(१)
रामदीन के अँगना, कामधेनु सी गाय,
ये दुनिया की रीति है खूंटा देत बधाय.
खूंटा देत बधाय, फिर मित्र बधाई देते
कहे पाण्डे कविराय, करो खुशियों की बातें
बन्ना-बन्नी की बनी रहें लम्बी चांदनी रातें.
(२)
जोड़ी जुग जुग बनी रहे, फूलो - फलो प्यारे
सब दिन हों सौभाग्य के, हर हाल रहो वारे न्यारे
हर हाल रहो वारे न्यारे, तुम खूब मौज मनाना
कहे पाण्डे कविराय जीवन को आदर्श बनाना
हर्षित मात्-पिता को लेकिन तुम भुला ना देना.
(३)
वंशबेल बढ़ती रहे, लगे दो या तीन पर ब्रेक
मित्रों को लड्डू बंटे, अवसर पर हर एक
अवसर पर हर एक, यों सब मंगल गावें
कहे पाण्डे कविराय ऋतुराज सा जीवन होवे
खिलते रहें पुष्प, मधुमय तुम्हारा जीवन होवे
(४)
सुखिया या सँसार में भांति भांति के लोग
शादी करना है बला, फिर भी करते लोग
फिर भी करते लोग ना हमसे सीखें
कहे पाण्डे कविराय फिर गलती मत करना
तीन-चार होने की जल्दी मत करना.
***
रामदीन के अँगना, कामधेनु सी गाय,
ये दुनिया की रीति है खूंटा देत बधाय.
खूंटा देत बधाय, फिर मित्र बधाई देते
कहे पाण्डे कविराय, करो खुशियों की बातें
बन्ना-बन्नी की बनी रहें लम्बी चांदनी रातें.
(२)
जोड़ी जुग जुग बनी रहे, फूलो - फलो प्यारे
सब दिन हों सौभाग्य के, हर हाल रहो वारे न्यारे
हर हाल रहो वारे न्यारे, तुम खूब मौज मनाना
कहे पाण्डे कविराय जीवन को आदर्श बनाना
हर्षित मात्-पिता को लेकिन तुम भुला ना देना.
(३)
वंशबेल बढ़ती रहे, लगे दो या तीन पर ब्रेक
मित्रों को लड्डू बंटे, अवसर पर हर एक
अवसर पर हर एक, यों सब मंगल गावें
कहे पाण्डे कविराय ऋतुराज सा जीवन होवे
खिलते रहें पुष्प, मधुमय तुम्हारा जीवन होवे
(४)
सुखिया या सँसार में भांति भांति के लोग
शादी करना है बला, फिर भी करते लोग
फिर भी करते लोग ना हमसे सीखें
कहे पाण्डे कविराय फिर गलती मत करना
तीन-चार होने की जल्दी मत करना.
***
कविराय पाण्डेय जी की कविताई आशा पूर्ण हो, ये कामना है।
जवाब देंहटाएंसच्ची और अच्छी सीख देती पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंसुखिया या सँसार में भांति भांति के लोग
जवाब देंहटाएंशादी करना है बला, फिर भी करते लोग
..बला से ही तो बल मिलता है, इसीलिए शादी करते हैं ...
बहुत खूब कही आपने ...
बहुत सुन्दर सीख देती रचना
जवाब देंहटाएंlatest postउड़ान
teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "
सुंदर रचनायें, वाह !!!!
जवाब देंहटाएंआला दर्जे का कवित्त पांडे जी सुनवाय .....
जवाब देंहटाएंआला दर्जे का कवित्त पांडे जी सुनवाय .....
जवाब देंहटाएंपुराने कवियों की भी यही राय थी-
जवाब देंहटाएंफूले-फूले पिरत हैं काल हमारो ब्याउ,
रहिमन गाय-बजाय कर देत काठ में पाँव.
पर कोई सुने तब न !