२) नेत्र-ज्योति बढ़ाने के लिए गाजर के रस के साथ खाली पेट लेना चाहिए.
(३) जुकाम-खांसी में अदरक स्वरस के साथ लेने से बहुत लाभकारी होता है.
(४) उच्च रक्तचाप वालों को लहसुन पेस्ट मिलाकर लेना चाहिए.
(५) दमा के रोगियों को आधा ग्राम काली मिर्च के पाउडर में मिलाकर दिन में तीन बार लेना चाहिए.
(६) अनिद्रा के रोगियों को सोने से पहले दो चम्मच पानी में मिला कर लेना चाहिए.
(७) चेहरे की कान्ति व शरीर में तेज-बल बढ़ाने के लिए नित्य शहद खाना चाहिए.
(८) मुँह के अन्दर मसूड़ों को मजबूत रखने व दांतों को साफ़ रखने के गुण भी शहद में होते हैं.
(९) उम्रदराज लोगों में ऊर्जा बनाये रखने में शहद का प्रयोग अत्युत्तम होता है. शहद को दूध या गरम पानी में मिलाकर पीना चाहिए.
(१०) यौन निराशा में शहद दूध या गरम पानी में पीते रहने से जोश व ऊर्जा पुन: प्राप्त होती है.
शहद तथा शुद्ध घी बराबर की मात्रा एक साथ खाने से वह जहर बन जाता है, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए.
चूंकि शहद में ग्लूकोज का प्रतिशत ज्यादा होता है इसलिए मधुमेह के रोगियों के लिए शहद पूर्णतया त्याज्य है.
एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में कई दवाओं को अल्कोहल के संयोग से बनाया जाना आम बात है. इसके पीछे सिद्धांत यह है कि अल्कोहल अपने आशु गुण के अनुसार दवाओं के अणुओं को सूक्ष्मतिसूक्ष्म रोमछिद्रों तक पहुँचा देता है.
आयुर्वेद में शहद का दवाओं के साथ अनुपान इसी आधार पर है कि ये अपने साथ दवा को शरीर के सभी अवयवों तक ले आता है और अतिलाभकारी होता है. आयुर्वेद के अनुसार शहद में ये दस गुण होते हैं: रूक्ष्म, ऊष्णम, तथा तीक्ष्णम, सूक्ष्म, आशु, व्यावाय च; विकासी, विशदस्चैव लघुपाकी ते दस: यही सब गुण विष में भी होते हैं केवल फर्क यह है कि विष में एक अतिरिक्त ‘मारक’ गुण भी होता है.
पूरे कथन का सारांश यह है कि मधु का यदि सही रूप से प्रयोग किया जाये तो ये जीवनदायिनी औषधि के समान है.
मधुमक्खियाँ हमारी निस्वार्थ मित्र हैं. मानव जाति की परोक्ष रूप से ये एक और महत्वपूर्ण सेवा करती हैं कि अनाज व फलों के परागण में इनका स्वाभाविक योगदान होता रहता है.
एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में कई दवाओं को अल्कोहल के संयोग से बनाया जाना आम बात है. इसके पीछे सिद्धांत यह है कि अल्कोहल अपने आशु गुण के अनुसार दवाओं के अणुओं को सूक्ष्मतिसूक्ष्म रोमछिद्रों तक पहुँचा देता है.
आयुर्वेद में शहद का दवाओं के साथ अनुपान इसी आधार पर है कि ये अपने साथ दवा को शरीर के सभी अवयवों तक ले आता है और अतिलाभकारी होता है. आयुर्वेद के अनुसार शहद में ये दस गुण होते हैं: रूक्ष्म, ऊष्णम, तथा तीक्ष्णम, सूक्ष्म, आशु, व्यावाय च; विकासी, विशदस्चैव लघुपाकी ते दस: यही सब गुण विष में भी होते हैं केवल फर्क यह है कि विष में एक अतिरिक्त ‘मारक’ गुण भी होता है.
पूरे कथन का सारांश यह है कि मधु का यदि सही रूप से प्रयोग किया जाये तो ये जीवनदायिनी औषधि के समान है.
मधुमक्खियाँ हमारी निस्वार्थ मित्र हैं. मानव जाति की परोक्ष रूप से ये एक और महत्वपूर्ण सेवा करती हैं कि अनाज व फलों के परागण में इनका स्वाभाविक योगदान होता रहता है.
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सहेज लिया है और काम भी आ रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम पाण्डेय जी। ऐसे ही कथन से हमें लाभान्वित करते रहिए।
जवाब देंहटाएंSTING IN THE BEE VENOM CAN KILL HIV.
जवाब देंहटाएंबेहद उपयोगी जानकारी शहद पर .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
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